कागजी कंपनियों पर कसेगा शिकंजा

By: May 14th, 2018 12:07 am

परिभाषा तय करने की तैयारी में सरकार, मनी लांड्रिंग पर लगाम लगाने में मिलेगी मदद

नई दिल्ली – कागजी कंपनियों (शेल कंपनियों) के जरिए वित्तीय हेराफेरी की जांच में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार अब एक ठोस पहल करने जा रही है। सरकार शेल कंपनियों के लिए एक उचित परिभाषा बनाने की तैयारी कर रही है, ताकि जांच प्रभावित न हो सके और कोर्ट में भी मजबूती से पक्ष रख सके। एक अधिकारी ने बताया कि कई कंपनियों, जिन पर शेल कंपनियों के जरिए मनी लांड्रिंग और अन्य वित्तीय हेराफेरी का आरोप है, ने हाल के महीने में उनके खिलाफ हुए रेग्युलेटरी एक्शन को चुनौती दी है। इसलिए अब यह जरूरी समझा जा रहा है कि सभी तरह की रेग्युलेटरी खामियों को दूर करना जरूरी है, जिससे कि दोषियों के खिलाफ आरोप साबित करने में होने वाली देरी को टाला सके। अधिकारी ने बताया कि शेल कंपनियों के लिए कोई निश्चित परिभाषा नहीं होने से जांच और अभियोजन का पक्ष प्रभावित होता है। आमतौर पर शेल कंपनियां सिर्फ कागजों पर बनी होती हैं, जिनका इस्तेमाल वित्तीय दावपेंच के लिए किया जाता है। कुछ कंपनियों को भविष्य के फायदे के हिसाब से कागजों में बनाकर रखा जाता है। इस तरह के भी आरोप हैं कि राजनीतिक दलों के कुछ नेता पर्दे के पीछे से अपना बिजनेस चलाने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं। मिनिस्ट्री ऑफ कारपोरेट अफेयर्स को एक मल्टी एजेंसी टॉस्क फोर्स बनाने का सुझाव मिला है। इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), फाइनांशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू), डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई), कैपिटल मार्केट्स रेग्युलेअर सेबी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अफसरों को शामिल किया जाए। सुझावों पर अब कारपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री, वित्त मंत्रालय, सेबी और आरबीआई की ओर से आगे चर्चा की जाएगी। इसके अलावा, फाइनांशियल स्टैबिलिटी एंड डिवेलपमेंट काउंसिल (एफएसडीसी) के स्तर भी चर्चा हो सकती है।

ग्लोबल माकनों पर भी विचार

शेल कंपनियों के लिए परिभाषाओं पर विचार किया जा रहा है। उसमें ग्लोबल लेवल पर प्रचलित परिभाषाएं भी शामिल हैं। हालांकि रेग्युलेटर्स और सरकारी विभाग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि शेल कंपनियों की परिभाषा भारतीय संदर्भ में निर्धारित हो। ग्लोबल लेवल पर आर्थिक अपराध पर लगाम लगाने के उद्देश्य से पॉलिसी बनाने के लिए सुझाव देने वाले संगठन ‘ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-आपरेशन एंड डिवेलपमेंट’ की परिभाषा के मुताबिक शेल कंपनी वह फर्म है, जो औपचारिक तौर पर रजिस्टर्ड होती है और किसी इकोनॉमी में कानूनी तौर पर स्थापित होते हैं, लेकिन वे फंड को इधर से उधर करने के अलावा उस इकोनॉमी में किसी भी तरह का आपरेशन नहीं करते।

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