सेना भर्ती की कोचिंग

By: Dec 19th, 2018 12:05 am

सेना भर्ती को कोचिंग के जरिए तसदीकी बनाने के लिए हिमाचल सरकार ने जो संकल्प लिया है, उसके आशय में एक बड़ा वर्ग लाभान्वित होगा। सैनिक कल्याण एवं आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ने बाकायदा चार कोचिंग केंद्र स्थापित करने की घोषणा के साथ इस दिशा में सरकार की गंभीरता को परवान चढ़ाया है। यह हिमाचल की सैन्य पृष्ठभूमि की क्षमता को पारंगत तथा युवा पीढ़ी के भविष्य की दिशा को निर्धारित करने जैसा कदम है। इससे पूर्व हिमाचल विधानसभा ने सर्वसम्मति से हिमाचल रेजिमेंट के गठन का प्रस्ताव पारित करके केंद्र के समक्ष इसकी संभावना तथा प्रदेश की अस्मिता से जुड़ा विषय प्रस्तुत किया है। सैन्य सेवाओं में हिमाचली रिकार्ड का शौर्य देश के प्रति सच्ची वफादारी तथा राष्ट्रीय जज्बे को सलाम करता ऐसा रक्त है, जो हमेशा सरहद पर तत्परता के साथ कुर्बानियां लिखता रहा है। हिमाचल के हर परिवार को यह महारत हासिल है कि घर का कोई न कोई सदस्य फौज की वर्दी पहनना अपनी जिम्मेदारी समझता है। देश में शहादत के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो किसी भी प्रदेश की तुलना में सबसे अधिक तथा राष्ट्रीय स्तर पर तीस फीसदी कुर्बानियां अपनी कहानी तिरंगे में लिपट कर हिमाचल को सुनाती हैं। हिमाचल के ऐसे योगदान का मूल्यांकन सतही तौर पर तो हुआ, लेकिन भर्ती कोटा जैसे नियमों ने जज्बे को भी बांटने का काम ही किया। बहरहाल, जयराम सरकार की यह शुरुआत कई स्तर पर हिमाचली युवाओं का फौज से अपने नाते को और पुख्ता करेगी। दिव्य हिमाचल अपने इन्हीं कालमो में इस तरह की कोचिंग या अकादमियों की स्थापना पर जोर देता रहा है, बल्कि हमारा मानना है कि जिलों में पुलिस ट्रेनिंग तथा अधोसंरचना सुविधाओं से जोड़कर फौज, पुलिस व अर्द्ध सैन्य बलों की भर्ती के लिए निरंतर प्रशिक्षण चलाने चाहिएं। इतना ही नहीं, प्रदेश के किसी एक परिसर को कालेज ऑफ डिफेंस स्टडीज का मुख्य केंद्र बना देना चाहिए। इसी के साथ यह भी जरूरी है कि सैन्य भर्तियों के सारे अवसर हिमाचल के करीब आएं तथा इस तरह की अधोसंरचना उपलब्ध हो। अमूमन जब कभी हिमाचल में सैन्य या अर्द्ध सैनिक बलों की भर्तियां होती हैं, तो सुविधाओं के अभाव में प्रत्याशियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अभी हाल ही में पालमपुर में आयोजित भर्ती के दौरान युवाओं को सर्द रातों के बीच अति कठिन परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा, जबकि इससे बचा जा सकता था। पालमपुर, सुजानपुर, चंबा, मंडी या बिलासपुर में अगर भर्तियों के आयोजन की सुविधाएं पुष्ट की जाएं, तो देश के लिए भी ये स्थायी केंद्र के रूप में कार्य करेंगे। इसके अलावा सेना, पुलिस व अन्य केंद्रीय सेवाओं की प्रवेश परीक्षाओं के लिए हिमाचल में केंद्र विकसित करने चाहिएं। धर्मशाला, मंडी, हमीरपुर तथा शिमला में राज्य परीक्षा परिसरों का विकास करके हिमाचल बच्चों की प्रदेश के बाहर की दौड़ खत्म कर सकता है। आरंभिक तौर पर स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला में राज्य परीक्षा केंद्र विकसित करे और इसी तर्ज पर मंडी में आईआईटी, शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तथा हमीरपुर में एनआईटी के केंद्र बिंदु में प्रवेश परीक्षाओं के केंद्र सुविधाओं से सुसज्जित हों। सेना भर्ती के अलावा देश की अन्य सेवाओं के लिए जहां कहीं बड़ी तादाद में नियुक्तियों के अवसर हैं, उनके लिए जानकारी तथा कोचिंग उपलब्ध करानी चाहिए। उदाहरण के लिए भारतीय रेल अपनी पटरियों पर रोजगार भी ढोती है, तो इस संभावना को तराशने के लिए विशेष तरह की ट्रेनिंग चाहिए। देश के नामी शिक्षण संस्थानों में हिमाचली बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों को मिलकर अलग से संस्थान या स्कूल खड़े करने चाहिएं। आवासीय स्कूल की शुरुआत करके हिमाचल सरकार ने जो पहल की है, उसे मुकम्मल करने के रास्ते पर निजी भागीदारी को भी आमंत्रित करना होगा। प्रदेश विश्वविद्यालय तथा स्कूल शिक्षा बोर्ड को अपने-अपने स्तर पर अकादमी स्कूल व अकादमी कालेज परिसर विकसित करने होंगे, ताकि अध्ययन के दौरान आगे बढ़ने का मकसद तैयार हो। क्यों नहीं हम बड़े व चुनिंदा कालेजों को विषय विशेष का राज्य स्तरीय बनाकर, ऐसी प्रतियोगिताओं की क्षमता में विकसित करें। प्रदेश को समर्पित कई सेवानिवृत्त अध्यापक-प्राध्यापक, फौजी अफसर, इंजीनियर, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक अधिकारी अपने अनुभव और सफलता के आधार पर बच्चों का मार्गदर्शन करना चाहते हैं, तो इनकी सेवाओं का लाभ उठाना चाहिए। प्रदेश में शिक्षा के पाठ्यक्रम जहां अपने अवरोधों में फंसे हैं, वहां प्रोफेशनल चुनौतियां समझनी होंगी। अगर पौंग झील किनारे स्थित नगरोटा सूरियां के कालेज को स्टडी ऑफ फिशरीज बना दिया जाए, तो वहां से निकलती क्षमता न केवल राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचेगी, बल्कि नौ सेना से संबंधित पाठ्यक्रमों में इसके अलावा बिलासपुर कालेज के छात्र करियर चुन  पाएंगे। इसी तरह प्रदेश में टीवी एवं फिल्म इंस्टीट्यूट की पैरवी से रोजगार की नई पौध इंतजार करेगी। प्रदेश के हर विभाग को अगर युवा रोजगार में सामर्थ्य बढ़ाना है, तो इसी तरह की पहल से शिक्षण व प्रशिक्षण से जुड़ी भूमिका भी जोड़नी होगी।


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