सेना पर सवाल जायज नहीं

By: Mar 9th, 2019 12:07 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

सोनिया गांधी के वरिष्ठ नेता और नीति-निर्धारक दिग्विजय सिंह ने अपने पुराने सटीक अंदाज से अंत कर दिया। उसने कहा पुलवामा में भारतीय सैनिकों के मारे जाने का मामला तो महज एक दुर्घटना थी। अब बहस करने के लिए इससे आगे कुछ बचता भी नहीं है। किसी ने सोशल मीडिया में ही कांग्रेस के दिग्विजय सिंह से सवाल किया है कि वह सिर्फ एक प्रश्न का उत्तर और दें कि क्या राजीव गांधी की मौत भी एक दुर्घटना मात्र थी या वह आतंकवादी हमला था? तब से दिग्विजय सिंह मौन हैं…

जब पाकिस्तान द्वारा पोषित और नियंत्रित जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर प्रांत के पुलवामा जिला में सीआरपीएफ की एक गाड़ी पर आतंकवादी हमला करके चालीस से भी ज्यादा जवानों को शहीद कर दिया, तो विपक्षी दलों, खासकर सोनिया कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा हल्ला मचाया कि पाकिस्तान हमारे जवानों को मार रहा है और हमारी सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। राहुल गांधी के साथ-साथ ममता बनर्जी और दूसरे विपक्षी दल भी झाग निकाल रहे थे कि नरेंद्र मोदी की सरकार चुप क्यों है। उसके कुछ दिन बाद जब भारतीय वायुसेना के जवानों ने नियंत्रण रेखा के अंदर घुसकर पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों के लिए चलाए जा रहे प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दिया, तो पाकिस्तान सरकार ने तुरंत कहा कि भारतीय वायु सेना कुछ नहीं कर पाई। उनके वायुयान आए तो थे, लेकिन हमारी ताकत से डर कर जल्दी-जल्दी जंगल में बम गिराकर भाग गए।

पाकिस्तान सरकार के लिए यह कहना जरूरी था, क्योंकि वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपने ही देश में अपनी साख भी बचानी थी, लेकिन ताज्जुब तो तब हुआ, जब सोनिया कांग्रेस ने भी पाकिस्तान की ही भाषा बोलनी शुरू कर दी। सोनिया कांग्रेस को तो मानों डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो। राहुल गांधी ने भी बालाकोट में आतंकवादी अड्डों के नष्ट होने के सबूत मांगने शुरू कर दिए। राहुल गांधी के नए भर्ती हुए शिष्य नवजोत सिंह सिद्धू उससे भी दो कदम आगे बढ़ गए। उन्होंने कहा वायु सेना ने जहाज तो भेजे थे, लेकिन वे जंगलों में बम गिरा कर आ गए। गुरू गुड़ ही रहा, चेला चीनी हो गया। सिद्धू शायद अपना यह बयान आधा राहुल गांधी को और आधा अपने तथाकथित दोस्त इमरान खान को सुनाना चाहते थे। इमरान खान के लिए तो संदेश साफ था, डटे रहो गुरू, यह भारतीय वायु सेना जंगलों में बम फेंकने के काबिल ही है। राहुल गांधी को भी संदेश साफ था। गुरू जंगल वाला जुमला दोहराते रहो, जल्दी हिट हो जाएगा। मैं भी ‘हा-हा’ करते-करते हिट हो गया कि नहीं? कपिल सिब्बल पक्के वकील हैं, उनका निशाना कभी चूकता नहीं। याद होगा, उन्होंने अयोध्या वाले मामले में उच्चतम न्यायालय में कहा था कि सुनवाई लोकसभा के चुनावों के बाद कीजिए। उस समय सब कहने लगे, क्या कहानियां सुना रहा है, न्यायालय जल्दी सुनवाई करने के लिए उत्सुक है और यह महाशय चुनाव के बाद सुनवाई के लिए कह रहे हैं, लेकिन अब सारा देश दांतों तले अंगुलियां दबा रहा है। मामला घिसटता-घिसटता मध्यस्थता तक आ गया है। हो सकता है किसी स्टेज पर बाबर के वंशजों की तलाश शुरू हो जाए और कोई दूसरा सिब्बल कह दे कि इन्हें भी पूरे मामले में पार्टी बनाया जाए। उसी कपिल सिब्बल ने कहा कि हम तो तब मानेंगे, जब विदेशी मीडिया कहेगा कि बालाकोट में नुकसान हुआ है। अपनी सरकार और अपनी सेना कह रही है कि हमने बालाकोट में पाकिस्तानी आतंकी मारे हैं, उसे हम नहीं मानते। सारा विदेशी मीडिया झूठ तो नहीं बोल रहा। सोनिया कांग्रेस की यही खूबी है कि उसे बाहर वाला सबूत चाहिए, स्वदेशी से उसका काम चलने वाला नहीं है। हो सकता है कल कांग्रेस का कोई दूसरा सिब्बल कह दे कि हम तो तब मानेंगे यदि इटली का मीडिया कहे कि बालाकोट में आतंकी मारे गए। इसमें सिब्बल का दोष नहीं है। हर पार्टी की अपनी-अपनी निष्ठा होती है। एक समय था, सीपीएम तभी किसी तथ्य को स्वीकार करता था, जब चीन उसकी पुष्टि कर देता था। अब यही स्थिति सोनिया कांग्रेस की बनती जा रही है। सोनिया कांग्रेस ने अपने इर्द-गिर्द जो तथाकथित राजनीतिक दल इकट्ठे किए हैं, वे शेष सभी मुद्दों पर बंटे हुए हैं, लेकिन एक मुद्दे पर सहमत हैं कि भारत की वायु सेना पाकिस्तान का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। वह अपने टारगेट को निशाना नहीं बना सकती, सही स्थान पर बम नहीं गिरा सकती। ममता बनर्जी से लेकर केजरीवाल तक दहाड़ रहे हैं, पाकिस्तान का कोई नुकसान नहीं हुआ है। वहां सब सही-सलामत है। इमरान खान का इस संकट काल में इन भारतीय नेताओं से ज्यादा सहायक शायद ही कोई हो सकता था। अंधा क्या मांगे दो आंखें।

