ट्रैफिक सिस्टम के लिए चाहिएं 400 करोड

By: Dec 22nd, 2018 12:05 am

शिमला—हिल्सक्वीन और प्रदेश की दूसरी स्मार्ट सिटी शिमला की ट्रैफिक व्यवस्था को चाक चौबंध करने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपए की दरकार है। यदि इतना पैसा शिमला को ट्रैफिक व्यवस्था मंे सुधार के लिए मिल जाए तो यहां की काया पलट सकती है। ऐसी योजना सरकार के ध्यान में है, जिस पर आने वाले समय में काम किया जाएगा। वैसे शिमला में इस तरह के प्लान पर काम करने की बात पूर्व सरकार ने भी की थी और तत्कालीन शहरी विकास मंत्री यहां पर मोनो रेल चलाए जाने को कहते रहे, मगर हुआ कुछ नहीं। परंतु वर्तमान राज्य सरकार ने मास रेपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू करने के लिए अलग से एक कारपोरेशन प्रदेश में गठित कर दिया है और इसका काम यही होगा कि हिमाचल के शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए आधुनिक कार्य किए जाएं। यही वजह है कि राजधानी शिमला के लिए भी ऐसी सोच है कि यहां पर कई ऐसे कार्य किए जाएं, जिससे शहर में ट्रैफिक व्यवस्था विदेशों की तरह चाक चौबंध बने। यहां रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू करने के लिए जगह-जगह पर रोप-वे तैयार करने की सोच है। यहां एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचने के लिए यदि कई रोप-वे बनाए जाएं तो सड़कों पर वाहनों की रेलमपेल कम हो जाएगी। इसी तरह से दूरियों को कम करने के लिए यहां पर प्रस्तावित सुरंगों का निर्माण भी इसी में शामिल है। सरकार चाहती है कि जो सुरंगें शिमला में प्रस्तावित हैं उनका निर्माण करवाया जाए, जिससे मुख्य मार्गों पर वाहनों की संख्या बहुत कम हो जाएगी। वहीं शहर के लोगों को भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने में आसानी रहेगी। इसके साथ शहर के उपनगरों को रोप-वे से जोड़ दिया जाए तो लोग दफतरों में भी बिना वाहनों के पहुंच पाएंगे। शहर में मोनो रेल का भी एक विचार है, जिसे लेकर काफी समय से चर्चा चल रही है। इसे भी सरकार फलीभूत करने की तैयारी में है। इसके अलावा रैपिड मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम में जो भी अत्याधुनिक सुविधाएं शहर में दी जा सकती हैं उन पर विचार किया जा रहा है। इससे शिमला की काया पलट हो सकती है परंतु इसके लिए 400 करोड़ रुपए के करीब की राशि चाहिए, जिसके लिए सरकार द्वारा बनाया गया नया कारपोेरेशन योजना बनाएगा।


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