आपाधापी और बेशर्मी बनी पहचान

By: Oct 18th, 2018 12:09 am

पीके खुराना

लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं

‘मी टू’ जैसे संवेदनशील मामले में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का नाम आने के बावजूद सरकार बेशर्मी से उनका बचाव कर रही है। अमित शाह के बेटे जयशाह का घोटाला तो बहुचर्चित हुआ ही, उसके अलावा मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला तो 60 से अधिक गवाहों की जान ले चुका है। इस घोटाले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी शामिल है। राजस्थान में तो घोटालों की लाइन लगी रही, लेकिन कहीं भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो भी भाजपा दूध की धुली है…

अंगेजी उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल का प्रसिद्ध उपन्यास ‘नाइंटीन एटी फोर’ यानी  ‘1984’  का मुख्य किरदार विंस्टन स्मिथ ‘बिग ब्रदर’ की सरकार का कर्मचारी है। इस सरकार के नारे हैं-‘युद्ध में ही शांति है’, ‘दासता में ही स्वतंत्रता है’ और ‘अज्ञानता में ही ताकत है’। इस सरकार के चार मंत्रालय हैं, पहला ‘प्रेम का मंत्रालय’। यह मंत्रालय कानून-व्यवस्था कायम रखता है। दूसरा ‘शांति का मंत्रालय’ जिसका काम युद्ध में लगे रहना है। इसका नियम है कि दुश्मन गढ़ लो और युद्ध करो। तीसरा ‘सत्य का मंत्रालय’ है, जो हर झूठी-सच्ची सरकारी खबर को सबसे बड़े सच के रूप में पेश करता है, और चौथा ‘प्रचुरता का मंत्रालय’ है जो गरीबी बांटता है, लेकिन संदेश देता है कि सब कुछ अच्छा हो रहा है और भविष्य में भी सब बेहतर ही होगा। इसका लक्ष्य यह एहसास दिलाना है कि ‘बिग ब्रदर’ ही हमेशा सही हैं, उनसे अलग विचार रखने वाले लोग अपराधी हैं, जिन्हें कुचल देना चाहिए। सन् 2014 से पहले जो लोग रुपए की गिरती कीमत को देश की गिरती साख बताते थे, वे अब कुछ नहीं बोलते। ये लोग महंगाई पर आंसू बहाते थे, अब उन्हें कहीं महंगाई नहीं दिखती। पेट्रोल-डीजल का दाम बढ़ने पर ये बताते हैं कि दाल के दाम गिर गए। जो लोग महिला पर अत्याचार को लेकर अलख जगाते थे, वेे अब रोज-रोज के बलात्कारों को धर्म और जाति की निगाह से देखने लगे हैं। काला धन वापस तो नहीं आया, लेकिन अब काले धन को लेकर तरह-तरह के बहाने हैं। पाकिस्तान और चीन को लेकर हमारी विदेश नीति में कोई स्थायित्व नहीं नजर आता, लेकिन ये लोग हमें विदेशों में भारत का डंका बजाने की बात से बहलाना चाहते हैं।

सर्जिकल स्ट्राइक के बावजूद आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना द्वारा सीमा के उल्लंघन और जान-माल के नुकसान पर इन्हें कोई अफसोस नहीं है। अब बहाना यह है कि एक हिंदू-रक्षक सिंहासन पर बैठा है, उसे कैसे हटाएं, क्या उसकी जगह मुस्लिमपरस्त और पाकिस्तानपरस्त विपक्ष को वोट दें? हां, यह सही है कि कांग्रेस ने ही नहीं, बल्कि लगभग समूचे विपक्ष ने हिंदुओं की उपेक्षा की और अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करने की गलत नीति अपनाई। यूपीए का दूसरा दौर अनिर्णय का था, घोटाले हो रहे थे, बच्चियों के शील भंग की घटनाओं से जनता त्रस्त थी। जनता ने उन्हें सजा दी और गद्दी से उतार दिया, लेकिन यदि यूपीए के समय में ये गड़बडि़यां सही नहीं थीं, तो फिर अब वे सही कैसे हो गईं? जो दल आज सत्ता में है, यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह इन गड़बडि़यों की रोकथाम करे। आज की गड़बडि़यों के लिए आज का सत्तासीन दल जवाबदेह है, कोई दूसरा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत से अच्छे काम भी किए हैं, ताबड़तोड़ घोषणाएं कीं, देश-विदेश में भारत की साख बढ़ाई, हिंदुओं में फिर से आत्मविश्वास जगाया, लेकिन कई जगह अति भी हुई। मसलन, घोषणाएं बहुत हुईं लेकिन यह नहीं देखा गया कि उन पर अमल कैसे हो, उन पर अमल के लिए संसाधन हैं भी या नहीं या संसाधन कहां से लाए जाएं, कैसे लाए जाएं।

