हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की खेल यात्रा

By: Nov 9th, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

अगर सही प्रबंधन हो तो प्रदेश के महाविद्यालय आज अच्छे खिलाड़ी देश को दे सकते हैं। जहां खेल छात्रावास हैं, वहां पर अगर शारीरिक शिक्षा का स्नातक कोर्स शुरू कर दिया जाता है, तो जहां खिलाड़ी विद्यार्थियों को पढ़ाई में सुविधा रहेगी, वहीं पर जब वे आगे जाकर नौकरी में अपने पैशन की नौकरी करेंगे, तो राज्य के शिक्षा संस्थानों में खेलों के लिए अच्छा काम करेंगे…

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का गठन भी पूर्ण राज्य के बनने पर ही 1971 में हुआ था। उससे पहले हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों को अंतर महाविद्यालय खेलों के लिए पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ की दूसरे दर्जे की अंतर महाविद्यालय खेलों में हिस्सा लेना होता था। पंजाब विश्वविद्यालय अपने यहां दो तरह की अंतर महाविद्यालय खेलों का आयोजन करवाता था। पंजाब में उस समय खेलों के अग्रणी महाविद्यालयों की अलग प्रतियोगिता होती थी और जो दूर-दराज के खेलों में पिछड़े महाविद्यालय थे, उनकी अलग प्रतियोगिता होती थी। 1971 में पहली बार राजकीय महाविद्यालय सोलन ने डोठो ग्राउंड में हिमाचल प्रदेश अंतर महाविद्यालय एथलेटिक मीट का आयोजन किया था। उसके बाद धीरे-धीरे कई खेलों की प्रतियोगिताएं अंतर महाविद्यालय खेलों से जुड़ती गईं। 1964 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हाकी टीम के कप्तान पदम श्री चरणजीत सिंह इस विश्वविद्यालय के पहले शारीरिक शिक्षा व अन्य युवा गतिविधियों के निदेशक बने तथा उसके साथ उपनिदेशक का जिम्मा टीएल वैद्य को मिला था।

बाद में हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग और उसके बाद युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में टीएल वैद्य चले गए तथा अगले दो दशकों से भी अधिक समय तक पदम श्री चरणजीत सिंह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय खेलों के प्रमुख रहे। 1979-80 में पहली बार ऊना के भवानी अग्निहोत्री ने प्रदेश विश्वविद्यालय के लिए अंतर विश्वविद्यालय खेलों में पहला स्वर्ण पदक जीतते हुए पांच व दस हजार मीटर की दौड़ों में दो स्वर्ण पदक जीते थे। मुक्केबाजी में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में रमेश चौहान, विरेंद्र व भगत सिंह जैसे अच्छे मुक्केबाज पहले ही मौजूद रहे हैं। मगर प्रशिक्षक नरेश कुमार द्वारा प्रशिक्षित शिव चौधरी, मान सिंह, सोहन सिंह व सुरेश कुमार के पदकों से बने अंकों के कारण पहली बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय मुक्केबाजी प्रतियोगिता 1994 की उपविजेता ट्रॉफी जीत ली थी। जुडो में हमीरपुर की नूतन ने पहला पदक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के लिए जीता था, उसके बाद फिर अब हिमाचल कई बार पदक जीत चुका है। हिमाचल प्रदेश में भारतीय खेल प्राधिकरण व राज्य खेल विभाग के खेल छात्रावास खुल जाने से हॉकी, वॉलीबाल तथा कबड्डी की लड़कियों ने उत्तर भारत स्तर पर तो अच्छा प्रदर्शन किया ही है, मगर कबड्डी में तो अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय को पदक मिले हैं। पूजा ठाकुर, कविता ठाकुर, प्रियंका नेगी व रितु नेगी जैसे एशियान पदक विजेता स्टार चैंपियन भी इसी विश्वविद्यालय की उपज रही हैं। 2006 अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय क्रॉस कंट्री महिला वर्ग की प्रतियोगिता, वारंगल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की गई थी, में हिमाचल की टीम को उपविजेता ट्राफी मिली थी। अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता में सुंदर लाल व दिनेश कुमार ने पुरुष वर्ग में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते हैं। आशा कुमारी ने दो बार 2005-06 में व्यक्तिगत महिला स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। सुमन रावत, कमलेश कुमारी व संजो देवी के नाम अंतर विश्वविद्यालय खेलों के कीर्तिमान कई वर्षों तक अजेय रहे थे। आशा कुमार व मंजु कुमारी 2007 अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक प्रतियोगिता की सर्वश्रेष्ठ धाविका घोषित हुई हैं।

