एशियाई खेलों के प्रशिक्षण में हिमाचली

By: Jun 22nd, 2018 12:05 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

राज्य के चुनिंदा प्रशिक्षक जब दृढ़ संकल्प होकर हिमाचली प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक तैयार कर रहे हैं, तो राज्य में कार्यरत प्रशिक्षकों व शारीरिक शिक्षकों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं। तभी उत्कृष्ट खेल परिणामों की एशियाई व ओलंपिक खेलों में हमें अपेक्षा रहेगी…

हिमाचल प्रदेश से वैसे तो कई स्टार खिलाडि़यों ने भारत का प्रतिनिधित्व एशियाई, राष्ट्रमंडल व ओलंपिक खेलों में करके पदक तालिका में भारत का नाम चमकाकर देश व प्रदेश को गौरव प्रदान किया है, मगर अधिकांश पदक विजेता खिलाडि़यों की तैयारी में हिमाचल का कोई योगदान नहीं रहा है। पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में कुछ खेल छात्रावास तथा कहीं पर निजी स्तर पर प्रशिक्षकों ने अपने प्रशिक्षण केंद्रों से हिमाचली खिलाडि़यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तय करवाना शुरू कर दिया है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित हो रहे एशियाई खेलों के लिए लगे प्रशिक्षण शिविरों में इस समय कबड्डी में कुल्लू की कविता ठाकुर, जो भारतीय खेल प्राधिकरण छात्रावास धर्मशाला की उपज है, इस समय भारतीय प्रशिक्षण शिविर में टीम में जगह बनाने के लिए पसीना बहा रही है। 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता टीम की सदस्य रही कविता ठाकुर एक उम्दा खिलाड़ी है। साई धर्मशला में ही कबड्डी के गुर सीखी सिरमौर की ललिता भी इस समय प्रशिक्षण शिविर में है।

महिला वर्ग में एक और तीसरी खिलाड़ी बिलासपुर खेल छात्रावास की देन हिमाचल पुलिस में कार्यरत सिरमौर की प्रियंका नेगी भी टीम में आने के लिए भारतीय कबड्डी प्रशिक्षण शिविर में संपर्क कर रही है। पुरुष वर्ग में भारत के स्टार खिलाड़ी अजय ठाकुर व ऊना के विशाल एशियाई खेलों के लिए बनने वाली भारतीय टीम का हिस्सा बनने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। मुक्केबाजी में इस समय हिमाचल के दो मुक्केबाज आशीष चौधरी व वीरेंद्र ठाकुर अपनी-अपनी दावेदारी पटियाला में लगे राष्ट्रीय प्रशिक्षण में सिद्ध करने के लिए जी-तोड़ परिश्रम कर रहे हैं। पिछले सप्ताह आशीष चौधरी ने 75 किलोग्राम भार वर्ग में कजाकिस्तान में आयोजित प्रेजीडेंट कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा वीरेंद्र ने रशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में 91 किलोग्राम भार वर्ग में उम्दा प्रदर्शन करते हुए देश के लिए रजत पदक जीता है। ये दोनों ही मुक्केबाज नरेश कुमार मुक्केबाजी प्रशिक्षक के प्रशिक्षण कार्यक्रम की उपज हैं। पिछले तीन दशकों में बिना खेल छात्रावास के ही नरेश कुमार प्रदेश के लिए कई पदक विजेता मुक्केबाज तैयार कर चुका है।

हैंडबाल महिला टीम के लिए भी राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर आजकल चल रहा है। पूरे देश से चुनी गई 30 खिलाडि़यों में हिमाचल प्रदेश से छह खिलाडि़यों में मोनिका पाल, निधि शर्मा, दीक्षा ठाकुर, शालिनी ठाकुर, दीपा ठाकुर व प्रियंका ठाकुर भारतीय टीम की पहली 16 खिलाडि़यों में जगह बनाने के लिए इस गर्मी में खूब कसरत कर रही हैं। ये सभी खिलाड़ी मोरसिंघी हैंडबाल नर्सरी की उपज हैं। इनकी प्रशिक्षक स्नेहलता व सचिन चौधरी बधाई के पात्र हैं। बिना किसी सरकारी सहायता के इस तरह का प्रदर्शन काबिलेतारीफ है। जहां राज्य के खेल छात्रावास व खेल विभाग के हजारों रुपए प्रतिमाह वेतन पाने वाले प्रशिक्षक एक भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी बनाने में नाकाम हैं, वहीं पर शौकिया प्रशिक्षण कार्यक्रम अपने घर को खेल छात्रावास बनाकर व अपने खेल को प्ले फील्ड में बदल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का सफलतापूर्वक सफर तय करना स्नेहलता व सचिन चौधरी की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिस पर हिमाचल गर्व कर सकता है। इनके जज्बे को हिमाचल खेल जगत सलाम करता है। भारोत्तोलन में इस समय 2018 राष्ट्रमंडल खेलों का कांस्य पदक विजेता हमीरपुर का विकास ठाकुर पटियाला में लगे प्रशिक्षण शिविर में जी तोड़ परिश्रम कर रहा है। वायुसेना के इस जूनियर कमिशंड अधिकारी से भारत को भविष्य में भी बहुत उम्मीद हैं। इन खिलाडि़यों के अतिरिक्त भी अन्य कई खेलों में हिमाचल की संतानें हैं, जो हिमाचल से बाहर रहकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।

एशियाई खेलों के लिए होने वाले अंतिम चयन प्रतियोगिता में जगह बनाकर देश की टीम का हिस्सा बनें, यह कामना हिमाचल खेल जगत करता है। राज्य के चुनिंदा प्रशिक्षक जब दृढ़ संकल्प लेकर हिमाचली प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक तैयार कर रहे हैं, तो राज्य में कार्यरत प्रशिक्षकों व शारीरिक शिक्षकों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं, ताकि हिमाचल से अधिक से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें। राज्य खेल विभाग व राज्य खेल संघों को चाहिए कि वे उत्कृष्ट परिणाम देने वाले प्रशिक्षकों को हर तरह से सहायता करें तथा उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए अवार्ड तथा इनाम देने जैसे प्रेरणादायी प्रयास भी राज्य सरकार करे। राज्य के खेल छात्रावासों में कार्यरत प्रबंधकों व प्रशिक्षकों को तो दृढ़ निश्चय कर लेना चाहिए, क्योंकि उनके पास सुविधा व प्रतिभा दोनों दी हुई हैं। ऐसे में उत्कृष्ट खेल परिणामों की एशियाई व ओलंपिक खेलों में अपेक्षा रहेगी।


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