वरुण मुद्रा के लाभ

By: Dec 22nd, 2018 12:05 am

वरुण मुद्रा जल की कमी (डिहाइड्रेशन) से होने वाले सभी तरह के रोगों से बचाती है, साथ ही इसके कई और लाभ भी होते हैं। सालों से इस मुद्रा का अभ्यास किया जाता रहा है और लोग इससे लाभान्वित होते रहे हैं। कमाल की बात तो ये है कि इस मुद्रा का अभ्यास आप कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं…

वरुण मुद्रा जल की कमी (डिहाइड्रेशन) से होने वाले सभी तरह के रोगों से बचाती है, साथ ही इसके कई और लाभ भी होते हैं। सालों से यह मुद्रा का अभ्यास किया जाता रहा है और लोग इससे लाभान्वित होते रहे हैं। कमाल की बात तो ये है कि इस मुद्रा का अभ्यास आप कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं। चलिए जानें मुद्रा करने का तरीका और इसके फायदे क्या हैं।

क्या होती हैं मुद्राएं

दरअसल कुंडलिनी या ऊर्जा स्रोत को जाग्रत करने के लिए मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है। कुछ मुद्राओं के अभ्यास से आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। योग अनुसार चरम अभ्यस्थता के साथ इसे करने से अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों की प्राप्ति हो सकती है, लेकिन साधारण रूप से इसका अभ्यास करने से भी कई फायदे होते हैं।

वरुण मुद्रा करने की विधि

वरुण मुद्रा दो प्रकार की होती है। सबसे छोटी अंगुली (कनिष्का) को अंगूठे के अग्रभाग से मिलाने पर वरुण मुद्रा बनती है। दरअसल हाथ की सबसे छोटी अंगुली को जल तत्त्व का प्रतीक माना जाता है और अंगूठे को अग्नि का। तो जल तत्त्व और अग्नि तत्त्व को एक साथ मिलाने से बदलाव होता है। बस आपको करना ये है कि छोटी अंगुली के सिरे को अंगूठे के सिरे से स्पर्श करते हुए धीरे से दबाएं। बाकी की तीन अंगुलियों को सीधा रखें।

वरुण मुद्रा करने के लाभ

यह शरीर के जल तत्त्व के संतुलित बनाए रखती है। आंत्रशोथ तथा स्नायु के दर्द और संकोचन से बचाव करती है। एक महीने तक रोजाना 20 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करने से ज्यादा पसीना आने और त्वचा रोग को दूर करने में सहायक होती है। यह साथ ही इसके नियमित अभ्यास से रक्त भी शुद्ध होता है और शरीर में रक्त परिसंचरण बेहतर होता है। शरीर को लचीला बनाने में भी वरुण मुद्रा उपयोग होती है। यह मुद्रा त्वचा को भी सुंदर बनाती है।

कब करें और कब न करें

इस मुद्रा को सर्दी के मौसम में कुछ अधिक समय के लिए न करें। आप गर्मी या दूसरें मौसम में इस मुद्रा को 24 मिनट तक कर सकते हैं। वरुण मुद्रा को अधिक से अधिक 48 मिनट तक किया जा सकता है। जिन लोगों को सर्दी और जुकाम की शिकायत रहती है, उन्हे वरुण मुद्रा का अभ्यास अधिक समय तक नहीं करना चाहिए। वरुण मुद्रा करने से शरीर स्वस्थ और निरोग हो जाता है।


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