रेल में साहित्य की अभूतपूर्व सवारी

By: Dec 23rd, 2018 12:04 am

इस वर्ष जहां प्रदेशभर में अनेक साहित्यिक आयोजन हुए, वहीं प्रख्यात कहानीकार एसआर हरनोट की परिकल्पना पर कालका-शिमला रेल में जो साहित्यिक संगोष्ठी हुई, उसने विश्व भर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इस रेल मार्ग पर इसके सर्जक बाबा भलखू की याद में एक साहित्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश भर के अनेक साहित्यकारों ने भाग लिया। एसआर हरनोट के एक अनूठे कन्सेप्ट के तहत शिमला-कालका विश्व धरोहर रेलवे में इस रेल के सर्वेक्षक अनपढ़ इंजीनियर बाबा भलखू की स्मृति में 19 अगस्त को 30 लेखकों के साथ आयोजित साहित्य यात्रा अभूतपूर्व थी जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई। उसके बाद बाबा भलखू के पुश्तैनी गांव झाझा (चायल) की साहित्य सृजन यात्रा भी हुई।

इन आयोजनों की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि साहित्य सरकारी सभागारों से बाहर निकल कर अपने पैरों पर चल पड़ा और लेखकों ने आपसी सहयोग से साहित्य को ग्रामीण सरोकारों से जोड़ने का अभूतपूर्व प्रयास किया। शिमला-कालका रेल में इस अनूठे साहित्यिक संवाद का उस वक्त व्यापक स्वागत हुआ जब हरनोट ने अपनी फेसबुक वाल पर 24 जुलाई, 2018 को देर रात 11 बजकर 42 मिनट पर एक पोस्ट लगाई जिसका टाइटल था ‘शिमला कालका रेलवे में साहित्य गोष्ठी–सादर आमंत्रण।’ इस अनूठी गोष्ठी को बाबा भलखू साहित्य संवाद रेल यात्रा का नाम दिया गया और उनकी इस पोस्ट में भलखू के योगदान पर भी प्रकाश डाला गया था। महज आठ-आठ सौ रुपए प्रति लेखक लेकर इस यात्रा की सहभागिता रही। इसके अतिरिक्त पुलिस महा निदेशक व लेखक सोमेश गोयल का भी लेखकों को पूरा सहयोग मिला।

प्रदेश से ही नहीं बल्कि देश भर के लेखकों ने सहर्ष इस यात्रा में आने की इच्छा जाहिर की, लेकिन स्थानाभाव के कारण केवल 30 स्थानीय लेखकों का ही आरक्षण हो पाया। यात्रा 19 अगस्त, 2018 को शिमला रेलवे स्टेशन से 10.25 बजे प्रारंभ हुई। इस यात्रा में साहित्य के सत्र शिमला से बड़ोग तक रेलवे स्टेशनों के नाम से तय किए गए थे, जिनमें शिमला, समरहिल, कैथलीघाट, सलोगड़ा, सोलन और बड़ोग शामिल हैं। यात्रा शुरू होने से दो दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री और कवि अटल बिहारी वाजपेयी का देहांत हो गया। इसलिए यात्रा के सत्रों में थोड़ा परिवर्तन किया गया और पहला सत्र उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में आयोजित हुआ। उसके बाद संस्मरण, लघु कथाएं, व्यंग्य, कहानी और कविता के सत्र यथावत आयोजित हुए। 30 लेखक जब बड़ोग स्टेशन पर पहुंचे तो यह देखकर अचंभित थे कि वहां असंख्य लोग हाथ में फूलमालाएं लेकर लेखकों का स्वागत कर रहे थे। लेखकों ने बड़ोग में रेलवे कंटीन में दोपहर का भोजन लेकर फिर शिमला के लिए कालका-शिमला रेल में यात्रा शुरू की और पुनः कहानियों, कविताओं, संस्मरणों और गजलों का दौर चला। आखिरी सत्र महिला लेखिकाओं के रचना-पाठ के लिए समर्पित किया गया। इस यात्रा में जो लेखक शामिल रहे, वे हैं ः एसआर हरनोट, विनोद प्रकाश गुप्ता, डा. हेमराज कौशिक, डा. मीनाक्षी एफ  पाल, आत्मा रंजन, सुदर्शन वशिष्ठ, डा. विद्या निधि, कुल राजीव पंत, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, राकेश कुमार सिंह, सतीश रत्न, सीता राम शर्मा, दिनेश शर्मा, डा. अनुराग विजयवर्गीय, शांति स्वरूप शर्मा, कौशल मुंगटा, अंजलि दीवान, उमा ठाकुर, प्रियंवदा, वंदना भागड़ा, रितांजलि हस्तीर, अश्विनी कुमार, कल्पना गांगटा, वंदना राणा, सुमित राज, निर्मला चंदेल, पौमिला ठाकुर व संजय गेरा। इस यात्रा का दूसरा चरण लेखकों ने 2 सितंबर, 2018 को बाबा भलखू के पैतृक गांव झाझा में पूर्ण किया जिसमें 21 लेखक और बहुत से ग्रामीण शामिल हुए।

