जरूरी है खेल कैलेंडर के लिए समन्वय

By: Oct 5th, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

बच्चों को खेलों में भी भाग लेने के लिए उचित अवसर चाहिए होता है। आज जब खेल संघ, खेल  विभाग तथा स्कूली क्रीड़ा परिषद अपने-अपने स्तर पर इन खिलाडि़यों के लिए विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताएं धन खर्च कर करवा रही है तो फिर यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि खिलाड़ी विद्यार्थी यह सब प्रतियोगिताएं अलग-अलग समय में खेलें…

हिमाचल प्रदेश में खेल अभी तक अपने शैशव काल से आगे नहीं जा पा रहे हैं। राज्य में विभिन्न विभागों, शिक्षा संस्थानों व खेल संघों द्वारा आयोजित खेल प्रतियोगिताओं का आपस में टकराव हो जाने के कारण खेल प्रतिभाओं को सही समय पर सही मंच नहीं मिल पा रहा है। राज्य में स्कूल स्तर पर, खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक की प्रतियोगिताओं को स्कूली क्रीड़ा परिषद हर वर्ष करवाकर फिर राष्ट्रीय स्कूली खेलों में अपनी टीम भेजती है। इसी तरह खेल विभाग भी महिलाओं तथा अगर 16 आयु वर्ग के किशोरों के लिए राज्य में पहले केंद्र की सहायता से और अब स्वयं विभिन्न खेलों की राज्य स्तर तक खेल प्रतियोगिताएं करवा रहा है। इसके साथ-साथ प्रदेश व देश में खेलों के लिए उत्तरदायी खेल संघ जिला स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताआें का संचालन करते हैं। इसी तरह विभिन्न विभाग अपनी-अपनी विभागीय खेल प्रतियोगिताएं अपने कर्मचारियों के लिए करवाते हैं। जब भी खेल कैलेंडर बने तो इन सब को आपस में तालमेल बिठाकर इस तरह से प्रतियोगिताओं की तिथियां घोषित करनी चाहिए कि वे आपस में न टकराएं। शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थी खिलाडि़यों के सामने विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के साथ-साथ परीक्षाओं की तिथियों का भी टकराव होता है। 31 अक्तूबर से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एथलेटिक प्रतियोगिता राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर में आयोजित हो रही है। इसी समय रोहतक में उत्तर भारत एथलेटिक प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय क्रास कंट्री प्रतियोगिता के लिए गए प्रदेश के चुनिंदा अच्छे नौ धावक व छह धाविकाएं भी अभी रास्ते में ही होंगी। इस तरह जब प्रदेश के अच्छे धावक व धाविकाएं राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने जाएगी तो आप फिर क्या दोयम दर्जे के धावकों व धाविकाओं के लिए यह प्रतियोगिता करवाने जा रहे हैं। इस वर्ष खेलो इंडिया की खेल प्रतियोगिताएं विश्वविद्यालय व स्कूली स्तर पर जल्दी होने के कारण भी सभी खेल प्रतियोगिताएं जल्दी-जल्दी से खत्म की जा रही हैं।

क्या इस सबके लिए पहले से आपस में तालमेल नहीं बिठाया जा सकता था। जब विभिन्न जगहों पर एक ही खिलाड़ी के लिए खेल प्रतियोगिताएं एक ही समय में भाग लेना कैसे संभव हो सकता है। इस परिस्थिति में खिलाड़ी के मन में एक कशमकश सी पैदा हो जाती है कि वह किस प्रतियोगिता में भाग ले। प्रदेश में ऐसा वातावरण क्यों तैयार किया जा रहा कि खिलाड़ी एक ही प्रतियोगिता में भाग ले, जबकि उसने अपना अच्छा प्रदर्शन दिखाने के लिए पूरा वर्ष लगातार कठिन परिश्रम पूरी ईमानदारी के साथ किया होता है। इस तरह के हालात निश्चित रूप से खिलाडि़यों पर बुरा मानसिक असर डालते हैं। उत्कृष्ट खेल परिणाम लाने के लिए जब खिलाड़ी पूरा वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरता है तो फिर उसे अपना प्रदर्शन दिखाने के लिए वर्ष में विभिन्न स्तरों पर खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी भी सुनिश्चित होनी चाहिए। खिलाड़ी अगर अधिक खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेता है तो उसके आत्मविश्वास में काफी इजाफा होता है, उसका खेल प्रदर्शन प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता सुधरता जाता है। इसलिए विभिन्न संस्थाओं को मिल बैठकर इस महत्त्वपूर्ण विषय पर विवेचन करना चाहिए।

खेल संघों को चाहिए कि वह अपनी राज्य व राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं की तिथियां स्कूली खेल परिषद व विश्वविद्यालय खेल परिषद को उनकी सालाना बैठक से पहले दे दें, ताकि वह अपना खेल कैलेंडर बनाती बार उन तिथियों को ध्यान में रख सकें। स्कूली व विश्वविद्यालय खेल परिषदों को अपने स्कूली बोर्ड व विश्वविद्यालय की वार्षिक व सेमेस्टर परीक्षाओं की तिथियों को भी ध्यान में रखकर खेल कैलेंडर बनाना चाहिए। आज प्रदेश में खिलाडि़यों को जहां स्तरीय प्ले फील्ड विभिन्न खेलों में उपलब्ध है, वहीं पर एक से अधिक खेल प्रतियोगिताएं भी मिली रही हैं, मगर उन खेल प्रतियोगिताओं की तिथियों में हो रहे टकराव के कारण खिलाड़ी एक समय में केवल एक ही प्रतियोगिता में भाग ले पा रहा है। प्रदेश में विभिन्न विभाग अपनी विभागीय खेल प्रतियोगिताएं केवल औपचारिकता मात्र के लिए करवाते हैं, मगर शिक्षा संस्थान स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक वास्तव में ही भविष्य के अच्छे नागरिकों व उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों के लिए फिटनेस व खेल प्रशिक्षण के लिए उत्तरदायी है।

वैसे भी आज जब प्रदेश का लगभग हर बच्चा स्कूल जा रहा है तो उसे वहां पर खेलों में भी भाग लेने के लिए उचित अवसर चाहिए होता है। आज जब खेल संघ, खेल  विभाग तथा स्कूली क्रीड़ा परिषद अपने-अपने स्तर पर इन खिलाडि़यों के लिए विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताएं धन खर्च कर करवा रही है तो फिर यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि खिलाड़ी विद्यार्थी यह सब प्रतियोगिताएं अलग-अलग समय में खेलें। इस सब के लिए विश्वविद्यालय स्कूली क्रीड़ा परिषद, खेल संघों व खेल विभाग को आपस में तालमेल बिठाकर ही खेल प्रतियोगिताओं की तिथियों को निश्चित करना चाहिए, ताकि राज्य के खिलाडि़यों को उस हर खेल प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिल सके, जिसका वह वास्तविक अधिकारी है।


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