हिंदुओं को विश्वास दिलाया गया कि उनका शोषण नहीं होगा, लेकिन मुसलमानों और ईसाइयों के विरुद्ध भड़का कर हमेशा के लिए समाज को बांट दिया और गहरी नफरत के बीज बो दिए। खुद से पूछिए कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित योजनाओं ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’, ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते योजना’, ‘अमृत योजना’, ‘हृदय योजना’, ‘नेशनल बाल स्वच्छता मिशन’, ‘प्रकाश पथ’ आदि में से आपने किसका नाम सुना है? प्रधानमंत्री ने हर सांसद को कुछ गांव ‘गोद’ लेने की सलाह दी। खुद उन्होंने सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी के चार गांवों जयपुर, नागपुर, ककरहिया और डोमरी को गोद लिया था। इसका अर्थ है कि विकास के मामले में इन गांवों का विशेष ध्यान रखा जाएगा, लेकिन साढ़े चार वर्ष बीत जाने पर भी प्रधानमंत्री की सांसद निधि से इन गांवों के विकास के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है। यह सूचना इसी वर्ष जून में एक आरटीआई के माध्यम से प्राप्त हुई है।

भाजपा का आईटी प्रकोष्ठ झूठ और सच के घालमेल से जनता को भ्रमित कर रहा है। ‘मी टू’ जैसे संवेदनशील मामले में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का नाम आने के बावजूद सरकार बेशर्मी से उनका बचाव कर रही है। अमित शाह के बेटे जयशाह का घोटाला तो बहुचर्चित हुआ ही, उसके अलावा मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला तो 60 से अधिक गवाहों की जान ले चुका है। इस घोटाले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी शामिल है। राजस्थान में तो घोटालों की लाइन लगी रही, लेकिन कहीं भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो भी भाजपा दूध की धुली है। सवाल पूछने वालों को पाकिस्तानपरस्त और देशद्रोही बताया जा रहा है। सवाल पूछने वाले सभी लोग कांग्रेसी या विपक्षी नहीं हैं, वे इस देश के नागरिक भी हैं, मतदाता हैं और सवाल पूछना उनका हक है, लेकिन सवालों का जवाब देने के बजाय सवाल पूछने वालों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अब जब चुनाव नजदीक आ गए हैं, तो सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए उनके वेतन बढ़ाए जा रहे हैं, बोनस की घोषणा की जा रही है, कई सुविधाएं दी जा रही हैं, नई नियुक्तियां हो रही हैं। इन कर्मचारियों का ध्यान सरकार को पिछले साढ़े चार वर्षों में नहीं आया, लेकिन चुनाव सिर पर आए तो सरकार जाग गई है। सरकारें जब ऐसा करती हैं, तो भूल जाती हैं कि चुनाव के समय वेतन या सुविधाएं बढ़ना कर्मचारियों के लिए इतना आम है कि इससे वोट प्रतिशत पर कोई फर्क नहीं पड़ता, वरना कोई सत्तासीन सरकार कभी सत्ता से बाहर न होती।

विकास का मुद्दा असफल होता देख इस सरकार ने धर्म ही नहीं, जाति के नाम पर भी राजनीति करने में गुरेज नहीं किया है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध जाकर नियुक्ति और प्रमोशन में दलितों को वरीयता देकर, दलितों और सवर्णों के बीच खिंची विभाजन की लकीर को और गहरा कर दिया है। स्पष्ट है कि यह सरकार भी सिर्फ  वोट बैंक की राजनीति कर रही है और जनता की निगाह में प्रधानमंत्री मोदी बेशक एक हिंदूपरस्त प्रधानमंत्री हों, लेकिन मोदी की निगाह में कोई हिंदू, हिंदू नहीं है, बल्कि वह ‘हिंदू वोट बैंक’ का हिस्सा मात्र है। कर्मचारियों सहित वोट बैंक के विभिन्न वर्गों को खुश करने की आपाधापी और घोटालों तथा महिला अपराधों पर कार्रवाई न करने की बेशर्मी अब इस सरकार की मुख्य पहचान है।

 ईमेलःindiatotal.features@gmail.

 


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