सैलानियों पर बुरी नजर

By: Oct 30th, 2018 12:05 am

फिर हिमाचली पर्यटन का चरित्र दागदार हुआ और अंतरराष्ट्रीय ख्याति पर कालिख पुत गई। मनाली ने खुद को ऐसे पाप का पुनः भागीदार बना लिया जो हिमाचली फितरत का प्रतिनिधित्व कतई नहीं करता। रूसी महिला पर्यटक से पहले इसी साल एक जापानी सैलानी भी मनाली में बलात्कार का शिकार हो चुकी है। पिछले कुछ सालों में इस तरह की घटनाओं में हुई वृद्धि से जो भी मायने निकालें, लेकिन यह कहा जा सकता है कि पर्यटन के रास्ते हिमाचल में असामाजिक तत्त्व शिरकत कर रहे हैं। प्रायः देखा गया है कि पर्यटक स्थलों पर बढ़ते व्यापारिक उद्देश्यों के कारण बाहरी राज्यों से धंधा करने वालों की बिना जांच आमद बढ़ रही है। यह एक तरह से आपराधिक तंत्र का जमघट न बने, इस पर फिलहाल कोई रणनीति नहीं बनी। यह सामान्य पुलिस पद्धति से संभव नहीं कि पर्यटक स्थलों की हर तरह से निगरानी हो। दूसरी ओर देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए दिशा-निर्देश भी कारगर नहीं हो रहे। हिमाचल के पर्यटन उद्योग ने कई तरह की सेवाओं का विस्तार किया है, जिनमें कई अवैध, अनैतिक तथा देश के कानूनों के विरुद्ध चल रही हैं। हिमाचल की अपनी मानसिकता भी पर्यटन लाभांश से विकृत हुई है। पर्यटन अंततः एक ऐसा अनुभव है जो व्यवस्थागत हालात को संबोधित भी करता है। अगर विदेशी पर्यटक का सामना भयावह अनुभव की पीड़ा बन कर होगा, तो इसका असर व्यापक स्तर पर हिमाचल को बदनाम करेगा। हमारी गलियों, बाजारों, दृश्यावलियों, संस्कृति, सभ्यता, सदाचार व सदाशयता के ऊपर मनाली की उक्त घटना कितने प्रश्नचिन्ह चस्पां करती है, इसका अंदाजा केवल पुलिस की औपचारिक कार्रवाई नहीं कर सकती। पुलिस ने तो पहले भी अपना काम किया और मामलों की तफतीश हुई, लेकिन न मनाली अपने विदेशी मेहमानों को सुरक्षा का वादा कर सकी और न ही महिला सैलानियों को बुरी नजर से बचा सकी। यही वजह रही कि हिमाचल विशेषकर कुल्लू घाटी में विदेशी सैलानियों की आमद निरंतर घट रही है और यह संख्या सभ्य व क्षमतावान पर्यटक के संख्या अनुपात में और भी कम हो रही है। समझना यह होगा कि हिमाचल में विदेशी पर्यटक किस वजह और किन कारणों से अधिक आता है। इजरायली पर्यटकों के अलावा अन्य देशों के कम तादाद में आते पर्यटकों की वजह जाननी होगी। अगर हम इजरायली पर्यटकों पर केंद्रित आगमन को ही अपना सौभाग्य मान लेंगे, तो हमारा अपना चरित्र कई तरह के अवांछित धंधों की सौगात में ‘मलाणा क्रीम’ सरीखा प्रचारित होता रहेगा। यह विडंबना भी रही कि कसोल की परिधि में पैदा हुआ आकर्षण अंततः हर तरह से अवैध माना गया और अदालती पंजे ने ऊंची होती इमारतों का बौना कद उजागर कर दिया। हम तेजी से पर्यटन को नई मंजिल की ओर ले जाना चाहते हैं। जयराम सरकार इस दिशा में प्रगतिशील व प्रतिबद्ध दिखाई देती है, लेकिन इसके साथ सैलानी सुरक्षा के पहलू नहीं जुड़ते तो सारा तामझाम कहीं असुरक्षित माना जाएगा। जाहिर तौर पर हिमाचल में विदेशी पर्यटकों के अलावा घरेलू युवा पर्यटन भी सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता करने की नसीहत देता है। इस दृष्टि से पर्यटक पुलिस की अवधारणा को अंजाम तक पहुंचाना तथा सड़क पैट्रोलिंग की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करना होगा। पर्यटक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे तथा अन्य चौकसी प्रबंध पुष्ट करने की जरूरत है। पर्यटन क्षेत्र में उभर रहे व्यवसायों पर पैनी नजर रखने की जरूरत के साथ-साथ कुछ विशेष सेवा क्षेत्र की काउंसिलिंग करनी होगी। देशी-विदेशी पर्यटक हिमाचल आकर अनेक प्रकार की असंवेदनशीलता का शिकार ही नहीं होते, बल्कि मुनाफा कमाने का विषय बन जाते हैं। ऐसे में प्रमुख सड़कों के किनारे या वीरान स्थलों पर स्थित ढाबों-रेस्तराओं, वाहन कार्यशालाओं तथा टैक्सी व बस आपरेशनों पर नियमावलियों के संदर्भ व्यावहारिक बनाने होंगे। प्रदेश की समूची पर्यटन इंडस्ट्री की काउंसिलिंग तथा सतर्कता के पैमाने तय न किए, तो बदनामी के छोटे-छोटे किस्से आगे चलकर घातक हो जाएंगे।


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