बांस की खेती से सुदृढ़ करें आर्थिकी

By: Aug 26th, 2018 12:05 am

नौणी —प्रदेश के किसानों के दिन अब बहुरेंगे। आमतौर पर प्रदेश के निम्न उंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाले बांस से भी किसान अपनी आर्थिकी की सुदृढ़ कर सकते हैं। देश भर में बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की ओर से  सब्सिडी देने का प्रावधान है। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से नेशनल बैंबू मिशन के तहत पहली बार किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। यह सब्सिडी वन विभाग की ओर से सर्वे के आधार पर दी जाएगी। सच्चाई यह है कि यह बात विरले ही लोग जानते हैं कि बांस की खेती कर भी अच्छी खासी कमाई की जा सकती है। प्रदेश में बांस की विभिन्न किस्मों पर नौणी विवि के वैज्ञानिकों द्वारा शोध किया जा रहा है। इसमें खासतौर पर इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि प्रदेश के किस जिला में किस प्रजाति के बांस की पैदावार की जा सकती है और इसके किसानों को क्या फायदें मिलेंगे। गौर रहे कि बांस घास परिवार की एक प्रजाति है। पूरे संसार में इसकी लगभग 1250 प्रजातियां है, जिनमें से 136 प्रजातियां भारतवर्ष में पाई जाती है। भारत में प्रायः बांस को गरीब आदमी का सोना  कहा जाता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांस को पेड़ की श्रेणी से घास की श्रेणी में ट्रांसफर करते समय संबोधाता और साथ इसी गरीब आदमी का सोना कहा था।  विश्व के बांसों का सर्वाधिक संसाधन भंडार भारतवर्ष में ही विद्यमान होने के बावजूद देश में केवल 13.47 मिलियन टन बांस का उत्पादन किया जाता है। यह उत्पादन कुल खपत का लगभग आधा ही है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से इसे बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि बांस की खेती किसानों के लिए लाभदायक एवं उपयोगी है। वैसे भी बांस, घरेलू तथा औद्योगिक दोनों की तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाता है। अपने खास गुणों के कारण बांस ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बांस की तेजी से बढ़ती हुई मांग तथा जनसं या वृद्धि के फलस्वरूप बांस के प्राकृतिक वन समाप्त हो रहे हैं। इसलिए ग्रामीण कुटीर उद्योगों तथा लुग्दी के लिए कच्ची सामग्री की अत्यंत कमी महसूस की जा रही है। इसी की पूर्ति करने के लिए सरकार की ओर से इस पर सब्सिडी तक का प्रावधान किया गया है। वन उपयोग व उत्पादन विभाग नौणी विश्वविद्यालय से वन विद्या पर पीएचडी कर चुके और नेशनल बैंबू मिशन के तहत रिसर्च एंड डव्लपमेंट में कार्यरत डा. योगेश यादवराव सुमठाणे का कहना है कि बांस एक बहुत ही उपयोगी घास है। हाल ही में इसे सरकार द्वारा पेड़ की श्रेणी से घास की श्रेणी में तब्दील किया गया है। केंद्र सरकार इसकी खेती के प्रोत्साहन के लिए सब्सिडी दे रही है। हिमाचल प्रदेश के किसान बांस की खेती कर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App