अब तीन को आएंगे सभी ऊर्जा मंत्री
कुफरी में 26 जून को होने वाला सम्मेलन जुलाई तक टला
शिमला— ऊर्जा मंत्रियों का हिमाचल में होने वाला सम्मेलन 26 जून को नहीं, बल्कि तीन जुलाई को होगा। इस सम्मेलन को किन्हीं कारणों से टाला गया है। पहली दफा हिमाचल प्रदेश में यह सम्मेलन होने जा रहा है, जो कि शिमला के कुफरी में होगा। ऊर्जा राज्य हिमाचल के लिए यह सम्मेलन अहम है, क्योंकि ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी बहुत सी ऐसी समस्याएं प्रदेश के सामने हैं, जिससे लगातार निवेशक भी जूझ रहे हैं, वहीं सरकार भी। निवेशकों को राहत देने के लिए सरकार को अपने स्तर पर कदम उठाने पड़ रहे हैं, जो नाकाफी हैं, क्योंकि हाइड्रो पावर के क्षेत्र में प्रदेश को केंद्र से मदद नहीं मिल पा रही है। अब तीन जुलाई को होने वाले इस सम्मेलन में देश भर के राज्यों से ऊर्जा मंत्री हिस्सा लेंगे, वहीं उनके अधिकारी भी शामिल होंगे। यहां केंद्रीय ऊर्जा मंत्री भी पहुंचेंगे। करीब 200 से ज्यादा लोग इस सम्मेलन में शिरकत करने आ रहे हैं, जिसकी तैयारियां यहां सरकार के स्तर पर शुरू हो चुकी हैं। बताया जा रहा है कि हिमाचल इस सम्मेलन में हाइड्रो पावर में केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाएगा। केंद्र सरकार अपना ध्यान सौर ऊर्जा पर केंद्रित किए हुए है, जबकि उसकी संभावनाएं हिमाचल में नहीं हैं। यहां केवल हाइड्रो क्षेत्र ही अहम है, जिसकी कई परियोजनाएं खटाई में है। इन परियोजनाओं की शीघ्र स्वीकृति का मसला यहां उठाया जाएगा, जिसमें प्रदेश को राहत मिलने की उम्मीद है। दूसरा महत्त्वपूर्ण मामला नॉन फोरेस्ट लैंड का है। केंद्रीय नियमों के अनुसार किसी भी परियोजना को स्थापित करने के लिए उतनी ही जमीन नॉन फोरेस्ट एरिया चाहिए, जिसमें हरी पट्टी विकसित करने को कहा जाता है, परंतु हिमाचल में नॉन फोरेस्ट लैंड उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते प्रदेश इसमें राहत की मांग केंद्र से कर रहा है।
नॉन फोरेस्ट लैंड का मुद्दा अहम
नॉन फोरेस्ट लैंड का यह मसला अहम है, जिसे प्रदेश सरकार ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में एक दफा फिर से उठाएगी। विभिन्न मुद्दों पर होने वाली चर्चा के लिए यहां अधिकारियों ने मंथन शुरू कर दिया है, जिस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी बात होगी।
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