सियासत में ‘मौसम’ की तरह बदलते दल
हिमाचल में राजनीतिक लाभ न मिला तो विरोधी पार्टी में शामिल हो रहे नेता
शिमला —हिमाचल की सियासत में मौसम की तरह राजनीतिक दल भी बदल रहे हैं। जब-जब भी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए, राजनीतिक लाभ न ले पाने वाले नेताओं ने दल बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस बार लोकसभा चुनाव में कई नेता अपने लिए या अपने परिवार को टिकट दिलाने के लिए जंग छेड़ रहे हैं। पंडिल सुखराम के पोते आश्रय शर्मा को भाजपा ने टिकट के लिए ठुकरा दिया तो कांग्रेस में शामिल हुए और टिकट की जंग भी जीत गए। अब प्रदेश की सबसे हॉट सीट हमीरपुर की राजनीति में भी दल बदल की परंपरा शुरू हो गई है। हालांकि सुरेश चंदेल बिना शर्त के ही कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन टिकट आबंटन के दौरान उन्होंने कांग्रेस हाइकमान पर दबाव भी बनाया। हमीरपुर संसदीय सीट पर जब तक भाजपा के अनुराग ठाकुर हैं, तब तक किसी अन्य नेता को टिकट मिलना संभव नहीं था, जिस कारण भाजपा के पूर्व सांसद रहे सुरेश चंदेल ने भविष्य की राजनीति को देखते हुए कांग्रेस से हाथ मिला लिया। ऐसे में जाहिर है कि हिमाचल की राजनीति में जिन नेताओं को वर्तमान दल में कोई लाभ नहीं मिल रहा है, वे दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
डा. राजन सुशांत की वापसी भी जल्द
पूर्व सांसद डा. राजन सुशांत की घर वापसी जल्द हो सकती है। हालांकि वह इस बार के चुनावों में भाजपा समर्थित एक संस्था के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन पार्टी में वापसी की राह अभी तक देख रहे हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाइकमान ने संकेत दे दिए हैं कि डा. राजन सुशांत की घर वापसी इसी सप्ताह हो सकती है। उनके साथ-साथ पालमपुर से संबंध रखने वाले पूर्व भाजपा नेता प्रवीन शर्मा की भी वापसी हो सकती है।
बदली किस्मत
वर्ष 2009 में हमीरपुर से कांग्रेस ने नरेंद्र ठाकुर को मैदान में उतारा और हार गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद सुजानपुर सीट पर उपचुनाव हुए तो नरेंद्र ठाकुर भाजपा में शामिल हुए और उपचुनाव जीत लिया। इसी तरह कई वर्षों तक कांग्रेस के सिपाही रहे पूर्व मंत्री अनिल शर्मा ने 2017 के चुनाव में भाजपा टिकट से चुनाव जीता, वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक पवन काजल को कांग्रेस और बलवीर सिंह वर्मा को भाजपा में जीत मिली।
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