चचियां में छावनी के लिए बदलना पड़ेगा लैंड यूज

By: Jul 2nd, 2018 12:20 am

कैबिनेट की बैठक में जाएगा मामला, गृह मंत्रालय ने सरकार से मांगे हैं 88 हेक्टेयर

शिमला— पालमपुर के चचियां में सेना छावनी बनाने के लिए पहले चाय बागान वाली भूमि का लैंड यूज बदलना पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जिस भूमि की मांग की है, वह मौजूदा समय में चाय बागान किस्म की है। इसके चलते मंत्रालय द्वारा मांगी गई जमीन का लैंड यूज बदलने का मामला कैबिनेट में लाया जाएगा। इसके लिए राजस्व विभाग ने कसरत शुरू कर कर दी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही छावनी के लिए गृह मंत्रालय को भूमि देने का रास्ता साफ होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर सेना छावनी स्थापित करने के लिए 88 हेक्टेयर जमीन मांगी गई है। इस संबंध में गृह मंत्रालय से आए पत्र को राजस्व विभाग के पास भेजा गया है। जिस जमीन की रक्षा मंत्रालय ने मांग की है, वह राजस्व रिकार्ड में चाय बागान किस्म की है। हिमाचल प्रदेश लैंड सिलिंग एक्ट-1972 चाय बागान वाली भूमि का इस्तेमाल अन्य गतिविधियों के लिए करने की इजाजत कतई नहीं देता। इस बारे में राजस्व विभाग की ओर एक नोट तैयार कर कैबिनेट में लाया जाएगा। इसके बाद सरकार यहां के लैंड यूज को बदलने की अनुमति देगी और तभी यह जमान गृह मंत्रालय को ट्रांसफर की जा सकेगी। वैसे यह माना जा रहा है कि राज्य सरकार इसके लिए आसानी से अनुमति दे सकती है। सेना छावनी स्थापित करने का मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। यही नहीं राज्य सरकार भी समय-समय पर केंद्र सरकार के समय हिमाचल की सीमाओं की सुरक्षा को पुख्ता करने की मांग करती रही है। राज्य सरकार चंबा जिला में आईटीबीपी की तैनाती की मांग लंबे समय से कर रही है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय के चचियां में सेना छावनी बनाने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं हो सकती है।

प्रदेश में आठवीं छावनी

राज्य सरकार यदि इस छावनी बनाने को अनुमति देती है तो हिमाचल में यह आठवीं सेना छावनी होगी। मौजूदा समय में हिमाचल में सेना की शिमला के जतोग, कसौली, सुबाथू, डगशाई, योल, बकलोह और डलहौजी में छावनियां है।

क्या कहता है लैंड सिलिंग एक्ट

हिमाचल प्रदेश लैंड सिलिंग एक्ट-1972 चाय बागान वाली भूमि का इस्तेमाल अन्य गतिविधियों के लिए करने की इजाजत कतई नहीं देता। इससे चाय बागानों को बेचना भी संभव नहीं है। इसके चलते अब सरकार ही इसका लैंड यूज बदलने को लेकर फैसला ले सकती है। यह मामला राजस्व विभाग से भी जुड़ा हुआ है।

कांगड़ा जिला में इसलिए भी जरूरी

कांगड़ा जिला सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। इसके साथ ही पंजाब का क्षेत्र लगता है, जहां के पठानकोट जैसी आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं, वहीं कांगड़ा जिला के साथ ही अतिसंवेदनशील जिला चंबा भी है। चंबा के साथ ही जम्मू-कश्मीर लगता है। ऐसे में पालमपुर में छावनी बनाकर सेना द्वारा इस पूरे क्षेत्र को सुरक्षित बनाने की योजना है।

कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी

पूर्व सरकार के समय में चाय बागानों का लैंड यूज पर्यटन गतिविधियों के बदलने की अनुमति देने का एक प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन राज्य सरकार अपनी इसे अमलीजामा नहीं पहना पाई।


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