सुस्ती छोड़े सरकार… अतिक्रमण पर कसे लगाम

By: May 5th, 2018 12:05 am

पहाड़ों की खूबसूरत वादियों को अतिक्रमण और बेतरतीब भवन निर्माण ने पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है। सरकार व प्रशासन के सुस्त रवैये से अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में कसौली में दर्दनाक घटना ने समस्त हिमाचल सहित देश को भी हिलाकर रख दिया है…

सरकार प्रशासन निकाले स्थायी हल

शहर के युवा अभिषेक का कहना है कि शुरुआती दौर में ही अतिक्रमण को रोकने का कार्य सरकार, विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को करना चाहिए। इसके साथ ही लोगों को भी अब जागरूक होकर अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। इससे पहले हुए अतिक्रमण का स्थायी हल सही तरीके से निकालना चाहिए।

हर जगह सरकारी भूमि पर कब्जा

आदित्य शर्मा का कहना है कि वन भूमि और सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों को कोई भी नहीं रोक रहा है। जब किसी जगह का अधिक इस्तेमाल नहीं होता है, लेकिन बाद में बड़े भवन बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर स्थानों पर अतिक्रमण पांव पसार रहा है, जिसे रोकने की आवश्यकता है।

नियमों पर करना पड़ेगा जागरूक

शहर के युवा आदित्य पंडित का कहना है कि हिमाचल में टूरिज्म इंडस्ट्री को देखते हुए स्वरोजगार और रोजगार में होटल-रेस्तरां महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन नियमों की सही जानकारी देकर युवाओं और कारोबारियों को जागरूक करने की पहल करनी होगी। अतिक्रमण को शुरू से ही रोकना चाहिए, जिससे कसौली स्तर की अधिक समस्याएं न हो सकें।

अतिक्रमण का तमाशा देखते हैं लोग

शहर के मेहर सिंह का कहना है कि बड़े से लेकर छोटे-छोटे अतिक्रमण ने समाज के हर वर्ग को दुखी किया है। बड़े-बड़े होटलों, रेस्तरां और सड़कों के साथ लगने वाली दुकानों ने सड़कों तक पांव पसार दिए हैं। विभाग मूकदर्शक बनकर अतिक्रमण की घटनाओं पर खामोश रहते हैं, जिससे विनाशकारी परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

अतिक्रमण को नेता जिम्मेदार

धर्मशाला के समाजसेवी एसएस गुलेरिया का कहना है कि अतिक्रमण को बढ़ाने में भ्रष्ट नेता और अधिकारी जिम्मेदार हैं। भ्रष्टाचार करने वाले नियमों के विपरीत पहले कार्य होने देते हैं, अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उन्हें याद आई है, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो रही है। कई लोग बड़ा कर्जा लेकर निर्माण करवा रहे हैं।

सिस्टम में कमियों से कब्जे

जिला मुख्यालय के तकदीर सिंह का कहना है कि सिस्टम में कमियों के कारण आज समस्याएं बहुत अधिक विकराल हो गई है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारी अपने कार्याें को सही ईमानदारी से पूरा नहीं करते, आखिर क्यों नियमों के विपरीत अतिक्रमण होने पर कोई पता नहीं चलता।

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