पंजाब में इस्लामी आतंकवाद

By: Jan 19th, 2019 12:08 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

लुधियाना में पकड़ा गया मौलवी लुधियाना के गांवों में यही कर रहा था, लेकिन वह केवल मजहबी तालीम नहीं दे रहा था, बल्कि आईएस से भी जुड़ा हुआ था और उनके लिए भी पंजाब में सक्रिय था। आतंकवादी जमातों ने पंजाब में मुसलमान समाज का आधार विकसित कर अब उसको अपनी आतंकवादी गतिविधियों के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। लुधियाना से पकड़ा गया मौलवी तो मात्र एक उदाहरण है, ऐसे न जाने कितने मौलवी मदरसों और मस्जिदों में छिपे हुए हैं…

नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी ने लुधियाना  पुलिस के साथ मिलकर पिछले दिनों लुधियाना जिला के मेहरबान गांव से तेईस वर्षीय मौलवी मोहम्मद ओवेश पाशा को गिरफ्तार किया है। पाशा मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और इस गांव में बनी मस्जिद में चल रहे मदरसे में बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहा था। पंजाब के गांवों में मुसलमानों की संख्या न के बराबर है, क्योंकि भारत विभाजन के समय लगभग सभी मुसलमान पाकिस्तान के हिस्से आए पश्चिमी पंजाब में चले गए थे और उधर से सभी हिंदू-सिख पूर्वी पंजाब में आ गए थे, लेकिन पिछले कुछ दशकों से पंजाब के शहरों में उत्तर प्रदेश और बिहार से मुसलमानों ने आना शुरू कर दिया। पहले वे कुछ महीने काम करके वापस चले जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने पंजाब के शहरों में ही बसना प्रारंभ कर दिया। उसके बाद वे रहने के लिए एक ही इलाके का चुनाव करने लगे और इस प्रकार बड़े शहरों जैसे लुधियाना, जालंधर, पटियाला, अमृतसर इत्यादि में कुछ इलाके मुस्लिम इलाक़ों के तौर पर कहे जाने लगे।

इसके बाद धीरे-धीरे पांच-पांच, दस-दस परिवार आसपास के गांवों में भी मेहनत मजदूरी करने के लिए जाने लगे और धीरे-धीरे वहीं बसने भी लगे। उसके बाद उन्होंने स्थान-स्थान पर मस्जिदें बनाना शुरू कर दिया। ऐसा भी कहा जा रहा है कि इन मस्जिदों के लिए पैसा सऊदी अरब से आता है।

स्रोत चाहे कुछ भी हो, लेकिन आबादी के अनुपात से भी ज्यादा बन रही मस्जिदों से संशय उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है। यह संशय तब और बढ़ता है, जब ये मस्जिदें पाकिस्तान के साथ-साथ लगती पंजाब की सीमा पर तेजी से उभरनी शुरू हुईर्ं। इन मस्जिदों में जो मौलवी का काम करते हैं, वे शत प्रतिशत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होते हैं और मोटे तौर पर सैयद वंश से ताल्लुक रखते हैं। सैयद मुसलमान वे हैं, जिनके पुरखे ईरान होते हुए अरब से आए थे। सैयद मुसलमान अपने आपको भारतीय मुसलमानों से श्रेष्ठ मानते हैं, क्योंकि भारतीय मुसलमान तो स्थानीय लोग ही हैं, जो कभी मुगलों के शासनकाल में मतांतरित होकर मुसलमान हो गए थे। अतः वे सैयदों के मुकाबले निम्न कोटि के ही माने जाते हैं, लेकिन अब पंजाब में इस प्रक्रिया का तीसरा चरण शुरू हुआ है। इन मस्जिदों ने अपने साथ मदरसे खोलने शुरू कर दिए हैं। सैयद मौलवी चाहते हैं कि मुसलमान अपने बच्चों को सामान्य स्कूलों में न भेजकर मदरसों में ही भेजें। सैयद मौलवी इन्हीं मदरसों से कट्टरता का जहर फैलाना शुरू करते हैं। वे इन छोटे बच्चों को ही मजहबी तालीम के नाम पर काट कर सामान्य शैक्षिक वातावरण से अलग कर देते हैं। लुधियाना में पकड़ा गया मौलवी लुधियाना के गांवों में यही कर रहा था, लेकिन वह केवल मजहबी तालीम नहीं दे रहा था, बल्कि आईएस से भी जुड़ा हुआ था और उनके लिए भी पंजाब में सक्रिय था।

आतंकवादी जमातों ने पंजाब में मुसलमान समाज का आधार विकसित कर अब उसको अपनी आतंकवादी गतिविधियों के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। लुधियाना से पकड़ा गया मौलवी तो मात्र एक उदाहरण है, ऐसे न जाने कितने मौलवी मदरसों और मस्जिदों में छिपे हुए हैं। कुछ मास पहले जालंधर के एक महाविद्यालय में से कुछ कश्मीरी विद्यार्थी पकड़े गए थे, जो कश्मीर के आतंकवादी गिरोहों का हिस्सा थे। इस्लामी आतंकवादी गिरोहों को पंजाब में रह कर आतंकवादी गतिविधियां करने में एक और सहूलियत भी है। पंजाब में इस प्रकार की आतंकवादी घटनाओं की जिम्मेदारी सरलता से तथाकथित खालिस्तानी गिरोहों के नाम मढ़ी जा सकती है। यह ध्यान रखना चाहिए कि पंजाब में आ रहे मुसलमानों की यह आबादी शत प्रतिशत गैरपंजाबी है। यह आबादी सारी की सारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आई है और आतंकवादी गतिविधियों में लगे अधिकांश गिरोह भी कश्मीर या उत्तर प्रदेश-बिहार से ही हैं।

इसलिए इन सैयद मौलवियों को अपनी राष्ट्र विरोधी गतिविधियां जारी रखने में कोई असुविधा भी नहीं होती। पंजाब सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में ज्यादा सतर्क रहे। लुधियाना के मौलवी का इतने समय से पंजाब के एक गांव में काम करते रहना पंजाब पुलिस की नालायकी ही माननी चाहिए।

ई-मेल- kuldeepagnihotri@gmail.com


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