अशांति का आयात
स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा
परवाणू में दो गुटों के बीच शुरू हुआ विवाद अब उस मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां इसे खत्म करने के लिए सरकार एवं संबंधित एजेंसियों को सख्ती से निपटना होगा। जब बदमाशों और हथियारों की भरी गाडि़यां पड़ोसी राज्यों से मंगवाई जा रही हैं, तो यह दो गुटों की आपसी रंजिश से कहीं बढ़कर देवभूमि की शांतिप्रियता की बुनियादी पहचान पर हमला है। यह दीगर है कि पड़ोसी राज्यों के बिगड़ैल तत्त्व हिमाचल प्रदेश में आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, लेकिन क्या अब आपसी विवादों के समाधान हेतु हम खुद ही उन बिगडै़ल तत्त्वों को न्योता देंगे। बेशक किसी भी समाज में विवाद की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है और उससे कहीं ज्यादा संभावना उसे संवाद के जरिए सुलझाने में निहित होती है, लेकिन विवाद को मिटाने के जो विकल्प परवाणू में चुने जा रहे हैं, तो ये संभवतः किसी भी सभ्य समाज में सबसे घटिया एवं अस्वीकार्य विकल्प माने जाएंगे। गनीमत यह रहा कि खुफिया एजेंसियों या पुलिसिया तंत्र की सजगता के कारण हथियारों से लैस होकर हरियाणा से आई कार जब्त कर ली गई, वरना यह शरारत न जाने क्या करामात दिखा जाती। प्रदेश सरकार और कानून-व्यवस्था को सुनिश्चित करने वाली एजेंसियों को अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन को लेकर अब और भी गंभीर होना होगा, ताकि ऐसे खुराफाती मंसूबों को किसी भी सूरत में अंजाम न दिया जा सके।
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