लोजपा भी दिखाने लगी केंद्र सरकार को आंखें

By: Jul 28th, 2018 12:04 am

नई दिल्ली— शिव सेना के बाद अब केंद्र सरकार में मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अपने तेवर सख्त कर लिए हैं। शुक्रवार को पार्टी ने साफ कहा कि भाजपा को समर्थन मुद्दों पर आधारित है। पार्टी ने दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ कानून में सख्त प्रावधान करने तथा नौ अगस्त तक एनजीटी के अध्यक्ष एके गोयल को पद से हटाने की मांग की है। पार्टी सांसद और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी के भीतर कई लोगों का धैर्य अब जवाब दे रहा है क्योंकि दलितों एवं आदिवासियों को लेकर चिंताएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि साल 2014 में भाजपा और लोजपा के बीच गठजोड़ के मूल में इन समुदायों के हितों की रक्षा करने का विषय था। चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग पिछले चार महीने से कर रही है, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि केंद्र से एससी/एसटी ऐक्ट को फिर से संसद में बिल के तौर पर सात अगस्त को पेश करने के लिए कहा गया है, जिससे पूर्व कानून को बहाल किया जा सके। चिराग ने आगे कहा कि दो अप्रैल के विरोध प्रदर्शनों की तुलना में नौ अगस्त को प्रदर्शन ज्यादा उग्र हो सकता है। यह पूछे जाने पर कि अगर नौ अगस्त तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तब क्या उनकी पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने पर विचार करेगी? लोजपा नेता ने कहा कि जब समय आएगा तब हम कदम उठाएंगे। आपको बता दें कि कानून को मूल स्वरूप में बहाल करने की मांग को लेकर कई दलित संगठनों एवं आदिवासी समूहों ने 10 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। चिराग ने कहा है कि अगर सरकार ने उचित कार्रवाई नहीं की तो दलित सेना भी 10 अगस्त को प्रदर्शन में शामिल हो सकती है। आपको बता दें कि लोकसभा में लोजपा के छह सांसद हैं और बिहार में दलितों के बीच पार्टी का बड़ा जनाधार है। 2014 में भाजपा के साथ हाथ मिलाने से पहले पार्टी यूपीए में शामिल थी।


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