अजय ठाकुर को पद्म श्री

By: Mar 25th, 2019 12:08 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

अजय ठाकुर का फुटवर्क भी इसी प्रशिक्षण केंद्र की देन है। अजय ठाकुर अभी अगले एशियाई खेलों तक अपना खेल जारी रखेगा। पहली मई, 1986 को जन्मे अजय ठाकुर का खेल जीवन हिमाचली युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। भविष्य में अजय ठाकुर के इस लंबे व उत्कृष्ट अनुभव का हिमाचली युवाआें को लाभ दिलाने के लिए राज्य कबड्डी संघ को प्रयास करना चाहिए। इस बर्फ के प्रदेश के इस उम्दा खिलाड़ी ने पूरे भारत ही नहीं जहां तक विश्व में कबड्डी प्रेमी हैं, उनका अपने उत्कृष्ट खेल से मनोरंजन किया है…

हिमाचल प्रदेश की संतानें भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपने क्षेत्र में पद्म श्री अवार्ड तक पहुंच कर पहाड़ का गौरव बढ़ाती रही हैं। खेल के क्षेत्र में चरणजीत सिंह को 1964 टोकियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम का कप्तान होने के कारण तथा हाकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार भारत का गौरव बढ़ाने के लिए पद्म श्री अवार्ड मिला था, उसके बाद लगभग आधी सदी बाद नालागढ़ के धभोटा गांव के अजय ठाकुर को खेल क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर भारत का गौरव बढ़ाने के लिए इस वर्ष पद्म श्री से नवाजा है। हिमाचल प्रदेश में खेल प्रशिक्षण प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय करना अपने आप में बहुत बड़ा काम है।

अजय ठाकुर को कबड्डी विरासत में मिली है। इनके पिता छोटू राम कबड्डी व कुश्ती के बहुत अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। अजय ठाकुर के चाचा साई कबड्डी प्रशिक्षक जयपाल चंदेल ने राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला से 1981-82 में कबड्डी प्रशिक्षक का कोर्स पास कर 1986 के अंत तक धभोटा गांव में कबड्डी प्रशिक्षण दिया और उसके बाद वहां पर भविष्य के स्टार खिलाडि़यों के लिए प्रशिक्षण केंद्र मिला। इसी प्रशिक्षण केंद्र ने 1995 चेन्नई में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों में भारत की कबड्डी स्वर्ण पदक विजेता टीम का खिलाड़ी राकेश चंदेल दिया। जब राकेश धभोटा आया तो गांव में लड्डू बांटे जा रहे थे? किशोर अजय ने पूछा कि लड्डू क्यों बांटे जा रहे हैं जब उसे पता चला कि खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर इतना मान-सम्मान मिलता है तो उसने भी कबड्डी में भारत को पदक दिलाने का प्रण कर लिया और पहली बार 35 किलोग्राम कैटेगरी में आयोजित कनिष्ठ कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लिया था। मैट्रिक तक की पढ़ाई अजय ठाकुर ने धभोटा के सरकारी स्कूल से प्राप्त की।

उसके बाद पिता छोटू राम व मां राजेंद्रा देवी का यह सपूत भारतीय खेल प्राधिकरण खेल छात्रावास बिलासपुर आ गया। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बिलासपुर से जमा दो की परीक्षा पास कर बिलासपुर के सरकारी कालेज से स्नातक की डिग्री पास की और दिन-प्रतिदिन अपने खेल में निखार लाया। अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय खेलों से लेकर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों में जगह बनाकर पहली बार 2007 में भारत का प्रतिनिधित्व इंडोर एशियाई खेल जो चीन में हुए, वहां पर भारत के लिए स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका अदा की। उसके बाद 2013 में फिर कोरिया में आयोजित इंडोर एशियाई खेलों में भारतीय टीम की ओर से खेलते हुए स्वर्ण पदक जीता। विश्वकप-2016 में भारत के लिए स्वर्ण पदक दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक तथा 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक भारत की झोली में डाला। प्रो कबड्डी में भारत व दुनिया के दर्शकों का  उच्च स्तरीय कबड्डी का रोमांच दिखाया। तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने अजय ठाकुर को हिमाचल पुलिस में डीएसपी के सम्मानजनक पद का आफर दिया और अजय ठाकुर ने अपनी एयर इंडिया की नौकरी छोड़कर अपने प्रदेश में डीएसपी की नौकरी 2017 में ज्वाइन कर ली।

अपनी ट्रेनिंग पूरी कर इस समय अजय ठाकुर बिलासपुर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसी वर्ष हिमाचल सरकार ने अपना सर्वोच्च खेल पुरस्कार परशुराम अवार्ड अजय ठाकुर को बहुत देर बाद दे ही दिया, जो इस स्टार खिलाड़ी को बहुत पहले मिल जाना चाहिए था। हिमाचल प्रदेश में इस समय लड़कियों के लिए बहुत प्रशिक्षण केंद्र हैं, जहां प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार चलता है, मगर पुरुष वर्ग के लिए अगर खेल छात्रावासों को छोड़ दिया जाए तो फिर नालागढ़ का धभोटा गांव का प्रशिक्षण केंद्र ही नजर आता है। जयपाल चंदेल के तीस वर्ष पूर्व सिखाए फुटवर्क पर यहां पीढ़ी दर पीढ़ी काम हो रहा है। अजय ठाकुर का फुटवर्क भी इसी प्रशिक्षण केंद्र की देन है। अजय ठाकुर अभी अगले एशियाई खेलों तक अपना खेल जारी रखेगा। पहली मई, 1986 को जन्मे अजय ठाकुर का खेल जीवन हिमाचली युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।

भविष्य में अजय ठाकुर के इस लंबे व उत्कृष्ट अनुभव का हिमाचली युवाआें को लाभ दिलाने के लिए राज्य कबड्डी संघ को प्रयास करना चाहिए। इस बर्फ के प्रदेश के इस उम्दा खिलाड़ी ने पूरे भारत ही नहीं जहां तक विश्व में कबड्डी प्रेमी है उनका अपने उत्कृष्ट खेल से मनोरंजन किया है। हिमाचल में प्रशिक्षण शुरू कर विश्व स्तर तक स्टार खिलाड़ी का किरदार निभाया है, जो यह मुकाम विरलों को ही हासिल होता है। इस नए कबड्डी के पद्म श्री को पूरा हिमाचल खेल जगत सलाम करता है तथा कामना करता है कि आगामी अंतरराष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिताओं में भी अपना उम्दा प्रदर्शन जारी रखते हुए तिरंगे को सबसे ऊपर उठाता रहे।


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