लोक नृत्य बौद्ध लामाओं की तांत्रिक नृत्य पद्धति है

By: Dec 19th, 2018 12:04 am

यह लोक नृत्य बौद्ध लामाओं की तांत्रिक नृत्य पद्धति है। लोक  विश्वास  के अनुसार प्रसिद्ध बौद्ध लामा पल्दन ईश ने इस लोकनृत्य की परंपरा आरंभ की थी। इस लोक नृत्य का आयोजन मानव जाति के उत्थान और दुरात्मा को भगाने के लिए किया जाता है। इसका आरंभ बौद्ध मंत्रों और प्रार्थना से किया जाता है…

गतांक से आगे …

 छम या प्रेत नृत्य :

 यह लामाओं का धार्मिक नृत्य है और प्रायः गोम्पा में प्रदर्शित होता है। नर्तक चमकीले वस्त्र-आभूषण पहनकर जानवरों, पक्षियों और भड़कीले पे्रेतों के चमकीले मुखौटे पहनते हैं। नर्तक बार-बार एक ही शैली में लयात्मक रूप में पांव पटकते हुए एक ही दायरे में नाचते हैं। हाथ में कढ़ाई किए झंडे लिए नर्तकों में अभिनय के साथ-साथ मुखौटा पहने नर्तक विनोद करते हुए एक विचित्र सा प्रभाव वातावरण में फैला देते हैं। इस नृत्य में लामा लोग भी भाग लेते हैं और नर्तक के साथ कुछ मंत्र भी पढ़ते हैं। नर्तक विभिन्न प्रकार के प्रायः आठ मुखौटे पहनते हैं। ये आठ करोढा भयानक रूप आठ बौद्धिसत्व के प्रतीक हैं।

यह लोक नृत्य बौद्ध लामाओं की तांत्रिक नृत्य पद्धति है। लोक  विश्वास  के अनुसार प्रसिद्ध बौद्ध लामा पल्दन ईश ने इस लोकनृत्य की परंपरा आरंभ की थी। इस लोक नृत्य का आयोजन मानव जाति के उत्थान और दुरात्मा को भगाने के लिए किया जाता है। इसका आरंभ बौद्ध मंत्रों और प्रार्थना से किया जाता है। इसमें विशाल आकार के वाद्य यंत्र-थड जेन (बहीकरनाल) (डन) बडाढोल (रालमो बजाने की कटोरियां, और शहनाई ज्ञेलिड़) बजाए जाते हैं। नर्तक विशेष प्रकार की चमकीली वेशभूषा में मंच पर आते हैं। मुकुट (चेसम) कपाली (हाथ में लेने के लिए कपाल) फुरबू जिसे दाएं हाथ में लिया जाता है, शानाक्या (टोपी) तोतयो (विशेष चोगा), कोएचिन (जैकेट-पंगदान) पहनते हैं।

इस नृत्य में प्रारंभ में देवी-देवताओं से रक्षा और कल्याण के लिए आयोजन की सफलता के लिए आशीर्वाद और अंत में धन्यवाद शामिल है। नृत्य के दौरान उपस्थित लामा अखंड मंत्रोच्चारण करते रहते हैं। उनका विश्वास है कि मंत्रों में जिनका आह्वान किया जाता है, वे उपस्थित होकर विनती सुनते हैं। सारे छम्म नृत्य को वे 18 भागों में बांटते हैं। नर्तक लामा मुखौटे पहनकर, हाथ में कपाल और फुरबू लेकर नृत्य करते हैं। इसमें अन्य देवी-देवताओं के साथ-साथ कोएजल (यमराज) और उनकी धर्मपत्नी चय चामुंडी का आह्वान किया जाता है। छम्म के मुख्य भाग सेरक्यम् में देवताओं  को पेय भेंट किए जाते हैं। डल्योके में दुरात्माओं को भगाने की प्रार्थना की जाती है। छिगुल, छम्मबुल-छम्मबुन-छम्मनाचुसुड को तेरह लामाओं का लोकनृत्य भी कहा जाता है। गुकोर, लुबा, शिंदौत, ढंयेत्या, श्यावा, छम्मशुक, छोटग्यल, सेरक्यम छिदात्मा, डल्योक और छम्मचोत् आदि इस आयोजन के विशेष लोकनृत्य हैं। छम्म मुख्यतः मुखौटा नृत्य है। स्पीति वादी के ‘गुतोर उत्सव’ में छम्म का विशेष आयोजन नवंबर में किया जाता है। तीन दिन सभी लोग प्रार्थना करते हैं और चौथे दिन छम्म नृत्य का आयोजन किया जाता है। छम्म नृत्य के साथ-साथ थकाओं (चित्रपटों) का पूजन और प्रदर्शन आवश्यक माना जाता है।                      — क्रमशः


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