धन विधेयक राज्य सभा में पेश नहीं किया जाता

By: Jul 4th, 2018 12:05 am

दोनों सदनों की सापेक्ष भूमिका

संसद के दोनों सदनों को, सिवाय वित्तीय और मंत्रिमंडल के उत्तरदायित्व के मामलों के जो पूर्णतया लोक सभा  के अधिकार क्षेत्र में हैं, सभी क्षेत्रों में समान शक्तियां एवं ऊर्जा प्राप्त है। राज्य सभा की शक्तियां निम्न प्रकार सीमित हैं।

कोई धन विधेयक राज्य सभा में पेश नहीं किया जा सकता।

राज्य सभा किसी धन विधेयक को अस्वीकृत करने अथवा उसमें संशोधन करने की सिफारिश ही कर सकती है। यदि ऐसा विधेयक चौदह दिनों की अवधि के भीतर लोक सभा को लौटाया नहीं जाता, तो उसे  उक्त अवधि के समाप्त हो जाने पर लोक सभा द्वारा पास किए गए रूप में दोनों सदनों द्वारा पास किया गया माना जाता है।

कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं, इसका फैसला लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।

राज्य सभा वार्षिक विवरण पर विचार कर सकती है, इसे अनुदानों की मांगों को अस्वीकृत करने की शक्ति प्राप्त नहीं है।

राज्य सभा को मंत्रिपरिषद में अविश्वास का प्रस्ताव पास करने की शक्ति प्राप्त नहीं है।

परंतु इसका यह अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए कि लोक सभा की तुलना में राज्य सभा कम महत्त्व रखती है अथवा इसे द्वितीय स्थान दिया जाता है। धन विधेयकों को छोड़कर अन्य सब प्रकार के विधेयकों के मामले में राज्य सभा की शक्तियां लोक सभा के बराबर हैं। कोई भी गैर-वित्तीय विधेयक अधिनियम बनने से पूर्व दोनों  में से प्रत्येक सदन द्वारा पास किया जाना आवश्यक है, राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने, उप-राष्ट्रपति को हटाने संविधान में संशोधन करने और उच्चतम न्यायालय एवं  उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने जैसे महत्त्वपूर्ण मामलों में राज्य सभा को लोक सभा  के समान शक्तियां प्राप्त हैं। राष्ट्रपति के अध्यादेशों, आपात की उद्घोषणा और किसी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था  के विफल है।


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