खेलो इंडिया की तालिका में हिमाचल

By: Jan 25th, 2019 12:06 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

इस बार हिमाचल को खेलो इंडिया में दो स्वर्ण, एक रजत तथा आठ कांस्य पदकों सहित कुल 11 पदक मिले हैं। पिछली बार हिमाचल को दो स्वर्ण तथा दो कांस्य पदकों सहित कुल चार ही पदक मिले थे। इस बार पदक तालिका में हिमाचल का स्थान पिछले वर्ष के 33वें स्थान के मुकाबले सुधरकर 22वें स्थान पर आया है…

पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित खेलो इंडिया प्रतियोगिता में सहनिदेशक हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग डा. चंदेश्वर के नेतृत्व में विभिन्न आठ खेलों के 87 खिलाडि़यों ने हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। एथलेटिक्स में कांगड़ा जिला के सपूत अंकेश चौधरी ने 800 मीटर की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। ऊना खेल छात्रावास का यह धावक अब पुणे में ही सेना के खेल संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। एथलेटिक्स में ही एक कांस्य पदक चंबा की सीमा ने जीता। यह धाविका पिछले वर्ष हुई अंडर-17 वर्ष आयु वर्ग में खेलो इंडिया का पहला स्वर्ण पदक जीत चुकी है। इसे इससे मिलने वाला वजीफा भी शुरू हो चुका है। धर्मशाला के साई खेल छात्रावास की यह पौध आजकल भारतीय खेल प्राधिकरण की लंबी व मध्य दूरी की दौड़ों की अकादमी भोपाल में अपना प्रशिक्षण जारी रखे हुए है। चंबा जिला से ही वेट लिफ्टर कल्याण ने इन खेलों में 281 किलोग्राम वजन स्नैच तथा क्लीन व जर्क में उठाकर प्रदेश के लिए रजत पदक जीता है। खेलो इंडिया की कुश्ती प्रतियोगिता में जगदीश पहलवान के शिष्यों ने दो कांस्य पदक प्रदेश के लिए जीते हैं। निशांत चंदेल ने 80 किलोग्राम तथा जतिन ने 55 किलोग्राम भार वर्ग में यह कारनामा किया है।

सरकार को चाहिए कि जगदीश के अखाड़े को हर प्रकार की खेल सुविधा का तथा खिलाडि़यों को आर्थिक मदद दे। शिमला जिला से संबंध रखने वाली पदमा ने 63 किलोग्राम भार वर्ग में हिमाचल प्रदेश के लिए कांस्य पदक जीता है। मुक्केबाजी में 14 मुक्केबाजों ने हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया और एक स्वर्ण पदक सहित तीन कांस्य पदक जीते हैं। किन्नौर जिला से ताल्लुक रखने वाली वीनाक्षी ने 57 किलोग्राम भार वर्ग में प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक जीता है। किन्नौर की एक और बेटी स्नेह ने 63 किलोग्राम भार वर्ग में हिमाचल की झोली में कांस्य पदक डाला है।

