कांग्रेस-भाजपा में होगा चुनाव
डा. भरत झुनझुनवाला
आर्थिक विश्लेषक
2017 में सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने थर्मल पावर प्लांट्स को वायु को प्रदूषित करने की पांच साल की और छूट दे दी है। विश्व के अधिकतम वायु प्रदूषित शहर भारत में हैं। वायु प्रदूषण कम करने को भाजपा ने कोई कदम नहीं उठाए हैं। अतः पर्यावरण के मुद्दे पर कांग्रेस का प्रदर्शन अव्वल रहा है। सारांश है कि देश की एकता एवं बाहरी युद्धों पर दोनों पार्टियों का प्रदर्शन समान रहा है। लोकतंत्र की रक्षा, अर्थव्यवस्था, किसान, रोजगार एवं पर्यावरण पर कांग्रेस का कार्य उत्तम रहा है। बुनियादी संरचना एवं भ्रष्टाचार के मुद्दों पर भाजपा का कार्य अच्छा रहा है…
आगामी चुनाव में मुख्य प्रतिस्पर्धा भाजपा और कांग्रेस के बीच दिखती है। इस लेख में मैं कांग्रेस और भाजपा के कार्यकाल का तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास करूंगा। पहला बिंदु देश की एकता एवं अखंडता है। कांग्रेस के नेतृत्व में देश का विभाजन हुआ, जिसको कांग्रेस की असफलता मानना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने हैदराबाद को देश में जोड़ने में सफलता पाई। कांग्रेस ने तमिलनाडु, पंजाब, मिजोरम और नागालैंड के अलगाववादी आंदोलनों पर सफलतापूर्वक नियंत्रण पाया। यद्यपि कांग्रेस कश्मीर में असफल रही, लेकिन भाजपा भी कश्मीर में अलगाववादी आंदोलनों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। अतः मैं दोनों पार्टियों के प्रदर्शन को समान मानता हूं। दूसरा बिंदु देश द्वारा किए गए बाहरी युद्धों का है। कांग्रेस ने कश्मीर में 1947 में सेना भेजी और पाकिस्तान को एक सीमा तक प्रवेश करने से रोकने में सफल हुए। गोवा में 1961 में सेना भेजकर उस देश का भारत में विलय किया। पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 के युद्ध में सफलता मिली। इसी दौरान कांग्रेस ने दो युद्धों में असफलता भी पाई। चीन के साथ 1962 में हमें हार का सामना करना पड़ा था और श्रीलंका में 1987 में इंडियन पीस की टीम भेजकर हमें हार मिली थी। भाजपा के नेतृत्व में हमने कारगिल में 1999 में सफलतापूर्वक युद्ध किया। 2017 में डोकलाम में भी युद्ध हुआ, लेकिन इसके ऊपर कहना मुश्किल है कि विजय किसकी हुई।
पुलवामा के बाद बालाकोट में भाजपा ने सफलता पाई है। अतः दोनों ही पार्टियों का प्रदर्शन लगभग समान दिखता है। तीसरा बिंदु लोकतंत्र का है। हमारा भविष्योन्मुखी संविधान कांग्रेस द्वारा लागू किया गया। हमने राजशाही व्यवस्था को समाप्त किया और दलितों को बराबर का दर्जा दिया। इसके विपरीत 1975 में कांग्रेस ने इमरजेंसी लागू की, जो कि लोकतंत्र पर आघात था, लेकिन फिर 1992 में पंचायती राज संशोधन एवं 2005 में सूचना के अधिकार को लागू करके कांग्रेस ने पुनः लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया। इसके इतर भाजपा ने सूचना के अधिकार को लूज करने का प्रयास किया। चौथा बिंदु अर्थव्यवस्था का है। कांग्रेस ने 1951 में पंचवर्षीय योजनाओं को लागू किया। इन योजनाओं के अंतर्गत औद्योगीकरण की नींव रखनी शरू हुई, लेकिन इन योजनाओं ने सार्वजनिक इकाइयों को महत्त्व दिया। 1979 में कांग्रेस ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। ये सार्वजानिक इकाइयां तथा सार्वजनिक बैंक आज संकट में हैं। यह समस्या कांग्रेस की देन है। कांग्रेस ने इन गलतियों को सुधारने का प्रयास 1991 में आर्थिक सुधार लागू करके किया और देश के उद्यमियों की ऊर्जा को खुला छोड़ा। भाजपा ने वाजपेयी के नेतृत्व में सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण का सफल कार्य किया था, लेकिन मोदी के नेतृत्व में हम निजीकरण की इस सही नीति से पीछे हट गए हैं। नोटबंदी तथा जीएसटी के अंतर्गत देश को डिजिटल इकोनॉमी की तरफ धकेलने के प्रयास के कारण भी