बैंटनी कैसल में देहरा की धाक
शिमला —शिमला के ऐतिहासिक बैंटनी कैसल का प्रांगण हिमाचाली शिल्प को बढ़ावा दे रहा है। इस शिल्प मेले में लगे स्टॉल हिमाचली शिल्प के ऐसे नमुने शिमला के स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों के लिए ले कर आए है जिन्हें लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है। मेले में अधिकतर लोग मिट्टी के बर्तनों और लकड़ी से तैयार किए गए अलग-अलग तरह के सजावटी समान की खरीदारी कर रहे है। मेले में लगे यह दो स्टॉल खास तौर पर लोगों द्वारा पसंद किए जा रहे है। मिट्टी के बर्तनों का यह स्टॉल कांगड़ा देहरा के तरसेम लाल द्वारा लगाया गया है। अपने स्टॉल पर तरसेम ने मिट्टी के मटके के चलन को कम होता देख मिट्टी के पानी की बोतल बनाई है। इस पानी की बोतल में पानी ठंडा और स्वादिष्ट रहता है। इसके साथ ही मिट्टी की कड़ाही मिट्टी की हांडि़यां और अन्य कई तरह की चीजें मिट्टी की बना कर अपने स्टॉल पर लगाई है। उनका यह स्टॉल भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा शिल्प मेले में लगे लकड़ी से तैयार उत्पादों के स्टॉल को भी पर्यटकों द्वारा पसंद किया जा रहा है। इस स्टॉल पर देव परंपरा को इस तरह से दर्शाया गया हो मानो हिमाचल की देव संस्कृति को साक्षात इस स्टॉल पर लोगों ने देख लिया हो। लकड़ी पर सुंदर नकाशी कर उसे सुंदर देव स्थलों, मंदिरों और देव पालकियों को तैयार किया गया है, लेकिन इस तैयार समान की कीमत अधिक होने के चलते खरीदार कम ही इसके लिए मेले में मिल पा रहे है।
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