अब मंदिर-किलों के बनेंगे सर्किट
बिलासपुर —ऐतिहासिक स्मारक-मंदिर-किलों के जिलावार सर्किट बनेंगे। इस बाबत जिलास्तर पर डीसी की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया गया है। सभी डीसी सर्किट बनाकर रिपोर्ट निदेशालय भेजेंगे। अभी तक राजधानी शिमला के अतिरिक्त तीन से चार जिलों की सर्किट रिपोर्ट निदेशालय पहुंची है, जबकि शेष जिलों में वर्किंग जारी है। इन सर्किट को टूरिज्म से जोड़कर डिवेलप किया जाएगा जिससे पर्यटन आकर्षण को बढ़ावा मिलेगा। अहम बात यह है कि सभी जिलों में प्रशिक्षित कल्चरल गाइड तैयार किए जाएंगे जो प्रदेश व देश भर से आने वाले ऐतिहासिक धरोहरों के दर्शन करने के इच्छुक पर्यटकों को सैर करवाएंगे। इससे पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं के लिए अपने ही गृहजिला में रोजगार के अवसर सृजित होंगे। भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक राकेश कोरला ने खबर की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि आज पुरानी राहों से स्कीम की लांचिंग के बाद सभी जिलों को ऐतिहासिक धरोहरों की पहचान कर सर्किट बनाने के लिए कहा गया है। इस बाबत जिलास्तर पर जिलाधीशों की अध्यक्षता में कमेटियां बनाई गई हैं, जिनमें जिला भाषा अधिकारी सदस्य सचिव बनाए गए हैं। कमेटियां पूरे जिला का दौरा करेंगी और अब तक अनछूए ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही पौराणिक मंदिर, स्मारक और किलों को चिन्हित करेंगी जिसकी बाकायदा जिलास्तर पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यानी जिला प्रशासन अपने अपने जिला में ऐतिहासिक धरोहरों का एक सर्किट तैयार करेंगे जिसकी बाकायदा मैपिंग भी की जाएगी। इसकी रिपोर्ट निदेशालय भेजी जाएगी। इसके बाद जिलावार तैयार किए गए सर्किट को पर्यटन लिहाज से विकसित करने के लिए प्लानिंग की जाएगी। ऐसे में आज पुरानी राहों से स्कीम के तहत एक तो प्रदेश में पर्यटन संस्कृति को बढ़ावा मिलेगी तो वहीं कल्चरल गाइड के रूप में तैयार होने पर युवाओं को रोजगार नसीब होगा।
बेस्ट प्रेजेंटेशन पर मिलेगा पुरस्कार
भाषा एवं संस्कृति विभाग ने आज पुरानी राहों से योजना के तहत कालेज और यूनिवर्सिटी स्तर के विद्यार्थियों के बीच ऐतिहासिक धरोहरों की पहचान व संरक्षण को लेकर प्रतिस्पर्धा करवाने का निर्णय लिया है जिसके तहत विद्यार्थियों के बीच कंपीटिशन होंगे और सबसे बढि़या प्रेजेंटेशन पर संबंधित विद्यार्थी को पुरस्कृत किया जाएगा।
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