विश्व वानिकी दिवस
विश्व वानिकी दिवस 21 मार्च, को मनाया जाता है। विश्व वानिकी दिवस पहली बार वर्ष 1971 ई. में इस उद्देश्य से मनाया गया था कि दुनिया के तमाम देश अपनी मातृभूमि की मिट्टी और वन-संपदा का महत्त्व समझें तथा अपने -अपने देश के वनों और जंगलों का संरक्षण करें। अगर हम भारत की बात करें तो 22.7प्रतिशित भूमि पर ही वनों और जंगलों का अस्तित्व रह गया। भारत में वन महोत्सव जुलाई, 1950 से ही मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने की थी।
उद्देश्य
विश्व वानिकी दिवस का उद्देश्य है कि विश्व के सभी देश अपनी वन-संपदा की तरफ ध्यान दें और वनों को संरक्षण प्रदान करें। भारत में भी वन-संपदा पर्याप्त रूप से है। भारत में 657.6 विश्व वानिकी दिवस लाख हेक्टेयर भूमि 22.7 प्रतिशत पर वन पाए जाते हैं। वर्तमान समय में भारत भूमि पर वनों का विस्तार है और छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे ज्यादा वन-संपदा है उसके बाद क्रमशः मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य में। भारत सरकार द्वारा सन् 1952 ई. में निर्धारित ‘राष्ट्रीय वन नीति’ के तहत देश के 33.3 प्रतिशत क्षेत्र पर वन होने चाहिए, लेकिन वर्तमान समय में ऐसा नहीं है। वन-भूमि पर उद्योग-धंधों तथा मकानों का निर्माण, वनों को खेती के काम में लाना और लकडि़यों की बढ़ती मांग के कारण वनों की अवैध कटाई आदि वनों के नष्ट होने के प्रमुख कारण है। इसलिए अब समय आ गया है कि देश की ‘राष्ट्रीय निधि’ को बचाए और इनका संरक्षण करें। हमें वृक्षारोपण पेड़-पौधे लगाना, को बढ़ावा देना चाहिए। इसके संबंध में प्रसिद्ध पर्यावरणविद कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था कि वृक्षों का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी ही जीवन है।
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