उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद भी इनाम कम क्यों?

By: Jun 1st, 2018 12:06 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

इसी तरह राष्ट्रमंडल खेलों के विजेता को डेढ़ करोड़, उपविजेता को 75 लाख, तीसरे स्थान पर आने वाले को पचास लाख रुपए तथा क्वालिफाई कर देश का प्रतिनिधित्व करने पर साढ़े सात लाख रुपए का नकद इनाम खिलाडि़यों को दिया जा रहा है, मगर हिमाचल इस स्तर पर भी एशियाई खेलों के बराबर ही नकद इनाम दे रहा है…

खेल में उत्कृष्ट परिणाम देने के लिए जहां जन्मजात प्रतिभा की जरूरत होती है, वहीं पर खिलाडि़यों को लगातार आठ-दस वर्षों से भी अधिक समय तक कठिन परिश्रम भी करना पड़ता है। इस लंबे समय में खिलाड़ी का विद्यार्थी जीवन तथा उसके बाद नौकरी के भी कई वर्ष बीत जाते हैं, क्योंकि आजकल के दौर में खिलाड़ी कई खेलों में 40 वर्ष तक उत्कृष्ट प्रदर्शन करते देखे जा सकते हैं। लगातार कठिन परिश्रम तथा खेल पर ही केंद्रित होने के कारण खिलाड़ी सामाजिक व आर्थिक मोर्चे पर अपने हमउम्रों से काफी पिछड़ जाता है। इसलिए भारत सरकार व अन्य राज्य सरकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को प्रथम श्रेणी की नौकरी तथा लाखों-करोड़ों रुपए के नकद इनाम रखे हैं। सेना, रेलवे सहित कई विभाग भी अपने खिलाडि़यों को अपने स्तर पर नकद इनाम व पदोन्नति भी देते हैं। 1982 एशियाई खेलों के पदक विजेताओं को पहली बार हरियाणा ने नकद इनाम शुरू किया था। गोला प्रक्षेपक बहादुर सिंह सहित अन्य हरियाणा के स्वर्ण पदक विजेताओं को एक लाख रुपए का नकद इनाम दिया गया था, जो उस समय खिलाडि़यों के लिए बहुत ही आकर्षक व प्रेरणा देने वाला इनाम था।

पंजाब ने भी बाद में अपने खिलाडि़यों को नकद इनाम देना शुरू किया। 1984 में जब हिमाचल प्रदेश में युवा सेवाएं एवं खेल विभाग का गठन हुआ, तो राज्य सरकार ने भी एशियाई स्तर पर स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को एक लाख रुपए का नदक इनाम रखा, जो वर्ष 2000 तक एक लाख रुपए ही था। बाद में धूमल सरकार ने इसे दोगुना किया, फिर अन्य सरकारों ने इसे बढ़ाते-बढ़ाते आज एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता को तीस लाख, रजत विजेता को बीस लाख तथा कांस्य पदक विजेता को दस लाख रुपए कर दिया है, मगर दूसरी तरफ हरियाणा ओलंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता को छह करोड़, रजत वाले को चार करोड़, कांस्य पदक विजेता को अढ़ाई करोड़ तथा देश का प्रतिनिधित्व करने पर भी 15 लाख रुपए की इनामी राशि ओलंपियन को दी जाती है।

एशियाई खेलों में हरियाणा हिमाचल से दस गुना अधिक स्वर्ण पदक विजेता को तीन करोड़, उपविजेता को डेढ़ करोड़, तीसरे स्थान पर आने वाले को 75 लाख  तथा देश का प्रतिनिधित्व करने पर भी साढ़े सात लाख रुपए का नकद इनाम देता है। इसी तरह राष्ट्रमंडल खेलों के विजेता को डेढ़ करोड़, उपविजेता को 75 लाख, तीसरे स्थान पर आने वाले को पचास लाख रुपए तथा क्वालिफाई कर देश का प्रतिनिधित्व करने पर साढ़े सात लाख रुपए का नकद इनाम खिलाडि़यों को दिया जा रहा है, मगर हिमाचल इस स्तर पर भी एशियाई खेलों के बराबर ही नकद इनाम दे रहा है। राष्ट्रीय खेलों पर स्वर्ण पदक जीतने पर हरियाणा अपने खिलाड़ी को पांच लाख, रजत पदक विजेता को तीन लाख तथा कांस्य पदक विजेता को दो लाख रुपए देता है, मगर इस स्तर पर भी हिमाचल सरकार अभी पांच गुना कम धनराशि अपने खिलाडि़यों को दे रही है।

यही कारण है कि हाल ही में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में कुल पदक विजेताओं की आधी संख्या अकेले हरियाणा के खिलाडि़यों की थी। इन खेलों में हिमाचल के दो खिलाडि़यों ने एक रजत व एक कांस्य पदक जीता है, मगर ये दोनों खिलाड़ी हिमाचल में न तो ट्रेनिंग लेते हैं और न ही नौकरी करते हैं, यहां तक इनकी पढ़ाई भी बाहर ही हुई है। राज्य में खेल वातावरण न के बराबर है। शिक्षा संस्था की बात हो या नौकरी करने वाले खिलाड़ी के विभाग की, राज्य में खिलाड़ी को प्रोत्साहन कम और प्रताड़ना अधिक मिलती है। यही कारण है कि राज्य में खिलाड़ी उच्च स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए तैयार ही नहीं हो पाते हैं। राज्य में खिलाडि़यों को उनके द्वारा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते गए पदकों की नकद इनामी राशि भी कई-कई वर्षों बाद मिलती है। अभी तक राज्य खेल विभाग अपना नकद इनाम बांट समारोह पिछले तीन वर्षों से आयोजित नहीं कर पाया है।

हिमाचल सरकार से आशा की जाती है कि वह भी हरियाणा की तरह अपने यहां खिलाडि़यों को नकद इनाम देने की व्यवस्था करे तथा वर्ष में एक बार समारोह आयोजित करे, ताकि उसमें खिलाडि़यों को समय रहते उनके द्वारा जीते गए पदकों के इनाम उन्हें मिल सकें। यह किसी भी स्तर पर उचित नहीं है कि नए खिलाड़ी अपने जीते गए पदकों के इनाम की आशा को भूल जाएं, तब कहीं उसे उसका हक बहुत हो-हल्ला करने पर मिले। अगस्त में एशियाई खेल भी आ रहे हैं। अच्छा होगा सितंबर माह में सरकार राज्य के पदक विजेता खिलाडि़यों का सम्मान समारोह आयोजित कर एक स्वस्थ परंपरा को जन्म दे, हिमाचल में भी अच्छे खेल वातावरण का निर्माण किया जाए, इससे हिमाचल के खिलाड़ी प्रोत्साहित होंगे।

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