हिमाचल को कई हवाई पट्टियों की जरूरत

By: Dec 7th, 2018 12:08 am

प्रो. एनके सिंह

लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं

यह बड़ी बात होगी अगर आप सभी गैर राजनीतिक विचारकों की सहभागिता के साथ एक एजेंडा तैयार करने के लिए वर्कशाप का आयोजन करते हैं। इस तरह की बैठक में हम विकास का दस्तावेज तैयार कर सकते हैं। आपका कार्यालय आसानी से ऐसे विचारकों को चिन्हित कर सकता है। ये लोग मीडिया से हो सकते हैं। इस तरह के लोगों को नवाचार वाले रास्ते सुझाने के लिए बुलाया जा सकता है। मैं आपका ध्यान प्रदेश के विभिन्न कस्बों तथा क्षेत्रों को आपस में जोड़ने की ओर दिलाना चाहता हूं…

प्रिय जयराम जी, आपका मुख्यमंत्री बनना एक भाग्य की बात थी तथा इसलिए मैंने आपका एक इच्छा सूची के साथ स्वागत किया था। यह इच्छाएं हिमाचल के लोग बरसों से रखते हैं। इसके शीघ्र बाद मैंने एक आलेख ‘जयराम ने वह किया, जो अन्य मुख्यमंत्री नहीं कर सके’ नामक शीर्षक के साथ लिखा था। यह तब था जब आपने राज्य के निवासियों के लिए वाहनों पर प्रवेश कर हटा दिया था। इसके बाद सभी बातें रूटीन के रूप में हो रही हैं तथा कुछ नया नहीं हो रहा है। मैंने बदलाव के लिए एक एजेंडे का सुझाव दिया था, किंतु इस पर अभी भी हम प्रतिक्रिया के इंतजार में हैं। यह बड़ी बात होगी अगर आप सभी गैर राजनीतिक विचारकों की सहभागिता के साथ एक एजेंडा तैयार करने के लिए वर्कशाप का आयोजन करते हैं। इस तरह की बैठक में हम विकास का दस्तावेज तैयार कर सकते हैं। आपका कार्यालय आसानी से ऐसे विचारकों को चिन्हित कर सकता है। ये लोग मीडिया से हो सकते हैं।

इस तरह के लोगों को नवाचार वाले रास्ते सुझाने के लिए बुलाया जा सकता है। मैं आपका ध्यान प्रदेश के विभिन्न कस्बों तथा क्षेत्रों को आपस में जोड़ने की ओर दिलाना चाहता हूं। इसकी सख्त जरूरत है क्योंकि अभी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए काफी समय बर्बाद करना पड़ता है। यहां तक कि अगर एक आदमी को आपसे शिमला में मिलना है तो आपके कार्यालय तक पहुंचने के लिए सड़क से सफर करने में 15 घंटे लग जाएंगे। आप राज्य के जरूरतमंद लोगों से पूछ सकते हैं कि उन्हें किस चीज की जरूरत है। वे खराब मौसम में एक घंटे में चंडीगढ़ या जम्मू या अमृतसर पहुंचना चाहते हैं अथवा उन्हें इंटरनेशनल फ्लाइट की जरूरत है? उनमें से सभी निकट में वर्किंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स से जुड़ना चाहते हैं क्योंकि वे निकटता में अन्य शहरों को भी जाते हैं। क्या आप चंबा या नूरपुर या देहरा अथवा लेह से एक घंटे में शिमला नहीं पहुंचना चाहेंगे। क्यों नहीं, किंतु एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा आपको यह सुविधा नहीं देता है। इससे भी अधिक मंडी में एक हवाई अड्डा सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है अथवा यहां तक कि सभी मौसम के अनुकूल एक हवाई अड्डा भी यह जरूरत पूरी नहीं करता है क्योंकि लंबे समय तक यह कोहरे की मौसम संबंधी स्थितियों में ठप पड़ा रहेगा। सभी मौसम के लिए अगर एक बड़े हवाई अड्डे की जरूरत है तो सबसे बेहतर स्थान अंब है जहां सभी क्लीयरेंस उपलब्ध रहती हैं तथा समय बाधा से स्वतंत्र है। यह योजना विवाद में पड़ गई, ऐसा विवाद जिसकी जरूरत नहीं थी। मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री से स्पष्ट किया था कि एक एयरपोर्ट सरकारी जमीन पर बनाया जा सकता है तथा किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि जमीन अधिग्रहण की जरूरत ही नहीं रहेगी। लेकिन समय बीत चुका है तथा सरकार चली गई है। दोबारा से सरकार ने वही सनक दिखाई है, मुख्यमंत्री के प्रति झुकाव के कारण पक्षपाती रवैया अपनाया गया है। मैंने नेपाल के अनुभव पर एक अन्य योजना को भी पेश किया था। नेपाल ने पर्यटन के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। नेपाल के पास इतनी बड़ी संख्या में आवागमन की सुविधा है कि वह विभिन्न गंतव्य स्थलों के लिए सुविधा के साथ यह सहूलियत दे सकता है। मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री के समक्ष नेपाल की 45 हवाई पट्टियों की प्रेजेंटेशन दी थी। यह एक ऐसी रणनीति है जो दुरूह पर्वतीय क्षेत्रों की विकटता का समाधान करती है। इन हवाई पट्टियों पर छोटे जहाज उतरते हैं तथा पर्यटकों का आवागमन नेपाल में आसान हो जाता है। हिमाचल को तीन हवाई अड्डों तक सीमित क्यों रहना चाहिए।