इन भारतीयों नेताओं के ये बयान पाकिस्तानी मीडिया में सुर्खियां बन रहे हैं, लेकिन फिर इन भारतीय विपक्षी नेताओं को इन्हीं में से किसी ने समझाया होगा, इतना आगे मत बढ़ो कि कल पाकिस्तान में तो हमारे लाखों समर्थक पैदा हो जाएं, लेकिन हिंदोस्तान में कोई न बचे। इस्लामाबाद-लाहौर में तो राहुल गांधी और ममता बनर्जी की कैरट पर राहुल गांधी जिंदाबाद होने लगे, लेकिन अमेठी में सन्नाटा छा जाए, इसलिए रणनीति बदलो। तब नया जुमला मार्केट में चलाया गया। बालाकोट में भारतीय वायुसेना गई तो थी और उसने बम भी गिराए, लेकिन उससे कितने आतंकवादी मरे, इसका सबूत हमें तुरंत मुहैया करवाया जाए। वायु सेना के मुखिया ने कहा हमारा निशाना सटीक था, लाशें गिनना हमारा काम नहीं है, लेकिन वह राहुल गांधी क्या हुए जो मान जाएं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा हमले से पहले बालाकोट के उस आतंकवादी ठिकाने पर तीन सौ के लगभग मोबाइल फोन सक्रिय थे, लेकिन विपक्षी मानेंगे नहीं। उनका अब तर्क है कि एक आदमी भी तीन सौ फोन चालू कर सकता है।

आधुनिक टेक्नोलॉजी का जमाना है, लेकिन सोनिया गांधी के वरिष्ठ नेता और नीति-निर्धारक दिग्विजय सिंह ने अपने पुराने सटीक अंदाज से अंत कर दिया। उसने कहा पुलवामा में भारतीय सैनिकों के मारे जाने का मामला तो महज एक दुर्घटना थी। यानी वह आतंकी हमला नहीं, बल्कि महज एक दुर्घटना थी। अब बहस करने के लिए इससे आगे कुछ बचता भी नहीं है। किसी ने सोशल मीडिया में ही कांग्रेस के दिग्विजय सिंह से सवाल किया है कि वह सिर्फ एक प्रश्न का उत्तर और दें कि क्या राजीव गांधी की मौत भी एक दुर्घटना मात्र थी या वह आतंकवादी हमला था? तब से दिग्विजय सिंह मौन हैं। नरेंद्र मोदी ने ठीक कहा है कि विपक्ष के तथाकथित नेता मुझसे लड़ते-लड़ते देश से ही लड़ने लगे हैं।

ई-मेल- kuldeepagnihotri@gmail.com


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