पीएम पर गालियों के डंक

By: Oct 30th, 2018 12:05 am

यह मुद्दा पहले भी उठता रहा है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी से यह सिलसिला जारी रहा है। हैरानी यह है कि कांग्रेस नेता, सोनिया और राहुल गांधी समेत, गालियों के डंक मारते रहे हैं, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी का ही नहीं, देवों के देव महादेव शिव का भी अपमान किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उज्जैन में महाकाल मंदिर में शिव के दर्शन करने आए हैं। उस आध्यात्मिक साक्षात्कार से पहले ही कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे ‘बिच्छू’ से की है। उनका कहना है कि ऐसे बिच्छू को न तो हाथ से हटाया जा सकता है और न ही चप्पल के प्रहार से मारा जा सकता है। यदि प्रहार करेंगे, तो चोट शिवलिंग को लगेगी और महादेव अपमानित होंगे। थरूर ने सफाई दी है कि ऐसा एक आरएसएस सूत्र ने ‘कैरेवान’ पत्रिका के पत्रकार से अपनी भावनाएं साझा की थीं, लिहाजा मोदी की यह तुलना पहले से ही सार्वजनिक है। उन्होंने तो उसे दोहराया भर है। यदि इसे सच भी मान लिया जाए, तो उस ‘अॅफ द रिकॉर्ड’ संवाद को दोहराने का अब औचित्य क्या था? मंशा प्रधानमंत्री के अपमान की थी, लेकिन थरूर शिवलिंग के रूपक का प्रभाव भूल गए। सिर्फ यही नहीं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र के सोलापुर में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की विधायक बेटी प्रणीति ने प्रधानमंत्री को ‘डेंगू का मच्छर’ करार दिया है। यह कौन सी राजनीतिक भाषा है? कांग्रेसियों की मर्यादाएं हदें क्यों लांघ रही हैं? बेशक यह शर्मनाक, अशोभनीय बयान ही नहीं हैं, बल्कि असंसदीय, अश्लील, अपशाब्दिक भाषा भी है। क्या गांधी-नेहरू कांग्रेस की विरासत यही है, जो आज देश देख-सुन रहा है? प्रधानमंत्री के लिए इन असंसदीय उपमाओं का तब इस्तेमाल हुआ है, जब वह जापान के प्रवास पर हैं। सोशल मीडिया से दुनिया आपस में जुड़ी है, लिहाजा जब ये अपशब्द विभिन्न देशों के लोगों तक पहुंचेंगे, तो भारत के बारे में उनकी अवधारणा क्या होगी? भारत की छवि क्या रहेगी? बेशक 2019 के आम चुनाव कुछ माह की दूरी पर हैं। क्या कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस्तेमाल अपशब्दों के आधार पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहेगी? कैसे रामभक्त, शिवभक्त हैं राहुल गांधी कि हिंदू देवी-देवताओं का सरेआम अपमान उन्हीं की पार्टी के नेता कर रहे हैं और वह खामोश हैं, निष्क्रिय हैं? लिहाजा संदेह होता है कि उन्होंने ही कांग्रेस के भीतर अघोषित तौर पर एक ‘गाली ब्रिगेड’ बना रखी है! उसका एकमात्र एजेंडा है प्रधानमंत्री मोदी को गालियां देना! क्या इन हरकतों से कांग्रेस का खोया जनाधार बहाल होगा और 2019 में पार्टी के नेतृत्व में जनादेश हासिल होगा? हमारा विश्लेषण है कि प्रधानमंत्री के लिए असंसदीय भाषा का जितना भी इस्तेमाल किया जाएगा, उनकी गरिमा पर कालिख पोत कर परोक्ष रूप से देश को अपमानित किया जाएगा, देश की जनता उतनी ही विपरीत प्रतिक्रिया देगी। कांग्रेस अतीत में यह दंश झेल चुकी है। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2007 के गुजरात चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था। नतीजतन कांग्रेस की करारी चुनावी पराजय हुई थी। शायद कांग्रेस ने वही संस्कृति सीखी है, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी को ‘बिच्छू’, ‘भस्मासुर’ और ‘नीच किस्म का आदमी’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा था। इसके अलावा, ‘कातिल’, ‘हत्यारा’, ‘यमराज’, ‘हिटलर’, ‘10 सिर वाला रावण’, ‘बंदर’, ‘सांप’ और ‘अनपढ़-गंवार’ आदि न जाने कितने असंसदीय विशेषण प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस्तेमाल किए गए हैं, लेकिन इन साढ़े चार सालों में कांग्रेस को राजनीतिक तौर पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ। 2014 तक जो भाजपा 6-7 राज्यों में ही सत्तारूढ़ थी, आज वह 19 राज्यों में सरकारें चला रही है। देश के करीब 70 फीसदी भू-भाग पर उसका प्रभाव देखा जा सकता है। और कांग्रेस रसातल की ओर बढ़ती जा रही है। शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र में लंबे वक्त तक ऊंचे पद पर रहे हैं। वह बौद्धिक और अच्छे लेखक भी हैं। फिर भी उनके मुख से गालियां या आपत्तिजनक शब्द कैसे निकल जाते हैं? बेशक प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी कांग्रेस नेताओं के लिए अभद्र, असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया है, लेकिन उसके मायने यह नहीं हैं कि देश के प्रधानमंत्री को सरेआम गालियां दी जाएं। वह देश का ‘प्रथम पुरुष’ होता है। भारत की संस्कृति इतनी सशक्त और समृद्ध है कि हमें आदरणीय रिश्तों के बारे में संस्कार देती रही है। एक अदद चुनाव के मद्देनजर हम उन संस्कारों को क्यों छोड़ें?


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