खेलो इंडिया तक हिमाचली बालाएं

By: Jul 27th, 2018 12:05 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

अब भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने खेलो इंडिया नामक योजना के अंतर्गत प्रतिभा खोज से चयनित लगभग एक हजार किशोर खिलाडि़यों को विभिन्न खेलों के लिए हर वर्ष चिन्हित कर, उन्हें अगले आठ वर्षों तक पांच लाख रुपए सालाना वजीफा देकर उनके खेल को उच्चतम स्तर तक ले जाने का फैसला किया है…

हिमाचल प्रदेश में पिछले पांच दशकों से अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य केवल पढ़ाई में ही तलाशते आ रहे हैं। अब यह कहावत बदल रही है, जिसमें कहा जाता है ‘पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होंगे खराब।’ अब खेलों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर लाखों ही नहीं करोड़ों रुपए भी मिलते हैं, साथ मिलती है मनचाही सम्मानजनक नौकरी। देश में पहले खिलाडि़यों को अपने खेल जीवन के प्रारंभिक दौर में आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता था, क्योंकि प्रतिभावान खिलाड़ी कई लाख बच्चों में कोई एक होता है, फिर यह भी पता नहीं होता है कि वह गरीब परिवार से है या अमीर से। अधिकतर देखा गया है कि खेल योग्यता वाले प्रतिभावान बच्चे उन परिवारों से आते हैं, जो अपनी रोजी-रोटी तो प्राकृतिक रूप से प्राप्त कर रहे होते हैं, मगर खेल प्रशिक्षण जैसे खर्चीले कार्य के लिए उनके पास फालतू धन नहीं होता है।

इसलिए भी कई प्रतिभा के धनी किशोर खेलों से किनारा कर जाते थे, मगर अब भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने खेलो इंडिया नामक योजना के अंतर्गत प्रतिभा खोज से चयनित लगभग एक हजार किशोर खिलाडि़यों को विभिन्न खेलों के लिए हर वर्ष चिन्हित कर, उन्हें अगले आठ वर्षों तक पांच लाख रुपए सालाना वजीफा देकर उनके खेल को उच्चतम स्तर तक ले जाने का फैसला किया है। खेलो इंडिया विश्वविद्यालय व विद्यालय स्तर के खिलाड़ी विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई है। अगले वर्ष जनवरी, फरवरी माह में देश के महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में पढ़ रहे खिलाड़ी विद्यार्थियों के लिए नई दिल्ली में विभिन्न खेलों के खेलो इंडिया के अंतर्गत मुकाबले करवा के प्रतिभावान चयनित खिलाडि़यों को सालाना पांच लाख रुपए वजीफा मिलेगा। यह प्रतियोगिता हर वर्ष आयोजित की जाती रहेगी और चयनित खिलाडि़यों को विभिन्न खेल अकादमियों में प्रशिक्षण का प्रबंध किया जाएगा। विद्यालय स्तर पर यह प्रतियोगिता इस वर्ष नई दिल्ली में आयोजित हो चुकी है और खेलो इंडिया के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की चार बालाओं को यह वजीफा उनके प्रदर्शन के बाद अब मिल चुका है। चंबा जिला की सीमा, जो भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल छात्रावास धर्मशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है, इस योजना के अंतर्गत 3000 मीटर दौड़ के प्रदर्शन के आधार पर वजीफे की सूची में आ गई है। इसी खेल छात्रावास में कबड्डी का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही शिमला जिला की डिंपल भी खेलो इंडिया की सूची में आ गई है। राज्य खेल विभाग के खेल छात्रावास बिलासपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही शिमला जिला की सुईरी तथा सिरमौर जिला के शिलाई क्षेत्र की साक्षी भी खेलो इंडिया के वजीफे को प्राप्त करने की हकदार बनी है।

इस प्रतियोगिता में भाग लेने की योग्यता के लिए खिलाड़ी को राष्ट्रीय स्कूली खेल प्रतियोगिता के पहले आठ स्थानों में आना होगा। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय खेल महासंघ द्वारा आयोजित यूथ राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पहले चार स्थानों तक पहुंचने वाले भी खेलो इंडिया में शिरकत करने के पात्र होते हैं। जिस राज्य में खेल आयोजित हो रहे होते हैं, उस राज्य से भी एक एंट्री होती है। शेष बची एंट्री में उत्कृष्ट खिलाडि़यों के लिए जगह दी जाती है। इस तरह कुल 16 खिलाडि़यों को व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भाग लेने का प्रावधान किया हुआ है। इन 16 खिलाडि़यों में से जो खिलाड़ी चयन मापदंड के अनुसार प्रदर्शन करेगा, उसे खेलो इंडिया के वजीफे की सूची में डाल दिया जाता है। टीम स्पर्धाओं में पहली आठ टीमों के लिए यह मौका दिया जाता है। इस वजीफे के विजेता खिलाडि़यों को देश में चल रही विभिन्न भारतीय खेल प्राधिकरण, राज्य खेल विभाग तथा प्रतिष्ठित निजी अकादमियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस पांच लाख रुपए में से खिलाड़ी की खुराक, रहना, प्रतियोगिता के समय दैनिक व यात्रा भत्ता तथा किट के साथ-साथ तीस हजार रुपए जेब खर्च, जो हर तीन महीनों में एक बार मिलेगा, यानी दस हजार रुपए प्रति महीना। इस तरह प्रतिभावान खिलाडि़यों को अब प्रशिक्षण के लिए धन व सुविधा से वंचित नहीं होना पड़ेगा। इस वर्ष स्कूली खेलो इंडिया वजीफा चयन प्रतियोगिता से लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक बालक तथा इतनी ही बालिकाओं को चयनित कर सूचीबद्ध कर दिया है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में चयनित होकर खिलाड़ी को वहां भी खाना व रहना तथा किट निःशुल्क मिलता है। इसलिए खेलो इंडिया के चयनित खिलाड़ी को जेब खर्च मिलता रहेगा। अति प्रतिभावान खिलाडि़यों को खेल मंत्रालय की टॉपर्स स्कीम में चयनित किया है।

इस स्कीम में आने वाले खिलाड़ी को चालीस लाख सालाना अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम पर खर्च करने के लिए मिलते हैं। इससे वह अपने लिए खाने व रहने के साथ-साथ प्रशिक्षक, फिजियों व अन्य सुविधाओं की फीस भी दे सकता है। इसके साथ-साथ पचास हजार रुपए जेब खर्च हर महीने मिलता है, जिसका कोई हिसाब खेल मंत्रालय को नहीं देना होता है। मगर यह योजना एक वर्ष के बाद दोबारा पुनः अवलोकित करने के बाद शुरू या खत्म भी की जाती है। इसलिए जब खिलाड़ी इस योजना से बाहर हो जाएगा, तो उसे खेलो इंडिया वाली सुविधा आठ वर्ष खत्म होने तक मिलती रहेगी। जब भारत सरकार द्वारा पूरी आर्थिक किलेबंदी है, तो अब भारतीय खिलाडि़यों को ओलंपिक तथा विश्व प्रतियोगिता में अधिक से अधिक स्वर्ण पदक जीतकर तिरंगे को सबसे ऊपर उठाते हुए राष्ट्रगान की धुन पूरे विश्व को सुनानी भी चाहिए।


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