अल्पसंख्यकों को भूल गई सरकार

By: Sep 18th, 2018 12:05 am

 चंबा  —आल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के हितों तथा उत्थान के प्रति उदासीन है और नौ महीने की अवधि में प्रदेश प्रशासन द्वारा उनकी कोई भी न्यायोचित मांगों पर विशेष ध्यान ही नहीं दिया गया, जिस कारण अल्पसंख्यक समुदाय के विकास पर विराम लग गया है। पांवटा साहिब के गांव क्यारदा में हुई बैठक में आल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष नसीमद्दीन की अध्यक्षता में कार्यकारिणी ने एकजुट होकर यह मांग उठाई कि सरकार जल्द समुदाय के लोगों की मांगों को पूरा करे। मांगों का हवाला देते हुए कहा गया कि प्रधानमंत्री का नया 15 सूत्री कार्यक्रम कि आज तक प्रदेश स्तर पर एक भी बैठक नहीं बुलाई गई जबकि नियम अनुसार तीन माह में एक बैठक बुलाना अनिवार्य है। इसी प्रकार राज्य पिछड़ा जाति आयोग का गठन भी एक साल से लंबित पड़ा है और जन समस्याओं से संबंधित फाइलें दफन हो कर रह गई हैं जिस कारण इस समुदाय के लगभग 90 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं नसीम दिदान ने कहा कि बड़े खेद का विषय है कि प्रदेश सरकार उर्दू भाषा अध्यापकों के खाली पड़े 68 पदों को भरने में भी नाकाम रही है, जिस कारण उर्दू पढ़ने वाले छात्र उर्दू शिक्षा से महरूम है और जरूरतमंद बेरोजगार युवक रोजी-रोटी कमाने से वंचित रह रहे हैं। सत्ता का हवाला देते हुए नसीम ने कहा कि यह बहुत बड़ी विडंबना है कि भारत में हिमाचल प्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां समुदाय विशेष 70 वर्षों से सत्ता में भागीदारी से भी वंचित है। वित्तीय सहायता कर्ज देने वाले प्रदेश में अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम में एक वर्ष से अध्यक्ष व निदेशक मंडल की नियुक्तियां न होने के कारण सारा काम ठप पड़ा है।  मुख्यातिथि के रूप में आए जिला कल्याण अधिकारी विवेक अरोड़ा ने सरकार द्वारा जनहित में संचालित हितकारी योजनाओं का विस्तार से हवाला दिया उन्होंने कहा कि जिस अभिभावक की वार्षिक आय दो लाख से कम है और छात्र के पिछली यानी उत्तीर्ण कक्षा में 50 प्रतिशत से अधिक अंक हैं, वह प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, मैट्रिक कम निम्स छात्रवृत्ति पाने के लिए 30 सितंबर तक आवेदन कर सकता है।


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