पिता-पुत्र के चक्कर में बुरे फंस गए अनिल शर्मा

By: Apr 1st, 2019 12:20 am

 शिमला —जयराम सरकार में ऊर्जा मंत्री के पद पर विराजमान अनिल शर्मा अपने पिता पंडित सुखराम और पुत्र आश्रय शर्मा के सियासी संकट में बुरे फंस गए हैं। मंडी संसदीय सीट से उनका बेटा आश्रय शर्मा कांग्रेस टिकट से चुनावी मैदान में उतरने से वह असमंजस में हैं। भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्री अनिल शर्मा को पार्टी से हटाने बारे अहम फैसला हो सकता है। डेढ़ साल से भाजपा के साथ जुड़े रहने वाले पंडित सुखराम अपने पोते का राजनीतिक सफर शुरू करने के लिए अब कांग्रेस में वापस आ गए हैं। यहां तक कि पंडित सुखराम की राजनीति अपने पोते को कांग्रेस में टिकट दिलाने की भी रंग लाई। पिता पंडित सुखराम और पुत्र आश्रय शर्मा की इस राजनीति को देख ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा पूरी तरह से संकट में फंस गए हैं। ऐसे में अनिल शर्मा अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य के लिए जल्द ही अहम कदम उठा सकते हैं। हालांकि अनिल शर्मा का राजनीतिक करियर अभी काफी लंबा है, लेकिन वह अपने बेटे को राजनीति में देखना चाहते हैं, तो जल्द ही अहम फैसला कर सकते हैं। भाजपा ने अनिल शर्मा को चुनावी प्रचार के साथ-साथ ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान में उतरने को कहा था, लेकिन उन्होंने नकार दिया। ऐसी स्थिति में अनिल शर्मा जल्द ही भाजपा छोड़ सकते हैं। दूसरी तरफ वर्तमान परिस्थितियों पर गौर करें, तो भाजपा भी अनिल शर्मा पर दबाव डाल रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि अनिल शर्मा शर्मा यदि त्याग पत्र भी दे देते हैं, तो भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा। भाजपा पहले ही 44 सीटों के साथ प्रदेश की सत्ता में है। उल्लेखनीय है कि मंत्री अनिल शर्मा ने 25 साल बाद कांग्रेस छोड़ दी थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा में शामिल हुए थे। वह पहली बार 1993 में एमएलए का चुनाव जीते थे। उसके बाद 1998 से 2004 तक राज्यसभा सांसद रहे, 2008 और 2012 को चुनाव जीते।

भाजपा ने हटाया तो बने रहेंगे विधायक

ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा को यदि भाजपा दबाव बनाकर हटाती है, तो वह विधायक के पद पर बने रहेंगे। यदि अनिल शर्मा स्वयं मंत्री पद से त्याग पत्र देते हैं, तो उन्हें विधायक पद भी गंवाना पड़ेगा। विधानसभा नियमों के तहत यदि कोई मंत्री या सदस्य खुद इस्तीफा देता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है और उस सीट पर उपचुनाव करवाया जाता है। ऐसे में जाहिर है कि अनिल शर्मा अपनी राजनीति समाप्त करना नहीं चाहेंगे।


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