ई-कामर्स पालिसी का छलावा

By: Jan 8th, 2019 12:08 am

डा. भरत झुनझुनवाला

आर्थिक विश्लेषक

वर्तमान पालिसी में जो परिवर्तन किए गए हैं इनको लागू करने और इनके उल्लंघन के ऊपर कार्रवाई करना आगे को खिसका दिया गया है। वेंडर्स एसोसिएशन के अनुसार सरकार की पालिसी यह है कि ई-कामर्स कंपनियों द्वारा जो देश के कानून का उल्लंघन अब तक किया गया है, उसके ऊपर खामोशी बनाए रखो और जनता का ध्यान यह कह कर हटा दो कि अब हमने ई-कामर्स पालिसी को और सख्त बना दिया है। एसोसिएशन के इस वक्तव्य में दम दिखता है…

सरकार ने हाल में ई-कामर्स पालिसी में संशोधन किए हैं। इन्हें समझने के लिए ई-कामर्स के परिदृश्य पर एक नजर डालनी होगी। भारत में ई-कामर्स के दो प्रमुख खिलाड़ी हैं-अमेजन और फ्लिपकार्ट। अमेजन ई-कामर्स के माध्यम से अमरीकी बाजार में छाई हुई है। अमरीका में अमेजन दूसरी बड़ी कंपनी वालमार्ट से प्रतिस्पर्धा में है। वालमार्ट ऑफलाइन या दुकान के माध्यम से उन्हीं अमरीकी खरीददारों पर छाई हुई है। अमरीका में अमेजन ऑनलाइन एवं वालमार्ट ऑफलाइन प्लेटफार्म से प्रतिस्पर्धा में हैं। वालमार्ट भारत में प्रवेश करना चाहती थी, लेकिन भारत सरकार ने वालमार्ट को अपनी ऑफलाइन दुकान खोलने की स्वीकृति नहीं दी है। तब वालमार्ट ने रास्ता यह निकाला है कि भारतीय कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीद लिया है। अब जैसा ऊपर बताया गया है, अमरीका में ऑनलाइन अमेजन तथा ऑफलाइन वालमार्ट का सामना है और भारत में ऑनलाइन अमेजन तथा फ्लिपकार्ट के माध्यम से ऑनलाइन वालमार्ट का सामना है। दोनों ही महारथी भारत के ई-कामर्स पर अपनी पकड़ बनाना चाहते हैं। हमारे लिए वालमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट को खरीदे जाने का महत्त्व यह है कि वर्तमान में वालमार्ट चीन से भारी मात्रा में फुटबाल, कपड़े इत्यादि माल खरीद कर अमरीकी बाजार में अपनी दुकानों के माध्यम से बेच रहा है। वालमार्ट अभी तक चीन के माल को भारत में नहीं बेच पा रहा था। अब वालमार्ट इस माल को फ्लिपकार्ट के माध्यम से बेच सकेगा। इसलिए यह विषय भारत में चीन के माल के प्रवेश से जुड़ा हुआ है। इसी क्रम में अमेजन और फ्लिपकार्ट ने अपने ई-कामर्स प्लेटफार्म पर विशेष कंपनियों के माल को उपलब्ध करने की रणनीति अपनाई हुई है।

