संजोए जाएंगे पुराने रीति-रिवाज

By: Aug 17th, 2018 12:05 am

 बिलासपुर —प्राचीन स्मृतियों की उत्कृष्ट धरोहर संजोए बिलासपुर जिला का अपना गौरवमयी इतिहास रहा है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं के अतिरिक्त प्राचीन रीति-रिवाजों की समृद्ध परंपराओं को जीवंत स्वरूप प्रदान करने की दिशा में व्यापक पग उठाए जाएंगे। यह जानकारी सहायक आयुक्त उपायुक्त सिद्धार्थ आचार्य ने गुरुवार को पुरानी राहों से सांस्कृतिक परिधि योजना के तहत आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने कहा कि जिला की विलुप्त हो रही प्राचीन लोक सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, सवंर्द्धन और प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी व गैर सरकारी सदस्यों की समिति का गठन किया गया है जो इस योजना के बेहतर कार्यान्वयन के लिए सहयोग व सुझाव देगी। उन्होंने कहा कि प्राचीन लोक सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए आज पुरानी राहों से सांस्कृतिक परिधि योजना अत्यंत कारगर भूमिका का निर्वहन करेंगी। उन्होंने उक्त योजना के संदर्भ में बताया कि आमजन विशेषकर भावी पीढ़ी और पर्यटकों को प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित व जागरूक करने के लिए इस योजना को शीघ्र ही अमलीजामा पहनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत प्रयास किया जाएगा कि जिला की पौराणिक लोकगाथाओं, विशिष्ट व्यक्तित्वों, स्मारकों व प्राचीन मंदिरों अथवा देवालयों, हस्तशिल्प, ललित कलाओं व पुरातत्व दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थलों, कलाकृतियों व पर्यटन की दृष्टि से अनछुए स्थलों को प्रचारित करके पर्यटन के क्षेत्र को भी विकसित किया जाएगा। सिद्धार्थ आचार्य ने कहा कि महर्षि व्यास, ऋषि मार्कंडेय, बाबा नाहर सिंह, बाबाबालक नाथ व उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ नयनादेवी आदि धार्मिक स्थलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिला में धार्मिक पर्यटन की आपार संभावनाएं मौजूद हैं जिन्हें इस दिशा में कार्य योजना बनाकर विस्तार देने के प्रयास किए जाएंगे। श्रद्धालुओं अथवा पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए बेहतर सुविधाएं जुटाने की दिशा में भी प्रयास किए जाएंगे, ताकि पर्यटक अन्य पर्यटन स्थलों की अपेक्षा बिलासपुर में ठहराव करना उचित समझें, जिससे स्थानीय लोगों विशेषतया बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर सुलभ हो सके।


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