एससी/एसटी 1000 साल से पिछड़े

By: Aug 4th, 2018 12:08 am

प्रोमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू,  अटॉर्नी जनरल ने रखा पक्ष

नई दिल्ली— सुप्रीम कोर्ट में प्रोमोशन में एससी/एसटी रिजर्वेशन से जुड़े 12 साल पुराने नागराज जजमेंट पर सुनवाई चल रही है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते एससी/एसटी के लिए प्रोमोशन में आरक्षण रुक गया है। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रोमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से झेल रहा है। उन्होंने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा की जरूरत है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि एससी/एसटी तबके को आज भी प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि 2006 के फैसले पर पुनर्विचार की तत्काल जरूरत है। केंद्र ने कहा कि एससी/एसटी पहले से ही पिछड़े हैं इसलिए प्रोमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए अलग से किसी डाटा की जरूरत नहीं है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जब एक बार उन्हें एससी/एसटी के आधार पर नौकरी मिल चुकी है तो पदोन्नति में आरक्षण के लिए फिर से डाटा की क्या जरूरत है? वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2006 के नागराज फैसले के मुताबिक सरकार एससी/एसटी को प्रोमोशन में आरक्षण तभी दे सकती है जब डाटा के आधार पर तय हो कि उनका प्रतिनिधित्व कम है और वे प्रशासन की मजबूती के लिए जरूरी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अटॉर्नी जनरल से कहा कि बताया जाए कि नागराज जजमेंट में दिया वह व्यवस्था कैसे गलत है कि आरक्षण देने से पहले उनका सामाजिक आर्थिक डाटा देखा जाए कि वे पिछड़ेपन के शिकार हैं या नहीं। वहीं राज्यों और एससी/एसटी एसोसिएशनों ने दलील दी थी कि क्रीमी लेयर को बाहर रखने का नियम एससी/एसटी पर लागू नहीं होता। सरकारी नौकरी में प्रोमोशन दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये संवैधानिक जरूरत है। वहीं हाई कोर्ट के आदेशों का समर्थन करने वालों की दलील थी कि सुप्रीम कोर्ट के नागराज फैसले के मुताबिक इसके लिए ये साबित करना होगा कि सेवा में एससी/एसटी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसके लिए डाटा देना होगा।


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