मोदी का कोई विकल्प नहीं

By: Jan 11th, 2019 12:08 am

प्रो. एनके सिंह

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

इंडिया टुडे, जिसका सामान्यतः भाजपा की ओर झुकाव नहीं है, के सर्वे में इसे 257 सीटें दी गई हैं जो कि पूर्ण बहुमत से 16 सीटें कम हैं। उधर सी वोटर ने एनडीए को 276 सीटें दी हैं जो कि पूर्ण बहुमत बनता है। सी वोटर ने इससे पहले बिल्कुल सही अनुमान लगाते हुए तीन बड़े राज्यों में भाजपा की हार की बात कही थी। अब उसके द्वारा एनडीए को 276 सीटें देना विश्वसनीय लग रहा है। किंतु फिर भी पूर्वानुमान, पूर्वानुमान ही है। संभावना यह बन रही है कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री के रूप में उभर सकते हैं। संख्या बल के कारण ही ऐसा नहीं होगा, बल्कि उपलब्धियों के कारण भी ऐसा संभव है…

इस वर्ष होने वाले आम चुनाव जीतने के बाद विक्टरी पैरेड का नेतृत्व कौन करेगा? सवाल यह भी है कि सरकार का निर्माण कौन करेगा? ये सभी सवाल कई बातों पर निर्भर करते हैं, किंतु मुख्यतः इस पर निर्भर हैं कि कौन जीत का नेतृत्व करेगा? पिछले वर्ष यह स्पष्ट था कि मोदी प्रधानमंत्री के रूप में सरकार का नेतृत्व करने के लिए दोबारा से चुन लिए जाएंगे, किंतु अब उनका दोबारा चयन समस्यात्मक लग रहा है क्योंकि उनके खिलाफ लगातार लग रहे झूठे आरोपों से उठे तूफान का प्रभावकारी ढंग से जवाब नहीं दिया गया है। सत्ता के शिखर तक मोदी के मार्ग में अब बेशुमार बाधाएं दिखाई दे रही हैं, उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि आम चुनाव से ऐन पहले उनके खिलाफ व्यंग्यात्मक उक्तियों, झूठी अफवाहों तथा बेशुमार झूठे आरोपों के रूप में बाधाएं खड़ी की जा रही हैं। भारत में इससे पहले चुनावी रण में इस तरह की मायावी अनुभूति कभी नहीं देखी गई।

उनके खिलाफ चले इस अभियान में नैतिक नजरिए से सबसे बुरी बात यह है कि वरिष्ठ नेता खुलेआम झूठ बोल रहे हैं, किंतु कोई भी इसकी परवाह नहीं कर रहा है। यहां तक कि संसदीय चर्चा ने भी यह देखा जब अरुण जेटली को कांग्रेस द्वारा निर्मित किया गया मानसिक बोध का किला ढहाना पड़ा। सत्ता के ताज को मोदी का आरोहण कई कारकों से प्रभावित होगा। पहला प्रश्न यह है कि संसद के निचले सदन में उनकी पार्टी की ताकत क्या होगी? तीन बड़े राज्यों में भाजपा की हार के बाद यह माना जा रहा है कि मोदी लहर अब मंद पड़ गई है। परिणामस्वरूप यह संभव है कि मोदी आवश्यक संख्या में सीटें न जीत पाएं। इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा ने सब कुछ खो दिया है क्योंकि विभिन्न सर्वे उसकी स्थिति को अब भी बेहतर बता रहे हैं। इंडिया टुडे, जिसका सामान्यतः भाजपा की ओर झुकाव नहीं है, के सर्वे में इसे 257 सीटें दी गई हैं जो कि पूर्ण बहुमत से 16 सीटें कम हैं। उधर सी वोटर ने एनडीए को 276 सीटें दी हैं जो कि पूर्ण बहुमत बनता है। सी वोटर ने इससे पहले बिल्कुल सही अनुमान लगाते हुए तीन बड़े राज्यों में भाजपा की हार की बात कही थी।

