स्वरोजगार को पुष्ट करे बजट

By: Feb 5th, 2019 12:06 am

हेमराज

लेखक, चंबा से हैं

प्रकृति ने हिमाचल को अकूत प्राकृतिक सौंदर्य और संपदा प्रदान की है, जिसके आगोश में संपदा के भंडार व्यापक हैं। कृषि, बागबानी, प्राकृतिक जड़ी-बूटियां, पर्यटन, पशुपालन, जैविक कृषि, मत्स्य पालन, पोलट्री व डेयरी फार्म इत्यादि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें स्वरोजगार व आजीविका के अवसर प्रदेश में विद्यमान हैं, फिर भी बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ रही है। क्यों प्रदेश का युवा वर्ग स्वरोजगार शुरू न कर सरकारी नौकरी के पीछे पड़ा है। इसका कारण कहीं न कहीं हमारी नीतियां हैं, जिसके कारण युवा वर्ग स्वरोजगार का जोखिम न उठाकर सरकार के भरोसे बैठा रहता है…

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि, बागबानी, पर्यटन, प्राकृतिक संपदा, लघु-सूक्ष्म एवं कुटीर उद्योगों पर आधारित है। हिमाचल प्रदेश कुछ क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ स्थान पर है, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, लिंगानुपात इत्यादि। प्रतिवर्ष राज्य सरकार द्वारा बजट प्रस्तुत किया जाता है। वित्त वर्ष 2019-20 हिमाचल प्रदेश का बजट संतुलित, समावेशी और मितव्ययी होना चाहिए। निरंतर ऋण जाल में जकड़ रहे प्रदेश को ऋणग्रस्तता से उबारना अत्यंत आवश्यक है। राज्य में आय के अनेक साधन हैं, अगर सरकार ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठा और मितव्ययिता के साथ संसाधनों के दोहन के लिए कुशल नीतियों को धरातल पर लागू करे, तो बढ़ते ऋण में कटौती की जा सकती है। हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में ंसेवा क्षेत्र का सर्वाधिक योगदान है। प्रदेश सरकार सेवा क्षेत्र पर अधिक खर्च करती है और यह राज्य सरकार का दायित्व भी है कि अपने नागरिकों को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करे। ‘कर’ जो सरकार की आय का प्रमुख स्रोत होता है।

पिछली कांगे्रस सरकार ने पांचों पूर्ण बजटों में करों में कटौती की, जिस कारण राज्य सरकार की आय में कमी आई, इस कमी को तत्कालीन सरकार ने ऋण लेकर पूरा किया, जिस कारण राज्य पर 47 हजार करोड़ ऋण भार हो गया है। सेवा क्षेत्र में उत्कृष्टता लाने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में सेस व उप कर लगाकर सेवा क्षेत्र को दृढ़ता प्रदान करे। सेवा क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए सरल निवेश व्यवस्था स्थापित करे। प्रशासन और जनता में प्रत्यक्ष संवाद कायम हो। प्रशासन सुशासन की अवधारण को साकार करे। सरकार जब कोई भी योजना लागू करे, तो उसका समय-समय पर मूल्यांकन भी करे। प्रधानमंत्री कार्यालय में जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने प्रगति प्लेटफार्म का निर्माण किया है, उसी प्रकार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रगति प्लेटफार्म का निर्माण करना चाहिए। इससे सरकार, प्रशासन की कार्यशैली का निरंतर मूल्यांकन करती रहेगी, कि योजनाएं धरातल पर कितनी प्रभावशीलता के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही हैं। इससे प्रशासन में सक्रियता के साथ-साथ जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे प्रशासन जनता के प्रति संवेदनशील बनेगा। प्रशासन राजनीतिक दबाव से मुक्त होना चाहिए, तभी ईमानदार अधिकारी पूरी कर्त्तव्यनिष्ठा के साथ अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन हर सकते हैं। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए सुदृढ़ कानून व्यवस्था की स्थापना की जानी चाहिए। जो बोर्ड और निगम निरंतर घाटे में चल रहे हैं, सरकार को इन्हें संबंधित विभागों में विलय कर देना चाहिए। हिमाचल प्रदेश में स्वरोजगार और आजीविका के अनेक साधन हैं। प्रकृति ने हिमाचल को अकूत प्राकृतिक सौंदर्य और संपदा प्रदान की है, जिसके आगोश में संपदा के भंडार व्यापक हैं। कृषि, बागबानी, प्राकृतिक जड़ी-बूटियां, पर्यटन, पशुपालन, जैविक कृषि, मत्स्य पालन, पोलट्री व डेयरी फार्म इत्यादि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें स्वरोजगार व आजीविका के अवसर प्रदेश में विद्यमान हैं, फिर भी बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ रही है। क्यों प्रदेश का युवा वर्ग स्वरोजगार शुरू न कर सरकारी नौकरी के पीछे पड़ा है। इसका कारण कहीं न कहीं हमारी नीतियां हैं, जिसके कारण युवा वर्ग स्वरोजगार का जोखिम न उठाकर सरकार के भरोसे बैठा रहता है।

इससे युवाओं में असंतोष बढ़ रहा है। हिमाचल सरकार को 2019-20 के बजट में इन क्षेत्रों कृषि, बागबानी, प्राकृतिक जड़ी-बूटियां, पर्यटन, पशुपालन, जैविक कृषि, मत्स्य पालन, पोलट्री व डेयरी फार्म, आधारभूत बैंकिंग शिक्षा, औद्योगिक शिक्षा, डिजिटल मार्केटिंग इत्यादि इन क्षेत्रों में तत्काल प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना कर युवाओं को स्वरोजगार शुरू करने के योग्य बनाना चाहिए। इन क्षेत्रों पर आधारित विषय बनाकर प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अनिवार्य विषय के रूप में लागू किया जाना चाहिए। इन विषयों को थ्योरी और प्रेक्टिकल दो हिस्सों में बांटकर पढ़ाया जाए। इससे स्कूल और कालेजों से पढ़ाई करने के पश्चात निकले प्रदेश के युवाओं को रोजगार के लिए दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा। इन सभी रोजगार व स्वरोजगार के अवसरों की तरफ युवाओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए सरकार को जनसंचार व संचार के आधुनिक माध्यमों से प्रचार-प्रसार करना चाहिए, ताकि युवा इन क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिए आकर्षित हो सकें। सरकार इन क्षेत्रों में स्वरोजगार शुरू करने के लिए युवाओं को उचित ऋण व अनुदान की व्यवस्था करे।

हिमाचल के कुल क्षेत्र का 54 प्रतिशत क्षेत्र चरागाह है, जो पशुपालन के लिए उपयुक्त क्षेत्र है। हिमाचल प्रतिदिन पंजाब, हरियाणा राज्यों से दो करोड़ रुपए मूल्य के प्रतिदिन दूध और दुग्ध उत्पादों की खरीद करता है। प्रदेश का युवा वर्ग डेयरी फार्म का व्यवसाय शुरू कर, इस दो करोड़ प्रतिदिन के खर्च को प्रदेश के खजाने से जाने से रोक सकता है। वित्त वर्ष 2019-20 का बजट लोकलुभावन न होकर संतुलित, समावेशी और मितव्ययी होना चाहिए। सरकार आय बढ़ाने और ऋण घटाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं पर कर, उप कर और सेस थोड़ी मात्रा में लगाकर प्रदेश की आर्थिकी को आत्मनिर्भरता और दृढ़ता प्रदान करे। अगर बजट में इन तमाम क्रियाकलापों को शामिल किया जाता है, तो आने वाला बजट राज्य के नागरिकों की प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करेगा।


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