जंगी थोपन को एमओयू अगले महीने

By: Dec 16th, 2018 12:01 am

एसजेवीएन और प्रदेश सरकार के बीच होगा प्रोजेक्ट का करार

शिमला – 12 साल से अटकी पड़ी जंगी-थोपन बिजली परियोजना निर्माण के लिए अगले महीने यानी नए साल में एमओयू हस्ताक्षर होगा। प्रदेश सरकार ने हाल ही में इस परियोजना को एसजेवीएन को सौंप दिया है। हालांकि इस प्रोजेक्ट की क्षमता पहले 960 मेगावाट थी, जिसमें 180 कम कर दिया है। ऐसे में अब यह प्रोजेक्ट 780 मेगावाट का होगा। क्षमता कम करने के पीछे सरकार की राय है कि प्रोजेक्ट से एक ही जेनेरेशन किया जाना है। सरकारी क्षेत्र में परियोजना निर्माण के लिए केंद्र से 90:10 के अनुपात से ग्रांट मिलती है, जिसमें से राज्य का शेयर यानी दस  प्रतिशत ग्रांट परियोजना निर्माण कंपनी को आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण देगी, जिससे सरकार को लाभ मिलेगा। यही वजह है कि प्रदेश सरकार इस परियोजना का निर्माण एसजेवीएन को सौंपा गया। जंगी-थोपन-पोवारी बिजली परियोजना शुरू करने से रिलायंस पीछे हटने के बाद राज्य सरकार अब इसे पीएसयू यानी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को देने का निर्णय लिया है। प्रदेश में सतलुज जल विद्युत निगम के पास पहले ही दो परियोजनाएं हैं। इसे देखते हुए अब जंगी-थोपन बिजली परियोजना का निर्माण भी इसी के हवाले है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार ने एसजेवीएन को स्टेटस रिपोर्ट जल्द सौंपने को कहा है।

2006 से अटकी

वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट का टेंडर किया था और यह काम ब्रेकल को आबंटित किया था। ब्रेकल ने अदानी से लेकर अपफ्रंट मनी की 280 करोड़ की राशि सरकार को दी। सरकार ने 2009 में इस प्रोजेक्ट का आबंटन रद्द कर दिया था। वर्तमान सरकार ने रिलायंस को प्रोजेक्ट सौंप दिया, लेकिन काम शुरू करने से इनकार कर दिया। यही वजह है कि परियोजना शुरू करने के लिए रिलायंस पीछे हटने के बाद सरकार को नया फैसला करना पड़ा।


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