हिमाचल में कुश्ती में हमारे पहलवानों ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को कई बार पदक, जगदीश कुमार, जानी चौधरी ने स्वर्ण तथा संजय यादव ने रजत अपने-अपने समय में जीते हैं। स्नेहलता द्वारा प्रशिक्षित महिला हैंडबाल टीम भी अंतर विश्वविद्यालय खेलों में पदक जीतने के काबिल हुई हैं। इस बार भी हैंडबाल टीम उत्तर क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय खेलों में उपविजेता बनकर अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय खेलों के लिए क्वालीफाई कर गई है। इसी तरह शिमला में आयोजित  हो रही अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय महिला कबड्डी प्रतियोगिता में भी हिमाचल टीम उत्तर भारत स्तर पर पहला स्थान लेकर क्वालीफाई कर चुकी है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों के निदेशक पद पर पदम श्री चरणजीत सिंह के बाद पीसी चौहान, सन ऑफ सुमेंद्र शर्मा, सन ऑफ वाईपी शर्मा, राजेंद्र चौहान, डा. रमेश चौहान के बाद अब इस समय डा. सुरेंद्र शर्मा इस कुर्सी पर विराजमान हैं। डा. सुरेंद्र शर्मा के निदेशक पद पर आने के बाद पहली पानी की खेलों को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने शुरू किया और अंतर विश्वविद्यालय खेलों का भी आयोजन किया। इसमें हिमाचल के खिलाडि़यों ने पदक भी जीते हैं।

इस वर्ष आयोजित हो रही अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में ऊना महाविद्यालय का अंकेश चौधरी 800 मीटर में पदक ले सकता है। हाल में हुई कनिष्ठ राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अंकेश ने 800 मीटर दौड़ में हिमाचल के लिए स्वर्ण पदक जीता है। अंतर विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं व अंतर महाविद्यालय खेलों में मिलने वाले दैनिक खुराक, भत्ते को विश्वविद्यालय ने दोगुना कर दिया, इससे भी खिलाडि़यों को काफी राहत मिलेगी। खिलाड़ी यात्रा व प्रतियोगिता के समय सही खुराक ले पाएंगे। हिमाचल प्रदेश में प्रतिभा व खेल सुविधा की आज कमी नहीं है। अगर सही प्रबंधन हो तो प्रदेश के महाविद्यालय आज अच्छे खिलाड़ी देश को दे सकते हैं। जहां खेल छात्रावास हैं, वहां पर अगर शारीरिक शिक्षा का स्नातक कोर्स शुरू कर दिया जाता है, तो जहां खिलाड़ी विद्यार्थियों को पढ़ाई में सुविधा रहेगी, वहीं पर जब वे आगे जाकर नौकरी में अपने पैशन की नौकरी करेंगे, तो राज्य के शिक्षा संस्थानों में खेलों के लिए अच्छा काम करेंगे। सरकार को इस विषय पर शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय  को निर्देश देना चाहिए कि जहां-जहां सुविधा है शारीरिक शिक्षा का कोर्स वहां-वहां शुरू करें। आज खेल सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। महाविद्यालय स्तर पर खेलों में आवश्यक सुधार कर उत्कृष्ट परिणाम देने वाले खिलाड़ी तैयार करने चाहिए, ताकि बर्फ के प्रदेश में अपने घर में खिलाड़ी प्रशिक्षण व पढ़ाई प्राप्त कर प्रदेश व देश के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत सकें।


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