अर्थव्यवस्था को धक्का लगा है। बुनियादी संरचना में भाजपा का प्रदर्शन अव्वल रहा है। वाजपेयी के कार्यकाल में स्वर्णिम चतुर्भुज सड़कों की शुरुआत हुई थी। फिर कांग्रेस के कार्यकाल में गति धीमी पड़ गई। मोदी के कार्यकाल में पुनः सड़क बनाने में उल्लेखनीय गति आई है। बिजली का उत्पादन बाधा है। आज देश में पावरकट समाप्तप्रायः हो गए हैं। किसानों के संबंध में कांग्रेस ने 1956 में जमींदारी एबोलेशन एक्ट लागू किया था। इस कानून के अंतर्गत जमींदारी प्रथा को समाप्त करके भूमि को खेत कर्मी को आवंटित कर दिया था। इस कदम का महत्त्व इस बात से आंका जा सकता है कि पाकिस्तान में इस प्रकार का कोई कानून लागू नहीं किया गया, जिसके कारण आज भी वहां सामंतवादी ताकतें प्रबल हैं। इसके बाद कांग्रेस ने हरित क्रांति लागू की। 70 एवं 80 के दशक में गरीबी हटाओ प्रोग्राम लागू किया, यद्यपि इसके कोई ठोस परिणाम नहीं आए। 2006 में लागू रोजगार गारंटी कार्यक्रम से देश के आम आदमी को बहुत राहत मिली है। 2013 में कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण कानून पारित किया, जिसके अंतर्गत किसानों को अधिक मुआवजा मिलने की व्यवस्था की गई। कांग्रेस के ये कदम देश के किसानों एवं गरीबों के लिए हितकारी थे। इनकी तुलना में भाजपा ने भूमि अधिग्रहण कानून को ढीला करने का प्रयास किया। यद्यपि भाजपा जनधन योजना को गरीब के हित में बताती है, लेकिन मेरे आकलन में इस योजना के माध्यम से गरीब की पूंजी को अमीर तक पहुंचाया गया है। मुद्रा योजना के अंतर्गत किसानों को भारी मात्रा में ऋण दिए जा रहे हैं, लेकिन इन ऋणों का उपयोग किसान की खेती में नहीं हो रहा है, बल्कि ये किसान को ऋण के दलदल में डाल रहे हैं। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का वातावरण देश में फैला दिया था, भाजपा ने इस पर नियंत्रण करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। मुझे बताया गया है कि प्रोविडेंट फंड के इंस्पेक्टरों को अब संस्थानों में जाने की अनुमति नहीं दी गई है, जिससे भ्रष्टचार कम हुआ है। भाजपा ने इस दिशा में कारगर कदम उठाए हैं।
कांग्रेस ने 1980 में फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट और 1986 में एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया। ये कानून आज देश के पर्यावरण संरक्षण की आधारशिला हैं। गंगा एक्शन प्लान को 1986 में लागू किया गया, यद्यपि इसका प्रभाव कम ही दिखता है। 2010 में गंगा के ऊपर तीन जल विद्युत परियोजनाओं को निरस्त किया और गंगा संरक्षण किया था। इनकी तुलना में भाजपा ने छोटे-छोटे कई कदम पर्यावरण के विरोध में उठाए हैं। 2014 में सत्ता पर काबिज होने के समय गंगा पर श्रीनगर जलविद्युत परियोजना निर्माणाधीन थी, अलकनंदा पर विष्णुगद पीपलकोटी परियोजना को शुरू हुए मात्र चार माह हुए थे, भाजपा ने इन परियोजनाओं को रोक कर गंगा के अविरल प्रवाह को स्थापित करने के कोई कदम नहीं उठाए। 2017 में सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने थर्मल पावर प्लांट्स को वायु को प्रदूषित करने की पांच साल की और छूट दे दी है।
विश्व के अधिकतम वायु प्रदूषित शहर भारत में हैं। वायु प्रदूषण कम करने को भाजपा ने कोई कदम नहीं उठाए हैं। अतः पर्यावरण के मुद्दे पर कांग्रेस का प्रदर्शन अव्वल रहा है। सारांश है कि देश की एकता एवं बाहरी युद्धों पर दोनों पार्टियों का प्रदर्शन समान रहा है। लोकतंत्र की रक्षा, अर्थव्यवस्था, किसान, रोजगार एवं पर्यावरण पर कांग्रेस का कार्य उत्तम रहा है। बुनियादी संरचना एवं भ्रष्टाचार के मुद्दों पर भाजपा का कार्य अच्छा रहा है। आगामी चुनाव में जनता को तय करना है कि उसके लिए किसान और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं अथवा भ्रष्टाचार।
ई-मेल : bharatjj@gmail.com
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