वह कई छोटे हवाई अड्डे बनाकर कई क्षेत्रों को आपस में जोड़ सकता है तथा राज्य के इंटरनेशनल हब से भी यह क्षेत्र जुड़ सकते हैं। हब व स्पोक की यह नीति कई देशों में आम हो चुकी है। मिसाल के तौर पर छोटी हवाई पट्टियां तथा वायु यान मंडी को चंडीगढ़ तथा शिमला से जोड़ सकते हैं। इसे राज्य के बड़े क्षेत्रों को पड़ोसी राज्य के बड़े हवाई अड्डों से जोड़ा जाना चाहिए। इसी तरह हमें हमीरपुर, चंबा, डलहौजी, बिलासपुर व जोगिंद्रनगर को आपस में जोड़ना चाहिए। यह गंतव्य बिजनेस तथा टै्रफिक लोड की जरूरत वाले कनेक्शन पर आधारित होने चाहिए। मैं यहां यह प्रस्ताव करना चाहता हूं कि हमें आगे का अध्ययन करने के बाद एक विमानन योजना तैयार करनी चाहिए। ये अस्थायी गंतव्य हैं, किंतु टूरिस्ट ट्रैफिक पर निर्भर करते हुए 50-70 यात्री की क्षमता वाले छोटे वायुयान इन गंतव्यों के बीच हवाई सेवाएं दे सकते हैं।

निजी क्षेत्र को इसके लिए बोली लगाने के लिए तैयार किया जा सकता है। हवाई पट्टियों के साथ छोटी मोटल साइट्स भी विकसित की जा सकती हैं। इससे निश्चित रूप से पर्यटन का विकास होगा। सबसिडी वाली टिकट के जरिए हवाई यात्रा को आसान बनाया जा सकता है, साथ ही प्राइवेट एयरलाइन के लिए इसे लाभदायक बनाया जा सकता है। चूंकि प्रदेश की बड़ी तार्किक समस्या है तथा यह कई स्थानों पर ‘हिल लॉक्ड’ है, इसलिए इसे एक सक्रिय व व्यावसायिक विमानन नीति की जरूरत है। तीन या चार कस्बों को जोड़ने के बजाय हमें सभी बड़े कस्बों को जोड़ना चाहिए क्योंकि हमें पर्यटन के लिए पहुंच के प्रबंधन में विकलांगता जैसी स्थिति में विमानन सुविधा की जरूरत है। मुझे आशा है कि मेरे सुझावों को प्रदेश के कल्याण के हित में सरकार द्वारा गंभीरता के साथ लिया जाएगा। उत्कट आशा व सम्मान की भावना के साथ अपनी बात यहीं खत्म करता हूं।

 ई-मेल : singhnk7@gmail.com

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