शिमला की ऐरिका ने भी 60 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता है। बिलासपुर से नवराज चौहान ने 52 किलोग्राम भार वर्ग में एक कांस्य पदक हिमाचल की पदक तालिका में बढ़ाया है। इस वर्ष हिमाचल की लड़कियों ने कबड्डी में एक बार फिर अपना लोहा पूरे देश में मनवाया है। सेमीफाइनल में महाराष्ट्र को हराकर फाइनल में हरियाणा से स्वर्ण पदक जीतकर हिमाचल की टीम में भारतीय खेल प्राधिकरण छात्रावास धर्मशाला की पुष्पा, गोपी व मनीषा, राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर की सुषमा, अंजु, अंकिता, साक्षी शर्मा, डिंपल व स्वरी तथा शिरड़ा में भारतीय खेल प्राधिकरण के एक्सटेंशन सेंटर की भावना देवी, रीना व ऊषा सदस्य रही हैं। कप्तान सुषमा के नेतृत्व में रेडर भावना, स्वरी स्वयं सुषमा हरफनमौला, पुष्पा व कार्नर साक्षी शर्मा ने उम्दा प्रदर्शन कर प्रदेश की टीम को स्वर्ण पदक तक पहुंचाया है। साई धर्मशाला व राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर के खिलाडि़यों को इस समय पूरी सुविधा मिल रही है। शिरड़ा का कबड्डी सेंटर प्रबंध निदेशक शिरड़ा निक्का राम चौधरी व कबड्डी प्रशिक्षक दया राम चौधरी की रहनुमाई में प्रदेश के लिए अच्छे खिलाड़ी दे रहा है। देश में इस समय खेल अकादमियां निजी क्षेत्र को दी जा रही हैं, अच्छा होगा मुख्यमंत्री व खेल मंत्री इस विषय में सूची लेकर शिरड़ा संस्थान में कबड्डी व खो-खो की साई अकादमी स्थापित करने में सहायता करवाएं। राज्य में एक और अच्छा खेल सेंटर निखर सकता है। खेलो इंडिया में सारा खर्चा केंद्र सरकार का खेल मंत्रालय कर रहा है। हर राज्य खेल संघ के माध्यम से खिलाडि़यों की प्रवेश पात्रता भेजी जाती है। खेलो इंडिया में प्रतिनिधित्व करवाने के लिए शिक्षा विभाग को नोडल एजेंसी बनाया है। प्रतिभा की खोज की इस बहुत बड़ी योजना में कई प्रकार की अभी खामियां भी सामने आ रही हैं। खिलाडि़यों की यात्रा के लिए टिकट समय पर नहीं खरीदने के कारण सीटों की समस्या भी सामने आई है। खिलाडि़यों को जिन प्रशिक्षकों ने तैयार किया या टीम के साथ उन्हें न भेज कर जुगाड़ वाले लोग अधिकतर खेलो इंडिया प्रतियोगिता में घूमते नजर आए। भविष्य में यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पदक विजेता खिलाड़ी के साथ उसका प्रशिक्षक भी साथ जाए। टीम स्पर्धाओं में अधिकतर खिलाडि़यों वाले सेंटर के प्रशिक्षकों को टीम प्रशिक्षक व प्रबंधक बनाया जाए। इस बार हिमाचल की खेलो इंडिया में दो स्वर्ण, एक रजत तथा आठ कांस्य पदकों सहित कुल 11 पदक मिले हैं। पिछली बार हिमाचल को दो स्वर्ण तथा दो कांस्य पदकों सहित कुल चार ही पदक मिले थे। इस बार पदक तालिका में हिमाचल का स्थान पिछले वर्ष के 33वें स्थान के मुकाबले सुधरकर 22वें स्थान पर आया है। खेलो इंडिया में पदक जीतने वाले खिलाड़ी तथा उनके प्रशिक्षक, जिन्होंने हिमाचल की बहुत कम खेल सुविधाओं में उन्हें इस काबिल बनाया है, दोनों बधाई के हकदार हैं। खेलों में भी आज बहुत अच्छा करियर है। एशियाई खेलों में पदक जीतने पर प्रथम श्रेणी की नौकरी के साथ-साथ लाखों रुपए नकद इनाम भी मिलता है, हरियाणा तो तीन करोड़ देता है। स्कूली व कालेज स्तर के खिलाड़ी को खेलो इंडिया के वजीफे में चयनित होने पर पांच लाख सालाना वजीफा मिल रहा है। इसलिए अधिक से अधिक अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को खेल मैदान तक पहुंचाएं। यह सच है कि जहां अच्छा पढ़ने वाला विद्यार्थी सौ में से एक हो सकता है, वहीं पर लाखों बच्चों में एक-दो ऐसे होते हैं, जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की क्षमता रखते हैं।

इसलिए अधिक से अधिक बच्चों को आज खेल के मैदान में लाकर उनके बैटरी टेस्ट करने होंगे। इससे जहां भविष्य के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी मिलेंगे, वहीं पर देश को फिट नागरिक भी मिलेंगे। जब हर बच्चा खेल के मैदान में आएगा, तो उन्हें सामान्य फिटनेस का लाभ भी मिलेगा। आज जब हर बच्चा स्कूल जा रहा है, तो स्कूल प्रशासन का फर्ज बनता है कि स्कूल के हर बच्चे की फिटनेस सुनिश्चित करें, उसी से हमें खेलो इंडिया के लिए सही पात्रता वाले प्रतिभावान खिलाड़ी मिलेंगे।

ई-मेल : bhupindersinghhmr@gmail.com


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