मुआवजा देने के बाद ही तोड़ें भवन

By: Apr 19th, 2019 12:15 am

हाई कोर्ट ने भू-अधिग्रहण अधिकारी को दिए आदेश, जल्द निपटाएं पेंडिंग केस

शिमला – प्रदेश हाई कोर्ट ने सोलन-शिमला-ढली फोरलेन मामले में भू-अधिग्रहण अधिकारी को अधिग्रहित भूमि का मुआवजा प्रभावितों को देने में तत्परता दिखाते हुए आवश्यक कार्रवाई करने के आदेश दिए, ताकि अधिग्रहित भूमि का वास्तविक कब्जा एनएचएआई द्वारा लिया जा सके। मामले की सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से कोर्ट को बताया गया कि करीब 89 करोड़ रुपए की राशि भू-अधिग्रहण अधिकारी के पास जमा करवा दी गई है। एनएचएआई ने बताया कि शिमला में इस फोरलेन सड़क के लिए 84 हेक्टेयर के करीब भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसमें 81 हेक्टेयर भूमि का वास्तविक कब्जा भी ले लिया गया है। शिमला में इस फोरलेन प्रोजेक्ट के तहत 250 ऐसे निर्माण पाए गए हैं, जिन्हें तोड़ना पड़ेगा। इनमें से 218 निर्माणों के लिए मुआवजा राशि घोषित कर दी गई है और मुआवजा जमा करवा दिया गया है। अभी तक केवल 123 निर्माण तोड़े गए हैं। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जिला प्रशासन शिमला को आदेश दिए कि वह एनएचएआई की ये निर्माण हटाने में हर तरह से मदद करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभी केवल वही निर्माण तोड़े जाएं, जिनका मुआवजा प्रभावितों को दे दिया गया है। जिन निर्माणों के मुआवजा संबंधित मामले लंबित हैं, उन निर्माणों को न छेड़ा जाए। कोर्ट ने भू-अधिग्रहण अधिकारी को बचे हुए निर्माणों के मुआवजे भी शीघ्र प्रदान करने के आदेश दिए। प्रोजेक्ट संचालक की ओर से बताया गया कि फोरलेन का कार्य शुरू कर दिया गया है और तय समय के भीतर यानी 27 सितंबर, 2020 तक यह प्रोजेक्ट पूरा कर लिया जाएगा। कोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि इस प्रोजेक्ट के लिए पेड़ काटने के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों का पालन करें व आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 24 जून तक कोर्ट के समक्ष पेश करें।


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