उदाहरणतः अमेजन ने हिंदुस्तान लीवर से समझौता किया है कि ब्रिलक्रीम नाम के उसके उत्पाद को केवल अमेजन के ई-कामर्स प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराया जाएगा। ब्रिलक्रीम को हिंदुस्तान लीवर अन्य किसी दुकान अथवा किसी अन्य दूसरे ई-प्लेटफार्म से नहीं बेचेगी। इस प्रकार हिंदुस्तान लीवर और अमेजन मिलकर एक विशेष उत्पाद को बढ़ाना चाहते हैं। इसी प्रकार फ्लिपकार्ट और मोबाइल फोन कंपनी जाओमी के साथ समझौता हुआ है। जाओमी के कुछ मोबाइल फोन अब केवल फ्लिपकार्ट के ई-कामर्स प्लेटफार्म पर ही उपलब्ध हैं। उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि ई-कामर्स को विशेष उत्पादों को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा रहा है, जैसे वालमार्ट चीन में बनाए गए माल को भारत में फ्लिपकार्ट के माध्यम से बेच सकता है। इस पृष्ठभूमि में भारत सरकार ने ई-कामर्स पालिसी में कुछ स्पष्टीकरण किए हैं। पहला स्पष्टीकरण यह है कि यदि कोई सप्लायर अपने कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत या उससे अधिक माल किसी ई-प्लेटफार्म के माध्यम से नहीं बेच सकता है। यह भी कहा है कि कैशबैक जैसे इंसेंटिव अथवा विशेष डिस्काउंट भी किसी विशेष माल पर नहीं दिए जा सकेंगे। ऐसे में उपरोक्त बताए गए ब्रिलक्रीम और जाओमी फोन जैसे विशेष उत्पादों को बढ़ाना ई-कामर्स कंपनियों के लिए गैर कानूनी हो जाएगा। इसी क्रम में अमेजन द्वारा चीन में बनाए गए माल को फ्लिपकार्ट के माध्यम से भारत में बेचना भी गैर कानूनी होगा, चूंकि ये उत्पाद अमेजन से संबंधित सप्लायर द्वारा ही चीन में बनाए गए हैं। इन स्पष्टीकरण का उद्देश्य यह है कि ई-कामर्स कंपनियों द्वारा किसी विशेष माल को बढ़ाने के लिए इस प्लेटफार्म का दुरुपयोग न किया जाए। मूल रूप से सरकार की यह पहल सही दिशा में है और सार्थक है, लेकिन आल इंडिया आल लाइन वेंडर्स एसोसिएशन ने इस पालिसी को लीपापोती बताया है। उनका कहना है कि ई-कामर्स प्लेटफार्मों द्वारा पूर्व में जो तमाम नीति के उल्लंघन किए गए हैं, उन पर सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। वर्तमान पालिसी में जो परिवर्तन किए गए हैं इनको लागू करने और इनके उल्लंघन के ऊपर कार्रवाई करना आगे को खिसका दिया गया है। उनके अनुसार सरकार की पालिसी यह है कि ई-कामर्स कंपनियों द्वारा जो देश के कानून का उल्लंघन अब तक किया गया है, उसके ऊपर खामोशी बनाए रखो और जनता का ध्यान यह कह कर हटा दो कि अब हमने ई-कामर्स पालिसी को और सख्त बना दिया है। वेंडर्स एसोसिएशन के इस वक्तव्य में दम दिखता है। इस परिप्रेक्ष्य में ई-कामर्स प्लेटफार्म के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार को निम्न कदमों पर विचार करना चाहिए। सर्वप्रथम ई-कामर्स कंपनियों द्वारा अब तक नियमों के जो उल्लंघन किए गए हैं उनको सार्वजनिक करके उन पर सख्त कार्रवाई करनी चहिए, जिससे कि ई-कामर्स पालिसी केवल दिखावा मात्र न हो, बल्कि इसमें वास्तविक दम हो। दूसरा यह कि सरकार बड़ी ई-कामर्स कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकती है कि उन्हें कम से कम 30 या 50 प्रतिशत माल भारतीय छोटे उद्योगों से खरीदना होगा, जिस प्रकार बैंकों पर प्रतिबंध है कि उन्हें निर्धारित मात्रा में ऋण छोटे उद्योगों को देना होता है, उसी प्रकार ई-कामर्स कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। तब ई-कामर्स कंपनियों को मजबूरन घरेलू कंपनियों के साथ हाथ मिलाने होंगे और भारतीय छोटे उद्योगों को भी ई-प्लेटफार्म के माध्यम से अपना माल बेचने में सहूलियत होगी। ई-कामर्स कंपनियों द्वारा वर्तमान में भारतीय छोटे उद्योगों का जो सफाया हो रहा है उसमें कुछ रोक आएगी।

सरकार तीसरा कदम यह उठा सकती है कि जिस प्रकार अमेजन और फ्लिपकार्ट ई-कामर्स के एग्रीग्रेटर हैं, उसी प्रकार भारत सरकार एक एग्रीग्रेटर कंपनी बना सकती है। एग्रीग्रेटर का अर्थ यह हुआ कि अमेजन और फ्लिपकार्ट की तरह ये कंपनियां स्वयं माल का उत्पादन नहीं करती हैं,  वे मंडी के आढ़तिया की तरह काम करती हैं। हजारों सप्लायर और हजारों क्रेताओं को आपस में जोड़ने मात्र की उनकी भूमिका होती है, लेकिन वे अपनी इस भूमिका का दुरुपयोग कर विशेष अथवा अपने ही माल को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इसे रोकने का एक उपाय यह है कि जिस प्रकार सरकार ने रकम को ई-प्लेटफार्म से एक खाते से दूसरे खाते में भेजने के लिए भीम एप्प बनाया है, उसी प्रकार सरकार स्वयं स्वतंत्र एग्रीग्रेटर स्थापित कर सकती है, जो अमेजन और फ्लिपकार्ट को चुनौती दे।

इस भारतीय कंपनी को सरकार का समर्थन होगा, तो यह इन बड़ी कंपनियों द्वारा ई-कामर्स प्लेटफार्म के दुरुपयोग को रोकने में सफल हो सकती है। जिस प्रकार भारत में सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों द्वारा खाता धारकों से अधिक रकम वसूल करने पर रोक लगा दी है, उसी प्रकार सरकार द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी रोक लगा सकती है। मुख्य बात यह है कि सरकार को केवल नई-नई पालिसियां बनाकर जनता को भ्रमित नहीं करना चाहिए। पहले जो पालिसी के उल्लंघन हुए हैं, उनके ऊपर कार्रवाई करनी चाहिए, उसके बाद ही पालिसी परिवर्तन की कोई सार्थकता होगी।

ई-मेल : bharatjj@gmail.com


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