चित्रकूट धाम दर्शन

By: Jan 5th, 2019 12:07 am

चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्याें की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनारे पर बने अनेक घाट और मंदिरों में पूरा साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। माना जाता है कि चित्रकूट में भगवान राम ने अपने वनवास के चौदह वर्षों में से ग्यारह वर्ष बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और देवी अनुसूइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश चित्रकूट में ही सती अनुसूइया के घर बालक रूप में प्रकट हुए…

चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के तट पर बसा भारत के सबसे प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक है। सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र चित्रकूट वह स्थान है, जहां कभी भगवान राम ने देवी सीता, लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के ग्यारह साल बिताए थे। इसलिए चित्रकूट की महिमा अपरंपार है। यह सदा से ही तपोभूमि रही है। चित्रकूट भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है।  चित्रकूट जिले का क्षेत्रफल 38.2 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्याें की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनारे पर बने अनेक घाट और मंदिरों में पूरा साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। माना जाता है कि चित्रकूट में भगवान राम ने अपने वनवास के चौदह वर्षों में से ग्यारह वर्ष यहां बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और देवी अनुसूइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश चित्रकूट में ही सती अनुसूइया के घर बालक रूप में प्रकट हुए। वर्तमान में यह स्थान उत्तर प्रदेश के कर्वी तथा मध्य प्रदेश के सतना जिले की सीमा पर झांसी मानिकपुर रेलवे स्टेशन पर है। चित्रकूट का मुख्य स्थल सीतापुर है जो कर्वी से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर है। चित्रकूट के प्रमुख दर्शनीय स्थल मध्य प्रदेश के सतना जिले में ही स्थित हैं।

चित्रकूट के प्रमुख दर्शनीय स्थल

कामदगिरि- इस स्थान का कफी महत्त्व है। चित्रकूट के प्रमुख देवता कामातनाथ हैं, जो कामदगिरि पर्वत पर विराजमान हैं। सीतापुर से डेढ़ मील दूर कामतानाथ या कामदगिरि नाम की एक पहाड़ी है। यह अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इसकी परिक्रमा करने से माना जाता है कि व्यक्ति के सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं। इस पर्वत के चारों ओर पक्का परिक्रमा मार्ग बना हुआ है। परिक्रमा में पहला स्थान मुखारविंद है,  जो अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसके बाद कई छोटे बड़े मंदिर परिक्रमा मार्ग में मिलते है।

रामघाट- रामघाट वह स्थान है, जहां प्रभु राम नित्य स्नान किया करते थे। इसी घाट पर राम भरत मिलाप मंदिर है और गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है। घाट के ऊपर यज्ञ वेदी है। कहते हैं कि यहां ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था। इसी मंदिर के जगमोहन में उत्तर की ओर पर्णकुटी का स्थान है। जहां पर भगवान श्रीराम वनवास के समय निवास करते थे।

जानकी कुंड-रामघाट से दो किमी. की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे जानकी कुंड है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता है। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थी। जानकी कुंड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।

स्फटिक शिला-जानकी कुंड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं, तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुंदरता निहारते थे।

अनुसुइया अत्रि आश्रम- स्फटिक शिला से लगभग 4 किमी. की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकांत आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित है।

गुप्त गोदावरी- अनुसुइया जी धाम से 6 मील की दूरी पर गुप्त गोदावरी है। यहां एक अंधेरी गुफा में 15-16 गज भीतर सीताकुंड हैं। इसमें झरने का जल सदा गिरता रहता है। इस कुंड की गहराई कम है। गुफा के अंदर अंधेरा होने के कारण दीपक लेकर जाना पड़ता है।

भरतकूप- भरतकूप चित्रकूट से चार मील की दूरी पर है। श्रीराम राज्याभिषेक के लिए समस्त तीर्थों का जल भरतजी यहीं से ले गए थे। भरतकूप से थोड़ी ही दूरी पर भरतजी का मंदिर भी है। जो चित्रकूट धाम की यात्रा में विषेश रूप से दर्शनीय है।


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