शिमला के मैदान-ए-जंग में दो फौजी
सुरेश कश्यप एयरफोर्स से रिटायर्ड तो कर्नल धनीराम शांडिल भारतीय सेना से
सोलन —एयरफोर्स में रहकर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले शिमला संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी का मुकाबला फील्ड में आमने-सामने दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी सैन्य अधिकारी से होगा। भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप वायुसेना से सेवानिवृत्त हैं तथा कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार डा. धनीराम शांडिल भी सेवानिवृत्त भारतीय सेना अधिकारी हैं। हालांकि टिकट आबंटन में भाजपा ने अवश्य बाजी मारी, किंतु यह भी कटु सत्य है कि डा.शांडिल की भी दिल्ली दरबार में बहुत पहले ही सेटिंग हो गई थी। ‘दिव्य हिमाचल’ ने कुछ दिन पूर्व ही संकेत दे दिए थे कि जिस ढंग से धनीराम शांडिल ने फील्ड में एक माह पूर्व से ही जनसंपर्क शुरू करके नोटबंदी व अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर बयान देने शुरू कर दिए हैं तो उससे लगता है कि उन्हें केंद्रीय कमान से चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई है। भाजपा के उम्मीदवार सुरेश कश्यप पच्छाद से दो बार विधायक के रूप में निर्वाचित हो चुके हैं तथा वह वायुसेना से सेवानिवृत होकर सीधे भाजपा की विचारधार से जुड़ गए थे। दूसरी तरफ कांग्रेस के डा. धनीराम शांडिल वर्ष 1999 में राजनीति में आए तथा पहली बार वह हिविकां की टिकट पर चुनाव लड़े। अगले चुनाव में वह भाजपा में चले गए तथा उसके बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।
`प्रत्याशियों की रिश्तेदारी
शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेसी व भाजपा प्रत्याशियों की रिश्तेदारी नहीं टूट रही। भाजपा के पूर्व सांसद प्रो. वीरेंद्र कश्यप के सुरेश कश्यप में साढू ही लगते हैं तथा दूसरी ओर कांग्रेस के डा. धनीराम शांडिल के प्रो. वीरेंद्र कश्यप के जमाई के सगे भाई हैं। मुख्यमंत्री ने इसका उल्लेख सोलन दौरे के दौरान भी किया।
प्रो. वीरेंद्र का दर्द
मुख्यमंत्री के समक्ष सोलन में शनिवार को टिकट कटने का दर्द प्रो. वीरेंद्र कश्यप के भाषण से प्रकट हो गया। उन्होंने युवा सम्मेलन में रूंधे गले से अपनी बात भी रखी तथा पार्टी के घोषित प्रत्याशी के साथ पूरा सहयोग देने की वचनबद्धता भी दोहराई। प्रो. वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि वह भाजपा के पहले ऐसे सांसद थे, जिन्होंने लगातार दस वर्षों तक कांग्रेसी दुर्ग को भेद कर रखा।
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