अब उसके द्वारा एनडीए को 276 सीटें देना विश्वसनीय लग रहा है। किंतु फिर भी पूर्वानुमान, पूर्वानुमान ही है। संभावना यह बन रही है कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री के रूप में उभर सकते हैं। संख्या बल के कारण ही ऐसा नहीं होगा, बल्कि उपलब्धियों के कारण भी ऐसा संभव है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उन्हें उच्चतर रूप से मूल्यांकित किया है। प्रायः सभी विकसित राष्ट्रों के प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति भी इसमें शामिल हैं। इन राष्ट्रों में अमरीका, फ्रांस, जापान, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा व कुछ अन्य देश भी शामिल हैं। विश्व बैंक ने मोदी के प्रबंधन में हुई प्रगति की प्रशंसा की है। विश्व बैंक के अनुसार केवल आधार कार्ड पर कार्यान्वयन के कारण ही एक साल में 77000 करोड़ रुपए की बचत होगी। महंगाई में भी कमी आई है। यह एक तथ्य है कि किसी भी सरकार की आलोचना का मुख्य कारण महंगाई ही रहती है। वर्ष 2018 में महंगाई वर्ष 2014 के 6.6 फीसदी के मुकाबले 3.7 फीसदी रही। इसके अलावा यह केवल मोदी ही हैं जो क्रांतिक्रारी सुधारों को लागू करने का जोखिम दिखा पाए हैं, अन्यथा अन्य कोई तो वोट खो जाने के डर के कारण इस तरह का साहस नहीं दिखा पाया। विमुद्रीकरण और जीएसटी दो बड़े सुधार हैं। विमुद्रीकरण के बाद आयकर दाताओं की संख्या तीन करोड़ से एकदम छह करोड़ हो गई है। साथ ही पूरा राजस्व ट्रांजेक्शन काफी हद तक डिजीटल हो गया है। इन सुधारों के कारण जनता को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, किंतु व्यापक जन धैर्य तथा मोदी में विश्वास के कारण ऐसा होना संभव हो पाया। भारत ने पूरे विश्व में कारोबारी सुगमता में तीन पायदान ऊपर चढ़े हैं तथा भारत में विदेशी निवेश लाने के लिए देश ने निवेशकों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं। साढे़ चार वर्षों की अल्प अवधि में ही मोदी ने अपना बढि़या प्रदर्शन किया है, कोई अन्य इस कार्य को न कर पाता।

आर्थिक और मानव विकास के क्षेत्र में देश अग्रिम पंक्ति के कुछ देशों में शामिल है और तीन अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां इस विकास को महत्त्वपूर्ण मान रही हैं। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने जो उपलब्धियां अर्जित की हैं, उनकी तालिका मात्र बनाने की मेरी इच्छा नहीं है, बल्कि मैं एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व का चित्र खींचना चाहता हूं जिसने मानव नजरिए के साथ-साथ सभी कोणों से देश को प्रभावित करने का काम किया है। मिसाल के तौर पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ वाली उनकी परियोजना को लेते हैं। इस अभियान ने कन्याओं के प्रति देश के नजरिए में बड़ा बदलाव किया है। इसके अलावा उनके स्वच्छता अभियान ने एक ऐसे समाज की तस्वीर पेश की है जिसमें हम स्वच्छता के साथ रहते हैं। प्रत्येक भारतीय के खाते में हालांकि 15 लाख रुपए आने की बात उन्होंने नहीं कही थी, इससे कुछ लोग निराश हुए होंगे, इसके बावजूद भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके अभियान ने देश में पारदर्शिता का माहौल बनाया है। जिन लोगों ने घोटाले किए हैं, वे चाहे विदेश भाग गए हों, किंतु उनके खिलाफ कार्रवाई को संभव बनाया जा रहा है। घोटालेबाजों को कानून के कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।

अंत में सवाल उठता है कि उनका विकल्प कौन है? क्या लालू  प्रसाद यादव, अखिलेश यादव, मायावती, राहुल गांधी, ममता, चंद्रबाबू नायडू अथवा कोई और? जन सर्वेक्षणों की बात करें तो ज्यादातर लोगों, जो कि 70 फीसदी तक बनते हैं, ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की अपनी पसंद बताया है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि विमुद्रीकरण जैसे उनके फैसलों के कारण लोगों को काफी कठिनाइयां हुईं। इस वर्ष के आम चुनाव में चाहे कुछ भी हो जाए, किंतु यह जरूर लगता है कि मोदी का कोई विकल्प नहीं है तथा मेरे जैसे लाखों लोग उनकी सफलता के लिए कामना करेंगे।

 ई-मेल : singhnk7@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App