बड़ागांव में शहादत का तिरस्कार

By: Sep 29th, 2018 11:15 pm

शिमला—देश पर शहादत देते समय शहीद जवानों के नाम पर घोषणाओं की झड़ी तो लगा दी जाती है, लेकिन बाद में इन पर कोई अमल हुआ या नहीं, इसको कोई सुनिश्चित नहीं कर रहा। ऐसा ही शिमला जिला के कुछ शहीद जवानों के साथ भी हुआ है, जिन्हें अब एक तरह से भूला दिया गया है। कुमारसैन के बड़ागांव स्कूल का नामकरण जवान की शहादत के 17 साल बाद भी नहीं किया गया है। वहीं, रोहड़ू के बजैशल में शहीद के नाम बने स्मारक की अब कोई सुध नहीं ले रहा। चौपाल में शहीद लेफ्टिनेंट हरिसिंह के नाम से कई सालों तक होने वाला टूर्मानेंट अब इनके नाम नहीं करवाया जा रहा। देश पर मर मिटने वाले हिमाचली जवानों की तादाद अच्छी खासी है। 1965 का भारत-पाक युद्ध हो या कारगिल युद्ध, हिमाचल जवानों ने अपनी शहादत देकर इस देश को दुश्मनों से हमेशा सुरक्षित रखा है। प्रदेश के अन्य जिलों की तरह शिमला जिला में भी कई वीरों ने दुश्मनों से लड़ते-लड़ते अपनी शहादत दी है। शहीद होने पर इनके नाम पर घोषणाएं भी हुईं, लेकिन कहीं पर अमल नहीं हुआ। कुछ पर अमल हुआ भी तो अधूरे मन से हुआ। ऐसे में जहां कहीं स्मारक भी बनें तो उनको हालात कैसी है इसकी कोई सुध नहीं ले रहा। शिमला के कुमारसैन के बड़ागांव के शहीद सतीश वर्मा की याद में स्कूल का नामकरण आज तक नहीं हुआ है। 11 जुलाई 2001 को डोगरा रेजिमेंट के गुरेज सेक्टर में आपरेशन के दौरान सेना के जवानों के साथ आतंकियों की मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान बड़ागांव के सतीश वर्मा ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए तीन आतंकियों को ढेर किया। सतीश वर्मा खुद भी सेना के दो बहादुर जवानों के साथ शहीद हो गए। शहीद सतीश वर्मा की शहादत को याद करते हुए बड़ागांव वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल को उनके नाम पर रखने का ऐलान हुआ, लेकिन ऐसा न हो पाया। खैर नामकरण होने का आज भी शहीद का परिवार इंतजार कर रहा है।


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