जीएसटी से हिमाचल कंगाल

By: Jul 2nd, 2018 12:10 am

नई कर प्रणाली लागू होने से प्रदेश को टैक्स से होने वाली कमाई रह गई आधी

शिमला— वैल्यू एडिड टैक्स (वैट) के मुकाबले जीएसटी की नई कर प्रणाली से हिमाचल का राजस्व आधा रह गया है। इससे हिमाचली कारोबार को तगड़ा झटका लगा है और टैक्स से आमदन प्रति माह अढ़ाई सौ करोड़ रह गई है। जीएसटी लागू होने से पहले हिमाचल सरकार को टैक्स से सालाना 4300 करोड़ राजस्व प्राप्त हो रहा था। इस वर्ष 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। बावजूद इसके जीएसटी के कहर से टैक्स वसूली की राशि 2179 करोड़ रह गई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी कर प्रणाली से सबसे बुरी हालत हिमाचल की हुई है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी है। इसके विपरीत तेलंगाना वैट के मुकाबले जीएसटी से अधिक राजस्व प्राप्त कर रहा है। केंद्र सरकार ने जीएसटी की पुनर्समीक्षा के लिए 20 जुलाई से दिल्ली में बैठक बुलाई है। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के जीएसटी सिस्टम पर सबसे गहन चर्चा की उम्मीद है। तकनीकी खामियों के चलते हिमाचल प्रदेश में जीएसटी प्रभावी ढंग से शुरू नहीं हो पाया है। जाहिर है कि आईटी बेस्ड जीएसटी की तमाम सूचनाएं ऑनलाइन नेट पर उपलब्ध रहती हैं। हिमाचल में नेट की व्यवस्था बेहतर न होने के कारण एमआईएस की डिटेल रिपोर्ट नहीं आती है। इस कारण सूचना के अभाव में व्यापारियों और विभाग के बीच जीएसटी को लेकर तालमेल बिठाना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में उत्पादों की खपत और उपभोक्ताओं की संख्या दूसरे राज्यों के मुकाबले कम है। इन कारणों से हिमाचल को जीएसटी से झटका लगा है। जाहिर है कि गात बर्ष पहली जुलाई को आई जीएसटी की सुनामी ने हिमाचल प्रदेश को कंगाली की राह पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस नई कर प्रणाली से राज्य के राजस्व में हैरतअंगेज 47 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। बताते चलें कि केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर जयराम सरकार को इस बारे में सतर्क भी कर दिया है। केंद्र को हिमाचल के साथ अपनी केंद्रीय हिस्सेदारी कम होने की चिंता है। इस कारण केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने हिमाचल सरकार से यह मामला प्रमुखता से उठाया है। अपने पत्र में राजस्व सचिव ने कहा है कि हिमाचल सरकार को जीएसटी प्रणाली प्रभावी रूप से लागू करनी होगी। जीएसटी में राज्य और केंद्र दोनों की हिस्सेदारी है। लिहाजा इस नई कर प्रणाली में फिसड्डी साबित हो रहे हिमाचल से केंद्रीय हिस्सा भी प्रभावित होगा। इसके अलावा अगले तीन साल बाद हिमाचल सरकार को अपने संसाधनों से जीएसटी जुटाकर व्यवस्था का निर्वहन करना पड़ेगा। केंद्र सरकार की इस चिट्ठी के बाद हिमाचल सरकार हरकत में आ गई है। हिमाचल सरकार को नई कर प्रणाली से 248 करोड़ का टैक्स प्रतिमाह मिल रहा है। इससे पहले वैट के माध्यम से हर महीने सरकारी खजाने में 359 करोड़ आ रहे थे। अब 4300 करोड़ का सालाना राजस्व घटकर 2179 करोड़ रह गया है। हालांकि पहली अप्रैल,2018 से राज्य सरकार ने टैक्स वसूली के लिए 14 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ नया लक्ष्य निर्धारित किया है। बावजूद इसके परिणाम बिलकुल विपरीत आ रहे हैं। केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू होने के बाद अगले चार साल तक टैक्स प्राप्ति के अंतर की भरपाई का आश्वासन दिया है। लिहाजा पहली जुलाई, 2017 को लागू इस कर प्रणाली के घाटे की भरपाई वर्ष 2021 तक ही होगी।


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