जूनियर खिलाडि़यों को मिले माकूल माहौल

By: Dec 28th, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

हिमाचल में कई खेलों में कनिष्ठ स्तर तक खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत लेते हैं, मगर आगे राज्य में उचित खेल वातावरण के अभाव में वे असमय ही खेल को अलविदा कह देते हैं। प्रदेश में अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए खेल विभाग व खेल संघों को मिलकर कार्य करना होगा, ताकि हिमाचल की संतानें हिमाचल में रहकर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरंगे को ऊंचा कर सकें…

हिमाचल प्रदेश के कनिष्ठ खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर कई खेलों में पदक विजेता हैं, मगर वरिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले हिमाचली अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं। कबड्डी व हैंडबाल जैसी एशियाई स्तर तक खेली जाने वाली खेलों में हिमाचल की टीमें जरूर प्रदेश को पदक दिला रही हैं, मगर ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खेलों की राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में बहुत कम पदक हिमाचल में रहकर प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने वाले खिलाडि़यों को मिल रहे हैं। टीम खेलों में वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्नेहलता की हैंडबाल अकादमी के कारण पदक तक हिमाचल पहुंच रहा है, वहीं पर खेल छात्रावासों व कबड्डी प्रशासकों के लगातार वर्षों के प्रयासों से राज्य वरिष्ठ राष्ट्रीय महिला कबड्डी में स्वर्ण पदक विजेता तक का स्वाद हिमाचल चख चुका है। इन्हीं दो खेलों की टीमों में अधिकतर वही खिलाड़ी हैं, जो कनिष्ठ राष्ट्रीय स्तर पर भी हिमाचल को पदक दिलाती रही हैं। व्यक्तिगत खेलों की बात करें, तो हिमाचल के बाहर रहकर सेना सुरक्षा बलों या अन्य केंद्रीय विभागों में नौकरी कर वहां के संसाधनों का उपयोग कर आज कई स्टार खिलाड़ी हैं। जहां शूटर विजय कुमार सेना के उपकरणों से ओलंपिक में रजत पदक विजेता बना, वहीं पर समरेश जंग सीमा सुरक्षा बल में प्रशिक्षण प्राप्त करता हुआ मेलबोर्न राष्ट्र मंडल खेलों में सबसे अधिक स्वर्ण पदक जीतकर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बना है। ये दोनों उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कनिष्ठ स्तर पर हिमाचल में कभी खिलाड़ी नहीं रहे हैं।

सोनिया राणा, मीना, अजुम आदि कई नाम हैं, जो शूटिंग में देश के लिए पदक जीत चुके हैं, मगर उनके साथ हिमाचल का नाम जूनियर स्तर पर भी नहीं जुड़ा है। भारोत्तोलन में विकास ठाकुर जरूर जूनियर स्तर से आकर राष्ट्रमंडल खेलों में दो बार पदक विजेता बना है, मगर वह पंजाब से खेलता हुआ आगे बढ़ा है। इस समय नालागढ़ से पपी खान का ट्रेनी अश्वर खान राष्ट्रीय स्कूली खेलों में भारोत्तोलन में पदक विजेता है, देखते हैं वह वरिष्ठ स्तर पर हिमाचल को पदक दिला पाता है या नहीं। आज मुक्केबाजी में जूनियर स्तर पर महिला व पुरुष वर्ग में कई खिलाड़ी पदक जीत रहे हैं। चौधरी भाइयों में शिव व मनीष के बाद अब आशीष हिमाचल को वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताआें में पदक दिला रहा है, वहीं पर प्रशिक्षक नरेश कुमार के अन्य शिष्यों में वीरेंद्र ठाकुर अब सेना व गीता नंद हिमाचल पुलिस भी प्रदेश को कभी-कभी वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक दिलाते रहते हैं। शिमला का गौरव चौहान अब सेना में कार्यरत है, वह भी राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता है। एथलेटिक्स में कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई दर्जन धावक व धाविकाओं ने आज तक हिमाचल के लिए पदक जीते हैं, मगर अमन सैणी व कला देवी को छोड़कर आगे वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता का सफर किसी ने तय नहीं किया। सुमन रावत, कमलेश कुमारी व पुष्पा ठाकुर ने वरिष्ठ राष्ट्रीय एथलेटिक प्रतियोगिताओं  में हिमाचल के लिए पदक जीते हैं, मगर कनिष्ठ स्तर पर वे राष्ट्रीय स्तर पदक विजेता नहीं थी। प्रक्षेपण स्पर्धाओं में संजो देवी जरूर कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से पदक जीतती हुई वरिष्ठ राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता तक पहुंची है। धर्मशाला खेल छात्रावास की सीमा कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताआें में कई स्वर्ण पदक जीतकर यूथ ओलंपिक तक भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है, मगर एक पौड़ी ऊपर इस वर्ष हुई अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय खेलों में वह काफी पीछे चल रही थी। लगातार अगले चार-पांच वर्षों तक यह धाविका अगर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखती है, तो वह भी एशियाई स्तर का सफर आसानी से पूरा कर सकती है। कुश्ती के जॉनी चौधरी राष्ट्रीय खेलों के स्वर्ण पदक विजेता हैं। महिला वर्ग में रानी राणा भी कांस्य पदक तक पहुंच रही है। इन दो पहलवानों को छोड़ दें, तो वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर पर कोई पदक विजेता नजर नहीं आता है।

तलवारबाजी नौकायान आदि कई खेलों में हिमाचल के बाहर रह कर वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर भारत का प्रतिनिधित्व करते कुछ खिलाड़ी जरूर नजर आते रहते हैं। हिमाचल प्रदेश में कई खेलों में कनिष्ठ स्तर तक खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत लेते हैं, मगर आगे राज्य में उचित खेल वातावरण के अभाव में वे असमय ही खेल को अलविदा कह देते हैं। इसलिए प्रदेश में अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए खेल विभाग व खेल संघों को मिलकर कार्यक्रम तय करना होगा। इसमें शिक्षा संस्थान से लेकर नौकरी लगने वाले विभाग तक खिलाड़ी को स्तरीय प्ले फील्ड प्रशिक्षक व सभी प्रशिक्षण सुविधाएं मिलें, ताकि हिमाचल की संतानें हिमाचल में रहकर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरंगे को ऊंचा कर सकें।


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