आरक्षण में जलता देश

By: Jul 31st, 2018 12:05 am

रीमा कौंडल, जवाली

आखिरकार आरक्षण की मांग ने एक बार फिर देश को आग की भट्ठी में झोंक दिया। मराठों की आरक्षण की मांग से पुणे भी बच नहीं पाया है। प्रदर्शनकारियों ने 6 बसों को आग के हवाले कर दिया है। आजाद भारत में आरक्षण की मांगें दिन प्रति दिन परवान चढ़ती जा रही हैं। संविधान में आरक्षण की व्यवस्था इसलिए की गई थी कि निम्न जातियों को सुरक्षित महसूस करवाया जा सके, परंतु अब आरक्षण को लेकर हो रही ऐसी गतिविधियों ने संविधान में आरक्षण की व्यवस्था को ही सवालिया बना दिया है। कभी जाट, और कभी गुर्जरों की आरक्षण की मांग के चलते आग में जलते देश को देखकर आरक्षण का प्रावधान बेईमानी लगने लगा है। आरक्षण प्रदान करने की कुछ सीमाएं हैं, यह जानते हुए भी राजनेता अपने राजनीतिक फायदे के लिए आरक्षण देने के वादे करते हैं और जब वह वादे पूरे नहीं होते तो जनता आरक्षण को पाने के लिए सभी हदों को पार करके देश को आग के मुंह में धकेल देती है। अंततः आरक्षण की इस लड़ाई में वह सार्वजनिक संपत्ति बलि चढ़ती है जिसकी परवाह न राजनेताओं को है और न आरक्षण की मांग करने वालों को। आरक्षण की इस आग को बुझाने के लिए यदि व्यवस्था झुक जाती है, तो अगला न जाने कौन आरक्षण की मांग को लेकर खड़ा हो जाएगा। वहीं यदि आरक्षण की मांग खारिज की जाती है, तो न जाने इसमें कब तक जलना पड़ेगा।

 


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