हिमाचल में खेलों के परशुराम

By: Feb 1st, 2019 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

विकास ठाकुर ने सेना में होते हुए भी पिछले वर्ष हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर वरिष्ठ भारोत्तोलन की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत तथा 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतने वाला यह होनहार भारोत्तोलक इस समय राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में 2020 ओलंपिक खेलों की तैयारी भी कर रहा है। मुक्केबाजी में अनुराग वर्मा को यह अवार्ड बहुत देर बाद मिला है…

25 जनवरी हिमाचल पूर्ण राज्यत्व दिवस के समारोह में प्रदेश के 15 उत्कृष्ट खिलाडि़यों को विभिन्न खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल का गौरव बढ़ाने के लिए परशुराम अवार्ड दिया गया। इससे पहले यह अवार्ड 15 अप्रैल, 2012 को हिमाचल दिवस के समारोह में छह वर्ष पूर्व दिया गया था। देर बाद ही सही पूरे तो नहीं, मगर कुछ राष्ट्रीय स्तर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले नायकों को यह सम्मान मिला है। कबड्डी में कविता ठाकुर, रितु नेगी व निर्मला को महिला कबड्डी में राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल का नाम रोशन करने के लिए यह तोहफा दिया गया है। पुरुष कबड्डी में यह सम्मान अजय ठाकुर को मिला है। अजय ठाकुर, कविता ठाकुर तथा रितु नेगी 2018 एशियाई खेलों में भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं। भारोत्तोलन में परशुराम अवार्ड इस वर्ष विकास ठाकुर को दिया है। विकास ठाकुर ने सेना में होते हुए भी पिछले वर्ष हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर वरिष्ठ भारोत्तोलन की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत तथा 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतने वाला यह होनहार भारोत्तोलक इस समय राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में 2020 ओलंपिक खेलों की तैयारी भी कर रहा है। मुक्केबाजी में अनुराग वर्मा को यह अवार्ड बहुत देर बाद मिला है। 2001 पंजाब में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले इस मुक्केबाज को यह अवार्ड तब मिला है जब वह राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में राष्ट्रीय प्रशिक्षक बनकर देश के लिए मुक्केबाज तैयार कर रहा है। आशीष चौधरी 2015 केरल में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक विजेता हैं। इस समय वह राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आगामी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर रहा है। इसके साथ राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग ले रहे हिमाचल के वीरेंद्र कुमार जो सेना की तरफ से भी खेलते हैं यह अवार्ड मिला है। हिमाचल पुलिस में कार्यरत गीता नंद को भी राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल का मान बढ़ाने के लिए यह अवार्ड मिला है। गीता नंद, अशीष चौधरी तथा वीरेंद्र कुमार मुक्केबाजी प्रशिक्षक नरेश कुमार के शिष्य हैं। नरेश कुमार के तीन शिष्यों को परशुराम अवार्ड दिया जाता है, मगर प्रशिक्षक को एक शाल, टोपी भी स्टेज पर नहीं दी जाती है। हिमाचल में ईमानदार व कठिन परिश्रम करने वाले प्रशिक्षकों के साथ यह अन्याय है। शीतकालीन खेलों में हीरा लाल व वर्षा को यह अवार्ड दिया गया है। कई अंतरराष्ट्रीय खेलों में इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया हुआ है। आंचल ठाकुर को स्कींग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर यह अवार्ड दिया गया है। जगदीश ठाकुर को भी देर बाद ही यह अवार्ड मिला, जबकि वह आजकल स्वयं पहलवान तैयार कर रहा है। मोनाल को जूडो में यह अवार्ड राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल के लिए पदक जीतकर लाने पर दिया गया है। वैसे तो हिमाचल से बहुत निशानेबाज निकले हैं और निकल रहे हैं, मगर अधिकतर के साथ हिमाचल का नाम नहीं है। ऊना की अंजुन मोदगिल को शूटिंग में पराशुराम अवार्ड इस वर्ष मिला है। विश्व की सबसे ऊंची चोटी सागर माया फतेह करने वाली पहली हिमाचली महिला डिक्की डोलमा को भी बहुत देर बाद यह सम्मान दिया गया है। सब अवार्ड विजेताओं को बधाई। इस कालम के माध्यम से कई बार याद दिलाने के बाद ये इनाम मिले हैं। इस वर्ष इस अवार्ड समारोह में और कई उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली हिमाचली संतानों को भी यह सम्मान मिलना चाहिए। हैंडबाल की महिला टीम राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल के लिए पदक जीत रही है, साथ में 2018 एशियाई खेलों में भी हमारे खिलाडि़यों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उनका परशुराम पर दावा जरूर बनता है। इस तरह और कई खेलों में कई खिलाड़ी थे जिन्होंने वरिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं तक प्रतिनिधित्व कर पदक भी जीते हैं। वे परशुराम अवार्ड के काबिल हैं ही। भारत का खेल मंत्रालय हर वर्ष लगभग हर खेल में अर्जुन अवार्ड देता है, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को द्रोणाचार्य अवार्ड तथा वर्ष में एक खिलाड़ी को राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड देता है। ओलंपिक का एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों वाले वर्ष में एक से भी अधिक उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड दिया जाता है। हिमाचल में परशुराम अवार्ड के लिए शर्त है कि वह वरिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पदक विजेता हो या पांच बार हिमाचल का प्रतिनिधित्व इस स्तर पर किया हो उसमें वह कम से कम एक बार सेमीफाइनल तक पहुंचा हो। यह नियम बहुत पुराना हो चुका है। आज हिमाचली खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता में करके राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों से होते हुए अंतरराष्ट्रीय तक जा रहे हैं। इसलिए नियम पर एक बार गौर जरूरी है। हिमाचल में कोई स्वतंत्र कमेटी इन इनामों के लिए नहीं है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण अवार्डी खिलाडि़यों की कमेटी में अधिकतर होती है और इस कमेटी का अध्यक्ष भी पूर्ण अवार्डी खिलाड़ी ही होता है। हिमाचल में भी निष्पक्ष कमेटी नहीं चाहिए। यह अवार्ड हर वर्ष मिलना चाहिए। एक निश्चित तिथि आवेदन के लिए सब मुख्य समाचार पत्रों में प्रकाशित करनी चाहिए, ताकि हर कोई उत्कृष्ट प्रदर्शन वाला खिलाड़ी समय पर आवेदन कर सके। पिछले पांच वर्षों में हुई राष्ट्रीय  खेल प्रतियोगिता में जीते गए पदकों के अंक निर्धारित हों, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर अंक होते हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को उत्तर प्रदेश की तरह अवार्ड मिलना चाहिए। वहां प्रशिक्षक का गुरु वश्ष्ठि अवार्ड देते हैं। प्रशिक्षक के बिना उत्कृष्ट प्रदर्शन हो नहीं सकता। जैसे हर विषय के लिए उसका प्राध्यापक जरूरी है उसी तरह हर खेल के लिए प्रशिक्षक भी अनिवार्य है। आगामी राज्य खेल परिषद की बैठक में इस बार परशुराम अवार्ड के साथ प्रशिक्षक के लिए अवार्ड के विषय केंद्र की तरह तय हो जाने चाहिए, ताकि इस पहाड़ी प्रदेश की संतानें भी प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल को गौरव प्रदान करती हुईं विश्व स्तर तक पहुंच सके।


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