भरमौर में संसार का एकमात्र मौत के देवता का मंदिर, हाजिरी भरनी ही पड़ेगी
भरमौर — जीते जी नहीं, तो मौत के बाद इस मंदिर में हर किसी को हाजिरी भरनी ही पड़ेगी। जी हां! भरमौर स्थित चैरासी मंदिर समूह में संसार के इकलौते धर्मराज महाराज या मौत के देवता के मंदिर को लेकर कुछ ऐसी ही मान्यता है। रोचक है कि इस मंदिर की स्थापना के बावत किसी को भी सही जानकारी नहीं है। हां, इतना जरूर है कि चंबा रियासत के राजा मेरू वर्मन ने छठी शताब्दी में इस मंदिर की सीढिय़ों का जीर्णोद्वार किया था। मान्यता है कि इस मंदिर में मरने के बाद हर किसी को जाना ही पड़ता है। चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक। मंदिर में एक खाली कमरा ह,ै जिसे चित्रगुप्त का माना जाता है। मान्यता है कि जब किसी प्राणी की मृत्यु होती है, तब धर्मराज महाराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़ कर चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत करते हैं। इसके बाद चित्रगुप्त के सामने वाले कक्ष में आत्मा को ले जाया जाता है, जहां धर्मराज की कचहरी होती है। यहां यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। मान्यता यह भी है कि मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं, जो स्वर्ण, रजत, तांबे और लोहे के हैं। धर्मराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। मंदिर के पुजारी लक्ष्मण शर्मा का कहना है कि संसार में भरमौर स्थित धर्मराज का यह इकलौता मंदिर है है और यहां धर्मराज महाराज पिंडी के रूप में विराजमान हैं।
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