लेखकों ने यात्रा की शुरुआत न्यू शिमला बीसीएस से 9.30 बजे की। यात्रा का पहला पड़ाव ऐतिहासिक जुनगा गांव था जो क्योंथल रियासत की राजधानी भी रही है। यहां ग्राम पंचायत जुनगा की प्रधान अंजना सेन ने लेखकों के स्वागत और साहित्य सृजन संवाद का पंचायत घर में आयोजन किया जिसमें तकरीबन 90 महिलाएं और पुरुष शामिल हुए। लेखकों ने पंचायत प्रधान और उपस्थित आमजनों से किसान जीवन को लेकर भी संवाद किया। उन्होंने बहुत सी योजनाओं का ब्यौरा लेखकों से सांझा किया। लेखकों ने भी कृषि, पशुपालन और अन्य जन साधारण की सुविधाओं के संदर्भ में लोगों से विस्तृत चर्चा की। कवि गोष्ठी और लोक संगीत का मिला-जुला कार्यक्रम तकरीबन दो घंटों तक चला। जुनगा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर की पुलिस कर्मी और स्थानीय निवासी संतोष डोगरा और आशा कौंडल ने लोकगीतों से समां बांध दिया। गोष्ठी 11 बजे से 1 बजे तक चली। हिमाचल मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने इस यात्रा के प्रयोजन पर विस्तार से जहां प्रकाश डाला, वहीं पंचायत और स्थानीय लोगों के साथ इस आयोजन को अनूठा करार दिया। इसके बाद जुनगा के राजा विक्रम सेन ने लेखकों का अपने कलात्मक महल जुनगा में स्वागत किया और लंबी बातचीत हुई। राजा जुनगा की पुश्तैनी लाइब्रेरी पुरानी और नई पुस्तकों से संपन्न है जिसमें कई हजार हस्तलिखित पांडुलिपियां टांकरी और अन्य भाषाओं की मौजूद हैं। इस यात्रा का दूसरा पड़ाव चायल स्थित झाझा गांव था।

लेखकों के इंतजार में शिमला आकाशवाणी से सेवानिवृत्त वरिष्ठ लेखक व रंगकर्मी बीआर मेहता, चायल एकांत रीट्रीट के मालिक व स्थानीय निवासी देवेंद्र वर्मा तथा अन्य ग्रामीण पहले से ही मौजूद थे। लेखकों के आतिथ्य का कार्यभार देवेंद्र वर्मा ने संभाल रखा था। इसके बाद लेखकों ने बाबा भलखू के पुश्तैनी घर का भ्रमण किया और काफी समय उनके परिजनों के साथ व्यतीत किया। भलखू परिवार के वरिष्ठ सदस्य पोस्ट आफिस से सेवानिवृत्त दुर्गादत ने लेखकों को भलखू के चित्र और बहुत से दस्तावेज दिखाए जो अंग्रेजों ने भलखू के सम्मान में दिए थे। बीआर मेहता जो बाबा भलखू समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने भी बहुत सी बातें उनके बारे में बताईं और उनकी स्मृति में किए गए कार्यों का ब्यौरा भी लेखकों को दिया। झाझा में एक मात्र भलखू का ही घर है जो अपनी प्राचीनता को बरकरार रखे हुए है। धज्जी दीवाल, पत्थर की छत और बरामदे वाले इस दो मंजिला भवन का पुरातन सौंदर्य देखते ही बनता है। इसकी धरातल मंजिल में गौशाला और भंडार है जबकि दूसरी मंजिल, जहां भलखू खुद रहते थे, अपने रहन-सहन के लिए है। साहित्य गोष्ठी का आयोजन युवा कृषक सुशील ठाकुर ने अपने निवास पर किया। उनका सहयोग उनकी धर्मपत्नी रमा ठाकुर ने दिया जो हिमाचल न्यूज का संचालन करती हैं। लेखकों के स्वागत में सुशील के मित्र व आभी प्रकाशन के संचालक जगदीश हरनोट विशेष रूप से झाझा पहुंचे थे। यहां जलपान के साथ काव्य गोष्ठी लगभग दो घंटे चली। जुनगा और झाझा की इन गोष्ठियों का सफल संचालन युवा चर्चित कवि आत्मारंजन ने किया। तीन लेखकों-एसआर हरनोट, दिनेश शर्मा और मोनिका ने बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कविताएं पढ़ीं जो बहुआयामी अर्थों को लिए हुए थी।

बीआर मेहता के साथ जिन अन्य लोगों ने कविताओं का पाठ किया उनमें आत्मा रंजन, विनोद प्रकाश गुप्ता, सुदर्शन वशिष्ठ, कुल राजीव पंत, आत्मा रंजन, अश्विनी गर्ग, सतीश रत्न, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, राकेश कुमार सिंह, नरेश दयोग, शांति स्वरूप शर्मा, कुशल मुंगटा, कल्पा गांगटा, उमा ठाकुर व धनंजय सुमन शामिल थे। लेखकों ने झाझा गांव में एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार से मांग की गई कि शिमला-कालका रेल लाइन को चायल-झाझा गांव तक ले जाया जाए और झाझा गांव को भी धरोहर गांव के रूप में विकसित किया जाए।

-दीपिका शर्मा


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App