हार्न तहजीब का भी मामला है

By: Sep 1st, 2018 12:05 am

शिमला  – ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए महत्वाकांक्षी अभियान हॉर्न नॉट ओके को शिमला शहर में सफलतापूर्वक लागू करने के लिए शुक्रवार को बचत भवन में जिला प्रशासन शिमला द्वारा बैठक आयोजित की गई। बैठक में निदेशक, पर्यावरण विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी डीसी राणा और जिला के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए डीसी राणा ने कहा कि हॉर्न बजाने से ध्वनि प्रदूषण होता है और इससे आदमी स्वयं ही नहीं बल्कि अन्य लोगों व संपूर्ण वातावरण को भी प्रभावित करता है। हॉर्न बजाने से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है और इससे स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं व अन्य कई तरह के दुष्प्रभाव सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि हॉर्न बजाना एक व्यवहार का विषय भी है। इसका उपयोग करने से हम ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। हॉर्न के माध्यम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने शिमला और मनाली में हॉर्न नॉट ओके अभियान को आरंभ करने का निर्णय लिया है जिसके तहत पहले दो माह तक इस अभियान के बारे में लोगों को विभिन्न माध्यमों द्वारा जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा शोर नहीं मोबाईल ऐप लॉंच की गई है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण के बारे में अपनी शिकायत संबंधित अधिकारियों को भेज सकता है। इस ऐप के माध्यम से की गई शिकायत में शिकायतकर्ता का पूर्ण विवरण गुप्त रखा जाता है। इससे पूर्व अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी शिमला प्रभा राजीव ने हॉर्न नॉट ओके अभियान की विस्तृत जानकारी देते हुए लोगों से शिमला शहर में वाहनों में हॉर्न नहीं बजाने का आग्रह करते हुए इस अभियान के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने विभिन्न स्कूलों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों से हॉर्न नॉट ओके अभियान को सफल बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने का भी आग्रह किया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अधिकारियों, शैक्षणिक संस्थानों के प्रधानाचार्यों/प्रतिनिधियों तथा टैक्सी ऑपरेटर यूनियनों के प्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इस मौके पर विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।


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