दिमाग का एक बिंदु पर आना एकाग्रता है

By: Sep 29th, 2018 12:05 am

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डा. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं ‘एकाग्रता’ पर उनके विचार…

-गतांक से आगे…

जागरूकता में कोई प्रयास नहीं होता है। आप जितने मुक्त होंगे, उतने ही अमीर बन जाएंगे। वास्तविक अमीरी जीवन को अनुभव करना है। यह तब प्राप्त होता है जब आपका दिमाग स्थितियों के जरिए सीमित नहीं होता है। हमारी आसक्ति हमें सीमित रखती है। चिडि़या की भांति आजाद हो जाओ। आप जब इन्हें डरा कर भगा देते हैं तो ये उड़ जाती हैं। आप उन्हें चुग्गा देते हैं तो वे फिर आ जाती हैं। ये अपने दिमाग में कुछ भी नहीं रखती हैं। संतोष दिमाग की स्वतंत्रता है। दत्तात्रेय ने कोई झोंपड़ी नहीं बनाई। वह इस बात से सचेत थे कि आखिर में इस संसार को छोड़कर चले जाना है। वह इस सच्चाई के प्रति जागरूक थे। महान सिकंदर एक बार धूप में बैठे व्यक्ति के पास से गुजरे। वह उनके सम्मान में खड़ा नहीं हुआ। सिकंदर ने कहा कि वह एक मूर्ख व्यक्ति है। संन्यासी ने उत्तर दिया, ‘आप मेरे दास के दास हैं। आप उन इच्छाओं के दास हैं जिन पर मैं विजय पा चुका हूं।’ सिकंदर ने चाहा कि वह उनसे कोई भेंट मांग ले। आदमी ने कहा, ‘भेंट का मेरे लिए कोई मतलब नहीं है। यह केवल आपको खुशी देगा। अगर अब भी आप इसके लिए मुझ पर दबाव डालते हैं तो यहां से हट जाइए तथा धूप को मेरे लिए छोड़ दें।’ दार्शनिक अपनी जागरूकता की प्राप्ति के प्रति पूरी तरह सचेत था।

एकाग्रता

एकाग्रता एक केंद्रित उन्मुखी दिमाग है। यह एक क्षण में अन्य विचारों से मुक्त होते हुए एक केंद्र पर आना है। सब कुछ खत्म हो जाएगा अगर एक डाक्टर यह सोचने लगे कि जिस मरीज का वह इलाज कर रहा है, उससे उसे कितने पैसे मिलेंगे। मरीज और उसके रोग के सिवाय उस क्षण डाक्टर के दिमाग में अन्य कोई विचार नहीं आना चाहिए। उसके दिमाग में केवल बीमारी व उसके उपचार का ही ख्याल होना चाहिए। पैसा उसके लिए सेकेंडरी चीज होनी चाहिए। द्रोणाचार्य ने पूछा, ‘तोते का कौनसा अंग इस समय तुम्हें दिखाई दे रहा है?’ अर्जुन ने जवाब दिया, ‘केवल आंख’ तथा अपने बाण से उस आंख को भेद दिया। अर्जुन की एकाग्रता ऐसी थी कि उसे न तो पेड़ दिखाई दे रहा था और न ही उसके लक्ष्य उस आंख के सिवाय तोते का कोई अन्य अंग दिखाई दे रहा था। जब आप (लेखक को संबोधित करते हुए सोभा सिंह) अंद्रेटा में मेरे घर पर आने के लिए अपने स्थान से लेकर कार चला रहे थे तो आप केवल लक्ष्य अर्थात अंद्रेटा गांव के प्रति जागरूक थे तथा रास्ते में अन्य जो भी स्थान आए, उन्हें आप भूल गए। जब आप मुझसे मिले तो आपने अंद्रेटा तक को भुला दिया। तब आप केवल मेरे साथ हैं। आप अपने दिमाग को एक बिंदु पर एकाग्र कर रहे हैं तथा अन्य सब कुछ भूल रहे हैं। यह बौद्ध धर्म के निर्वाण अर्थात मुक्ति की तरह है जिसमें व्यक्ति एक बिंदु पर एकाग्र होकर अन्य सब कुछ को भुला देता है। एकाग्रता का यह मतलब भी हो सकता है कि आप कोई समस्या सुलझा रहे हैं। जब आप एक पेंसिल को घड़ रहे होते हैं तो आप इसकी लीड पर एकाग्र होते हैं तथा अपने चाकू को तेज-तेज चलाना शुरू कर देते हैं। आप किसी भी चीज पर एकाग्र हो सकते हैं। एक विचारक अपनी अनसुलझी समस्या पर सोचता है तथा वह अन्य के साथ होते हुए भी ऐसा कर लेता है। साधारण रूप से एक किनारे में बैठकर, जो मेडिटेशन में तथाकथित है, आप कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इसके बजाय कुछ अच्छा पढ़ें, आप कुछ विकसित होता हुआ के करीब पहुंच जाते हैं। क्यों, कहां, क्या तथा कैसे पर चिंतन करना एकाग्रता है। यह अपने केंद्र अर्थात बिंदु पर वापस आना है।


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